सीतामढ़ीः मुजफ्फरपुर सहित आसपास के जिले में चमकी बुखार का प्रकोप शुरू हो चुका है. विगत कई वर्षों से इस बीमारी के कारण अब तक सैकड़ों बच्चों की जान जा चुकी है. सीतामढ़ी जिले के सदर अस्पताल परिसर में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए 10 बेड का वार्ड बनाया गया है. जहां दवा की उपलब्धता तो है. लेकिन वहां भर्ती होने वाले मरीजों के इलाज के लिए ना तो प्रशिक्षित चिकित्सक हैं, ना ही कर्मी. ऐसे में चमकी बुखार से पीड़ित भर्ती होने वाले मरीजों का इलाज कैसे होगा.
यह एक बड़ा सवाल है और इस कमी को सिविल सर्जन डॉ. आर सी एस वर्मा भी स्वीकार करते हैं. सिविल सर्जन ने बताया कि प्रशिक्षित चिकित्सक और कर्मी की कमी के कारण चमकी बुखार से पीड़ित मरीजों का इलाज करना मुश्किल होगा.
चमकी बुखार का प्रकोप शुरू
विगत वर्ष लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण मुजफ्फरपुर में 200 से अधिक बच्चों ने चमकी बुखार के कारण दम तोड़ दिया था और सरकार की काफी फजीहत हुई थी. जिसके बाद स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने की कवायद शुरू की गई. लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इतनी मौत होने के बावजूद अब तक स्वास्थ्य विभाग कुंभकरनी नींद में सो रहा है और एईएस जैसे खतरनाक बीमारी की रोकथाम के दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं हो रहा है.
अस्पताल में डॉ. की कमी
सिविल सर्जन ने बताया कि जिले के एईएस वार्ड में केवल एक डॉक्टर और दो कर्मी की तैनाती है. इस कारण इलाज करने में काफी परेशानी होगी. इसके लिए विभाग से पत्राचार कर प्रशिक्षित चिकित्सक और कर्मियों की तैनाती के लिए अनुशंसा की जाएगी. ताकि चमकी बुखार से पीड़ित मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जा सके और यह सब लॉक डाउन अवधि समाप्त होने के बाद ही संभव हो पाएगा.
लचर व्यवस्था को किया जाएगा सुदृढ़
पदभार ग्रहण करने के बाद ही सिविल सर्जन डॉ. आर सी एस वर्मा स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने में जुट गए हैं. उनके ओर से जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में जो खामियां है. उसे दूर करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिया गया है, ताकि लचर व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके और जरूरतमंद मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान की जा सके.