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सरकारी स्कूलों की पोल खोल रहा छतीसी गांव का स्कूल, सालों से आसमान के नीचे पढ़ रहे छात्र

सिवान में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का पोल खोल (Government Education System Bad In Siwan) रहा है बड़हरिया प्रखंड के छतीसी गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय. इस स्कूल का ना तो अपना भवन है, ना बच्चों के बैठने के लिए बेंच है, और ना ब्लैकबोर्ड, यहां बच्चे 15 वर्षों से खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. खास बात ये है कि विद्यालय का भवन नहीं बना है लेकिन झाड़ियों के बीच शौचालय जरूर बन गया है. पढ़ें पूरी खबर....

सिवान में सरकारी स्कूलों की हालत खराब
सिवान में सरकारी स्कूलों की हालत खराब
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Published : Aug 9, 2022, 6:25 PM IST

सिवान : बिहार के सिवान में सरकारी स्कूलों की हालत खराब (Bad Condition Of Government Schools In Siwan) है. जिले के सरकारी विद्यालयों की स्थिति बदहाल है. कई जगहों पर आज भी स्कूलों के बदतर हालात हैं. बड़हरिया प्रखंड के छतीसी गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय सरकार के सरकारी स्कूल के बेहतरी के दावों का पोल खोल रहा है. यहां पर शिक्षक बच्चों को खुले आसमान और पेड़ के नीचे पढ़ाने को मजबूर हैं. ना ही रास्ता, ना बिजली, ना भवन और ना ही बच्चों को पढ़ने के लिए ब्लैकबोर्ड है. अगर कुछ है तो सिर्फ जमीन और जर्जर शौचालय. छतीसी गांव स्थित पेड़ के नीचे चल रहे विद्यालय की एक खासियत ये भी है कि विधायक का भवन तो है ही नहीं लेकिन शौचालय बन के खड़ा है.

ये भी पढ़ें- गोपालगंज में सरकारी स्कूल में उपस्थिति को लेकर हुआ विवाद, शिक्षक और ग्रामीणों में हुई नोंकझोंक

सिवान में सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति : जी हां साढ़े 3 कट्ठा में विद्यालय का जमीन है लेकिन भवन नही हैं और विद्यालय का शौचालय बनकर तैयार है. यह विद्यालय गांव के एक समाजसेवी के दरवाजे पर चलता है. यहां के बच्चे आज भी पेड़ के नीचे बोरे पर बैठकर पढ़ने को विवश हैं. एक से पांच तक चलने वाले इस विद्यालय में 4 शिक्षकों पर करीब 70 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है. विद्यालय की यह स्थिति 1-2 सालों से नहीं बल्कि करीब 15 सालों से बनी हुई है. इस विद्यालय की स्थापना 2008 में की गई थी. जिसके बाद जमीन की खरीदारी से पहले ही भवन बनाने को लेकर सरकार ने राशि भेज दी थी. लेकिन अज्ञात कारणों की वजह से कुछ समय बाद यह राशि वापस सरकार के खाते में चली गई.

खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं छात्र : मिली जानकारी के अनुसार कई सालों बाद जमीन की रजिस्ट्री तो हुई लेकिन भवन के जगह सिर्फ एक शौचालय बना और उसकी हालत भी जर्जर बनी हुई है. ठंडी हो गर्मी हो या बरसात, बच्चे सारे मौसमों की मार झेलते हुए किसी तरह यहां पढ़ाई करने को मजबूर हैं. मौसम की मार से बीच में कब पढ़ाई रोककर छुट्टी कर दी जाए, यह भी मौसम ही तय करता है. आए दिन बच्चे और शिक्षक बीमार पड़ते हैं. एक ओर सरकारी रहनुमा दावा करते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े कदम उठाए गए हैं, लेकिन यहां की व्यवस्था, जमीनी हकीकत को दिखा रही है और बता रही है कि आज भी यहां के छात्रों को मूलभूत सुविधाओं से ही वंचित कर दिया गया है. ऐसे में उनका भविष्य अंधकारमय बना हुआ है. यहां पढ़ने वाले बच्चों की प्रतिभा भी दम तोड़ रही है. बच्चों और ग्रामीणों की मांग है की जल्द से जल्द स्कूल भवन का निर्माण कराया जाए ताकि बेहतर शिक्षा व्यवस्था का लाभ बच्चे उठा सकें.

सिवान : बिहार के सिवान में सरकारी स्कूलों की हालत खराब (Bad Condition Of Government Schools In Siwan) है. जिले के सरकारी विद्यालयों की स्थिति बदहाल है. कई जगहों पर आज भी स्कूलों के बदतर हालात हैं. बड़हरिया प्रखंड के छतीसी गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय सरकार के सरकारी स्कूल के बेहतरी के दावों का पोल खोल रहा है. यहां पर शिक्षक बच्चों को खुले आसमान और पेड़ के नीचे पढ़ाने को मजबूर हैं. ना ही रास्ता, ना बिजली, ना भवन और ना ही बच्चों को पढ़ने के लिए ब्लैकबोर्ड है. अगर कुछ है तो सिर्फ जमीन और जर्जर शौचालय. छतीसी गांव स्थित पेड़ के नीचे चल रहे विद्यालय की एक खासियत ये भी है कि विधायक का भवन तो है ही नहीं लेकिन शौचालय बन के खड़ा है.

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सिवान में सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति : जी हां साढ़े 3 कट्ठा में विद्यालय का जमीन है लेकिन भवन नही हैं और विद्यालय का शौचालय बनकर तैयार है. यह विद्यालय गांव के एक समाजसेवी के दरवाजे पर चलता है. यहां के बच्चे आज भी पेड़ के नीचे बोरे पर बैठकर पढ़ने को विवश हैं. एक से पांच तक चलने वाले इस विद्यालय में 4 शिक्षकों पर करीब 70 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है. विद्यालय की यह स्थिति 1-2 सालों से नहीं बल्कि करीब 15 सालों से बनी हुई है. इस विद्यालय की स्थापना 2008 में की गई थी. जिसके बाद जमीन की खरीदारी से पहले ही भवन बनाने को लेकर सरकार ने राशि भेज दी थी. लेकिन अज्ञात कारणों की वजह से कुछ समय बाद यह राशि वापस सरकार के खाते में चली गई.

खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं छात्र : मिली जानकारी के अनुसार कई सालों बाद जमीन की रजिस्ट्री तो हुई लेकिन भवन के जगह सिर्फ एक शौचालय बना और उसकी हालत भी जर्जर बनी हुई है. ठंडी हो गर्मी हो या बरसात, बच्चे सारे मौसमों की मार झेलते हुए किसी तरह यहां पढ़ाई करने को मजबूर हैं. मौसम की मार से बीच में कब पढ़ाई रोककर छुट्टी कर दी जाए, यह भी मौसम ही तय करता है. आए दिन बच्चे और शिक्षक बीमार पड़ते हैं. एक ओर सरकारी रहनुमा दावा करते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े कदम उठाए गए हैं, लेकिन यहां की व्यवस्था, जमीनी हकीकत को दिखा रही है और बता रही है कि आज भी यहां के छात्रों को मूलभूत सुविधाओं से ही वंचित कर दिया गया है. ऐसे में उनका भविष्य अंधकारमय बना हुआ है. यहां पढ़ने वाले बच्चों की प्रतिभा भी दम तोड़ रही है. बच्चों और ग्रामीणों की मांग है की जल्द से जल्द स्कूल भवन का निर्माण कराया जाए ताकि बेहतर शिक्षा व्यवस्था का लाभ बच्चे उठा सकें.

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