सिवान: बिहार के सिवान में दो ऐसे गांव हैं, जहां देश की आजादी के इतने सालों के बाद भी न तो किसी ग्राम पंचायत से जुड़ा है और न ही नगर पंचायत में शामिल है. यहां महाराजगंज अनुमंडल में 2 ऐसे गांव है. जिनमें जगदीशपुर और धनछुआ गांव शामिल (No development in Two villages of Siwan) है. जहां गांव में ना तो कोई मुखिया ही है न तो कोई वार्ड पार्षद है. यहां अभी तक किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नसीब नहीं हुआ है. जिसके लिए ग्रामीणों में काफी आक्रोश है.
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72 साल बाद भी विकास से वंचित गांव: दरअसल देश को आजाद हुए करीब 72 साल हो गए हैं. लेकिन आजतक सिवान जिले के दो ऐसे गांव हैं. जहां नगर पंचायत 2001 में हुए चुनाव के बाद से नगर पंचायत की सुविधाओं से वंचित (No Any Municipality Add From Two Villags At Siwan) हैं. यहां ग्राम पंचायत की सुविधा भी नहीं है. बीते 8 सालों से भारत सरकार ने शौचालय योजना पूरे देश में ओडीएफ के तहत शौचालय बनवाया है. लेकिन उस सुविधा से भी ये दोनों गांव वंचित हैं. यहां अभी तक एक भी शौचालय नहीं बनाया गया है.
बताया जाता है कि कई सालों से चले आ रहे इंदिरा आवास योजना का एक भी लाभ इन गांवों तक नहीं पहुंचा है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी भी देश में इतने गांव और कस्बें हैं. जहां कि कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मौजूद है. यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय योजना के सबसे महत्वाकांक्षी योजना हर घर नल जल का पाइप भी गांव में आज तक नहीं बिछा, यहां पानी मिलना तो दूर की बात है. कोरोना काल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा था कि हर घर को 2 साबुन और 4 मास्क दी जाएगी. लेकिन इन दोनों गांव में यह नहीं दिया गया. कोरोना काल में गांव को सैनिटाइज भी नहीं किया गया था.
'इस गांव में किसी को अगर कोई प्रमाण पत्र बनाना हो तब यहां से कई जगहों पर लोगों को भटकना पड़ता है. उसके बावजूद भी प्रमाण पत्र नहीं बन पाता है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आज तक किसी को मकान नहीं मिल सका है. इस गांव में सड़कों की अगर बात करें तो कहीं भी चलने लायक सड़क नहीं बन पाये हैं. इन गांवों की अगर शिक्षा व्यवस्था पर बात करें तो अभी तक इन गांवों को एक प्राइमरी विद्यालय भी नसीब नहीं हुआ है'- ग्रामीण.
हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं: सबसे बड़ी बात है कि पटना हाईकोर्ट (High Court Patna) के आदेश के बाद भी इस गांव को नगर पंचायत में नहीं जोड़ा गया है. जबकि जिलाधिकारी अमित कुमार पाण्डेय (DM Amit Kumar Pandey) ने जुलाई में ही सरकार को यह लिखकर दिया था कि दोनों गांवों को नगर पंचायत में जोड़ा जा सकता है क्योंकि ये दोनों गांव सारे मापदंड को पूरा करते हैं. इन्हीं कारणों से इन दोनों गांव के ग्रामीणों में काफी रोष है. ग्रामीणों ने हाईकोर्ट, विधायक,और सांसद सभी लोगों से मिलकर पंचायत और नगर पंचायत में जोड़ने के लिए कई बार आवेदन दिया है. इसके बावजूद आज तक इन लोगों को नगर पंचायत के चुनाव की घोषणा होने के बाद भी नहीं जोड़ा गया है. इन ग्रामीणों का कहना है कि लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव हो तब उन चुनाव का भी बहिष्कार करेंगे.
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