सिवान: बिहार के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक सिवान के मेंहदार में बाबा महेंन्द्रनाथ मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा नरेश महेंन्द्रनाथ विक्रम ने करवाया था. लोगों की मान्यता है कि बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से सभी चर्म रोगों से छुटकारा मिल जाता है. इस मंदिर में दर्शन करने दूर-दराज के इलाके से लोग आते हैं.
मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास के बारे में मान्यता है कि सैकड़ों वर्ष पहले, नेपाल नरेश को कुष्ट रोग हो गया था. वो ईलाज करवाने निकले और चलते-चलते सिवान के सिसवन गांव में पहुंचे. यहां उन्हें एक गड्ढे में थोड़ा गंदा पानी दिखा तो वे उस पानी से हाथ धोने लगे. कहा जाता है कि जैसे ही गंदा पानी नेपाल नरेश के कुष्ठ रोग वाले हाथों पर पड़ा तो रोग गायब हो गया. फिर राजा ने उस पानी से स्नान किया जिसके बाद उनके पूरे शरीर से कुष्ठ रोग गायब हो गया. उन्होंने वहीं रात बिताई और विश्राम किया. मान्यता ये भी है कि उस रात उनके सपने में भगवान शिव आए और अपने वहां होने के संकेत उन्हें दिए. भगवान शिव के आदेश से जब राजा ने मिट्टी खोदी तो उसके नीचे से उन्हें शिवलिंग मिला. नेपाल नरेश ने भगवान शिव को नेपाल ले जाने की सोची पर भगवान शिव ने उन्हें यही मंदिर बनाने को कहा. तब उन्होंने यही एक विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया.
मंदिर की मान्यता
इस मंदिर का निर्माण 19वीं सदी में नेपाल नरेश ने करवाया था. पर्यटन और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह एक प्रमुख स्थल है. हर सावन और शिवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भाड़ी भीड़ लगती है. महेंद्रनाथ शिव मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां से भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते. यहां शिवलिगं पर जलाभिषेक करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. साथ ही चर्म रोग से भी छुटकारा मिल जाता है.
मंदिर के निर्माण की विशेषताएं
मंदिर निर्माण की कई अनोखी विशेषताएं भी है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण लाखौरी ईट और सुर्खी-चूना से हुआ है. चार खंभों पर खड़ा मंदिर एक ही पत्थर से बना है जिसमें कहीं जोड़ नहीं है. इसके ऊपर बड़ा गुबंद है जिस पर सोने से बना कलश और त्रिशूल रखा है. मंदिर के चारों तरफ छोटे-बड़े 8 दूसरे मंदिर हैं, जिनके ऊपर भी उसी बनावट का गुबंद है. मंदिर में शिव के ऐतिहासिक काले पत्थर का शिवलिंग है जो चारों तरफ पीतल से घिरा है.