ETV Bharat / state

5 साल वेतन न मिला तो शिक्षक ने काटा हाथ और खून से लिखा 'भ्रष्टाचारी मुर्दाबाद'

5 सालों से लंबित वेतन भुगतान नहीं होने पर परेशान शिक्षक ने आत्महत्या का प्रयास किया. जिसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. अब देखना होगा कि पीड़ित शिक्षक की मांग पर जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा क्या कार्रवाई करती है.

teacher tried to commit suicide after not getting salary for 5 years in sitamarhi
5 साल से वेतन नहीं मिलने पर शिक्षक ने की आत्महत्या की कोशिश
author img

By

Published : Jul 5, 2020, 10:10 PM IST

Updated : Jul 8, 2020, 11:31 AM IST

सीतामढ़ी: जिले में शिक्षा विभाग की करतूतों से परेशान एक पंचायत शिक्षक ने खुदकुशी का प्रयास किया है. शिक्षक ने जिला मुख्यालय डुमरा स्थित परेड स्थल मैदान में ध्वजारोहण मंच पर अपनी नस काट कर आत्महत्या का प्रयास किया. साथ ही मंच की दीवार पर भ्रष्टाचार मुर्दाबाद लिखा.

बता दें कि घायल शिक्षक की पहचान बेला थाना क्षेत्र के नरगा गांव निवासी संजीव कुमार के रूप में हुई है. जिसकी प्रतिनियुक्ति बरियारपुर स्थित प्राथमिक स्कूल लपटी टोला में है. हालांकि शिक्षक को घायल अवस्था में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां से उसे बेहतर इलाज के लिए मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया.

पिछले 5 सालों से नहीं मिला है वेतन

बताया जाता है कि शिक्षक को पिछले 5 सालों से वेतन नहीं दिया गया है. इस मामले को लेकर शिक्षक संजीव कुमार ने बताया कि वह अपने लंबित वेतन भुगतान के लिए पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर काट चुका है. लेकिन कहीं से किसी तरह का सहयोग नहीं मिला. इसी कारण फर्स्टेट होकर यह कदम उठाने पर विवश हो गया.

देखें रिपोर्ट.

इस घटना से पहले भी एक शिक्षका लड़ रही लड़ाई

सीतामढ़ी शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों का वेतन रोके जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी रुनीसैदपुर के मध्य विद्यालय थुम्मा सेकंड की महिला शिक्षिका रश्मि रूपम का भी वेतन रोक दिया गया था. जिसके लिए उसने स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के अधिकारियों से अपनी लंबित वेतन भुगतान की मांग को लेकर गुहार लगाती रही. जिसके बाद तत्कालीन डीएम डॉ. अजीत कुमार सिंह के कड़े रुख के बाद विभाग ने शिक्षिका का मानदेय शुरू कर दिया. लेकिन बिना कोई कारण के रोके गए वेतन का अब तक विभाग ने भुगतान नहीं किया है. जिसकी लड़ाई अभी भी शिक्षिका लड़ रही है.

teacher tried to commit suicide after not getting salary for 5 years in sitamarhi
अस्पताल में भर्ती शिक्षक.

मानवाधिकार आयोग का किया जा रहा उल्लंघन

शिक्षकों का बिना किसी कारण के वेतन रोकना शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, मानवाधिकार आयोग और न्यायालय के आदेश की अवहेलना करना है. फिर भी अपने निजी स्वार्थ के लिए विभाग के अधिकारी शिक्षकों का वेतन रोक देते हैं. बता दें कि बिहार मानवाधिकार आयोग पटना के पत्रांक 2406, 12-2-2015 के आलोक में प्रधान सचिव बिहार विभाग के पत्रांक 8A, 5-18-2015 विज्ञापन संख्या 387 में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि अगर स्थानीय पदाधिकारियों की ओर से निजी स्वार्थ के कारण शिक्षकों का वेतन रोका जाता है, तो उस पर विभाग के प्रधान सचिव की ओर से जारी आदेश के तहत कार्रवाई करते हुए शिक्षक का वेतन भुगतान करना होगा. साथ ही दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी.

सीतामढ़ी: जिले में शिक्षा विभाग की करतूतों से परेशान एक पंचायत शिक्षक ने खुदकुशी का प्रयास किया है. शिक्षक ने जिला मुख्यालय डुमरा स्थित परेड स्थल मैदान में ध्वजारोहण मंच पर अपनी नस काट कर आत्महत्या का प्रयास किया. साथ ही मंच की दीवार पर भ्रष्टाचार मुर्दाबाद लिखा.

बता दें कि घायल शिक्षक की पहचान बेला थाना क्षेत्र के नरगा गांव निवासी संजीव कुमार के रूप में हुई है. जिसकी प्रतिनियुक्ति बरियारपुर स्थित प्राथमिक स्कूल लपटी टोला में है. हालांकि शिक्षक को घायल अवस्था में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां से उसे बेहतर इलाज के लिए मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया.

पिछले 5 सालों से नहीं मिला है वेतन

बताया जाता है कि शिक्षक को पिछले 5 सालों से वेतन नहीं दिया गया है. इस मामले को लेकर शिक्षक संजीव कुमार ने बताया कि वह अपने लंबित वेतन भुगतान के लिए पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर काट चुका है. लेकिन कहीं से किसी तरह का सहयोग नहीं मिला. इसी कारण फर्स्टेट होकर यह कदम उठाने पर विवश हो गया.

देखें रिपोर्ट.

इस घटना से पहले भी एक शिक्षका लड़ रही लड़ाई

सीतामढ़ी शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों का वेतन रोके जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी रुनीसैदपुर के मध्य विद्यालय थुम्मा सेकंड की महिला शिक्षिका रश्मि रूपम का भी वेतन रोक दिया गया था. जिसके लिए उसने स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के अधिकारियों से अपनी लंबित वेतन भुगतान की मांग को लेकर गुहार लगाती रही. जिसके बाद तत्कालीन डीएम डॉ. अजीत कुमार सिंह के कड़े रुख के बाद विभाग ने शिक्षिका का मानदेय शुरू कर दिया. लेकिन बिना कोई कारण के रोके गए वेतन का अब तक विभाग ने भुगतान नहीं किया है. जिसकी लड़ाई अभी भी शिक्षिका लड़ रही है.

teacher tried to commit suicide after not getting salary for 5 years in sitamarhi
अस्पताल में भर्ती शिक्षक.

मानवाधिकार आयोग का किया जा रहा उल्लंघन

शिक्षकों का बिना किसी कारण के वेतन रोकना शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, मानवाधिकार आयोग और न्यायालय के आदेश की अवहेलना करना है. फिर भी अपने निजी स्वार्थ के लिए विभाग के अधिकारी शिक्षकों का वेतन रोक देते हैं. बता दें कि बिहार मानवाधिकार आयोग पटना के पत्रांक 2406, 12-2-2015 के आलोक में प्रधान सचिव बिहार विभाग के पत्रांक 8A, 5-18-2015 विज्ञापन संख्या 387 में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि अगर स्थानीय पदाधिकारियों की ओर से निजी स्वार्थ के कारण शिक्षकों का वेतन रोका जाता है, तो उस पर विभाग के प्रधान सचिव की ओर से जारी आदेश के तहत कार्रवाई करते हुए शिक्षक का वेतन भुगतान करना होगा. साथ ही दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Jul 8, 2020, 11:31 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.