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सिवान का प्रसिद्व महेंद्रनाथ शिव मंदिर, यहां कुंड में स्नान से मिलता है चर्म रोगों से छुटकारा - बाबा भोलेनाथ

बिहार के सिवान में बाबा महेंन्द्रनाथ का सुप्रसिद्व मंदिर है. कहा जाता है कि बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग का जलाभिषेक करने से सभी तरह के चर्म रोगों से छुटकारा मिल जाता है.

महेंद्रनाथ शिव मंदिर
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Published : Aug 11, 2019, 11:23 PM IST

सिवान: बिहार के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक सिवान के मेंहदार में बाबा महेंन्द्रनाथ मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा नरेश महेंन्द्रनाथ विक्रम ने करवाया था. लोगों की मान्यता है कि बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से सभी चर्म रोगों से छुटकारा मिल जाता है. इस मंदिर में दर्शन करने दूर-दराज के इलाके से लोग आते हैं.

Leprosy disappears
स्नान करने से होते कुष्ट रोग गायब

मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास के बारे में मान्यता है कि सैकड़ों वर्ष पहले, नेपाल नरेश को कुष्ट रोग हो गया था. वो ईलाज करवाने निकले और चलते-चलते सिवान के सिसवन गांव में पहुंचे. यहां उन्हें एक गड्ढे में थोड़ा गंदा पानी दिखा तो वे उस पानी से हाथ धोने लगे. कहा जाता है कि जैसे ही गंदा पानी नेपाल नरेश के कुष्ठ रोग वाले हाथों पर पड़ा तो रोग गायब हो गया. फिर राजा ने उस पानी से स्नान किया जिसके बाद उनके पूरे शरीर से कुष्ठ रोग गायब हो गया. उन्होंने वहीं रात बिताई और विश्राम किया. मान्यता ये भी है कि उस रात उनके सपने में भगवान शिव आए और अपने वहां होने के संकेत उन्हें दिए. भगवान शिव के आदेश से जब राजा ने मिट्टी खोदी तो उसके नीचे से उन्हें शिवलिंग मिला. नेपाल नरेश ने भगवान शिव को नेपाल ले जाने की सोची पर भगवान शिव ने उन्हें यही मंदिर बनाने को कहा. तब उन्होंने यही एक विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया.

devotee
श्रद्धालु

मंदिर की मान्यता
इस मंदिर का निर्माण 19वीं सदी में नेपाल नरेश ने करवाया था. पर्यटन और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह एक प्रमुख स्थल है. हर सावन और शिवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भाड़ी भीड़ लगती है. महेंद्रनाथ शिव मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां से भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते. यहां शिवलिगं पर जलाभिषेक करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. साथ ही चर्म रोग से भी छुटकारा मिल जाता है.

सुप्रसिद्व महेंद्रनाथ शिव मंदिर

मंदिर के निर्माण की विशेषताएं
मंदिर निर्माण की कई अनोखी विशेषताएं भी है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण लाखौरी ईट और सुर्खी-चूना से हुआ है. चार खंभों पर खड़ा मंदिर एक ही पत्थर से बना है जिसमें कहीं जोड़ नहीं है. इसके ऊपर बड़ा गुबंद है जिस पर सोने से बना कलश और त्रिशूल रखा है. मंदिर के चारों तरफ छोटे-बड़े 8 दूसरे मंदिर हैं, जिनके ऊपर भी उसी बनावट का गुबंद है. मंदिर में शिव के ऐतिहासिक काले पत्थर का शिवलिंग है जो चारों तरफ पीतल से घिरा है.

सिवान: बिहार के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक सिवान के मेंहदार में बाबा महेंन्द्रनाथ मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा नरेश महेंन्द्रनाथ विक्रम ने करवाया था. लोगों की मान्यता है कि बाबा भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से सभी चर्म रोगों से छुटकारा मिल जाता है. इस मंदिर में दर्शन करने दूर-दराज के इलाके से लोग आते हैं.

Leprosy disappears
स्नान करने से होते कुष्ट रोग गायब

मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास के बारे में मान्यता है कि सैकड़ों वर्ष पहले, नेपाल नरेश को कुष्ट रोग हो गया था. वो ईलाज करवाने निकले और चलते-चलते सिवान के सिसवन गांव में पहुंचे. यहां उन्हें एक गड्ढे में थोड़ा गंदा पानी दिखा तो वे उस पानी से हाथ धोने लगे. कहा जाता है कि जैसे ही गंदा पानी नेपाल नरेश के कुष्ठ रोग वाले हाथों पर पड़ा तो रोग गायब हो गया. फिर राजा ने उस पानी से स्नान किया जिसके बाद उनके पूरे शरीर से कुष्ठ रोग गायब हो गया. उन्होंने वहीं रात बिताई और विश्राम किया. मान्यता ये भी है कि उस रात उनके सपने में भगवान शिव आए और अपने वहां होने के संकेत उन्हें दिए. भगवान शिव के आदेश से जब राजा ने मिट्टी खोदी तो उसके नीचे से उन्हें शिवलिंग मिला. नेपाल नरेश ने भगवान शिव को नेपाल ले जाने की सोची पर भगवान शिव ने उन्हें यही मंदिर बनाने को कहा. तब उन्होंने यही एक विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया.

devotee
श्रद्धालु

मंदिर की मान्यता
इस मंदिर का निर्माण 19वीं सदी में नेपाल नरेश ने करवाया था. पर्यटन और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह एक प्रमुख स्थल है. हर सावन और शिवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भाड़ी भीड़ लगती है. महेंद्रनाथ शिव मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां से भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते. यहां शिवलिगं पर जलाभिषेक करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. साथ ही चर्म रोग से भी छुटकारा मिल जाता है.

सुप्रसिद्व महेंद्रनाथ शिव मंदिर

मंदिर के निर्माण की विशेषताएं
मंदिर निर्माण की कई अनोखी विशेषताएं भी है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण लाखौरी ईट और सुर्खी-चूना से हुआ है. चार खंभों पर खड़ा मंदिर एक ही पत्थर से बना है जिसमें कहीं जोड़ नहीं है. इसके ऊपर बड़ा गुबंद है जिस पर सोने से बना कलश और त्रिशूल रखा है. मंदिर के चारों तरफ छोटे-बड़े 8 दूसरे मंदिर हैं, जिनके ऊपर भी उसी बनावट का गुबंद है. मंदिर में शिव के ऐतिहासिक काले पत्थर का शिवलिंग है जो चारों तरफ पीतल से घिरा है.

Intro:सावन स्पेशल,
महेंद्रनाथ शिव मंदिर की कथा


सिवान।


सावन के तीसरे सोमवारी में लाखों शिव भक्तों ने भगवान शिव को जलाभिषेक किया.बिहार का सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है सिवान के मेंहदार का ये महेन्द्रनाथ मंदिर.इस मंदिर का निर्माण नेपाल नरेश महेन्द्र विक्रम ने करवाया था.लोगो की मान्यता है कि यहां आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटते.महेन्द्रनाथ मंदिर में बिहार ,यूपी,नेपाल से लोग दर्शन करने आते हैं. महेन्द्रनाथ का दर्शन करने लोग सिवान, गोपालगंज, छपरा,मोतिहारी, गोरखपुर, झारखंड, नेपाल से यहां लोग आते हैं. लोगो की मान्यता है कि इस महेंद्रनाथ मंदिर में भगवान के शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से चर्म रोग से छुटकारा मिलता है.




Body:सैकड़ो वर्ष पूर्व की कहानी है नेपाल नरेश जिनको कुष्ट रोग हो गया था मायूस राजा राजपाट छोड़कर ईलाज करवाने निकले थे और चलते चलते सिवान के सिसवन के इसी गांव में पहुंचे. जहां उन्हें शौच लगा वो शौच के बाद हाथ धोने के लिए पानी तलाश रहे थे उन्हें एक गड्ढे में थोड़ा सा गंदा पानी दिखा वे उस पानी से हाथ धोने लगे जैसे ही गंदा पानी कुष्ठ हुए हाथ पर पड़ा तो कुष्ट रोग गायब हो गया फिर राजा ने उसे पानी से नहा लिया और उनके पूरे शरीर से कुष्ठ रोग समाप्त हो गया. उन्होंने वही रात बिताई विश्राम किया और वही सो गए उन्हें सपने में भगवान शिव आए और वहां होने के संकेत दिए. फिर राजा को भगवान शिव ने मिट्टी खोदने को कहा जब उन्होंने मिट्टी खोदा तो उसके बाद मिट्टी के नीचे से शिवलिंग मिला. राजा ने भगवान शिव को नेपाल ले जाने की सोंची पर भगवान शिव ने उन्हें यही मंदिर बनाने को कहा फिर राजा ने वही एक विशाल भव्य शिव मंदिर का निर्माण कराया जो आगे चलकर मेंहदार के महेन्द्रनाथ शिव मंदिर के नाम से प्रचलित हुआ जो राजा के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है 19वीं सदी में इस मंदिर का निर्माण नेपाल नरेश ने करवाया था महेंद्र धाम एक पर्यटक और ऐतिहासिक स्थल है. हर सावन, शिवरात्रि में श्रद्धालुओं की भाड़ी भीड़ उमड़ पड़ती है.

बाइट-रत्नेश दुबे, रनिता देवी (श्रद्धालु)

बाइट-महंत तारकेश्वर गिरी


Conclusion:
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