सीतामढ़ी: जिले के परसौनी और बेलसंड प्रखंड के 104 पीडीएस दुकानदारों ने पीडीएस ठेकेदार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है. दुकानदारों का आरोप है कि ठेकेदार के कर्मी और गोदाम के मैनेजर द्वारा आज कई माह से धांधली की जा रही है. डोर स्टोर में जो गड़बड़ी की जा रही है. उसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. इस बात से नाराज सभी 104 पीडीएस दुकानदारों ने प्रखंड के किसान भवन में जदयू के जिला अध्यक्ष राणा रणधीर सिंह से लिखित शिकायत की.
दुकानदारों का आरोप है कि जनता के वितरण के लिए जो खाद्यान्न सरकार देती है उसे तौल करने वाला तराजू जान-बूझकर खराब कर दिया गया है. तराजू के खराब होने का बहाना बनाकर प्रति बैग में 5 से 8 केजी अनाज कम दिया जा रहा है. वहीं, पलदारी के लिए निर्धारित प्रति बैग 2 रूपये का भुगतान ठेकेदार को करना है. लेकिन ठेकेदार के कर्मी द्वारा जबरन पलदारी की रकम पीडीएस दुकानदारों से वसूला जा रहा है. जान-बूझकर राज्य खाद्य निगम गोदाम का सीसीटीवी कैमरा भी खराब कर रखा गया है ताकि सच्चाई उजागर ना हो.
पैसों का बंदरबांट.
पीडीएस दुकानदारों ने बताया कि गोदाम पर जो कर्मी तैनात हैं उनके और मैनेजर के द्वारा प्रति बैग 200 रूपये की मांग की जाती है. इसके बावजूद 5 से 8 केजी प्रति बैग अनाज कम दिया जाता है. साथ ही एमओ और एसडीओ को भी खाद्यान्न उठाव के लिए 75 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से नजराना देना पड़ता है और इसकी रकम ऊपर तक जाती है.
जनता की शिकायत
वहीं, दोनों प्रखंड की जनता जो खाद्यान्न उठाव करती हैं. उनकी शिकायत है कि सरकार द्वारा 2 रूपये गेहूं और 3 रूपये केजी की दर से चावल मुहैया कराना है. लेकिन स्थानीय डीलरों के द्वारा जबरन 3 रूपये किलो गेहूं और 4 रूपये किलो चावल दिया जाता है. इस संबंध में डीलरों ने बताया कि ऊपर ही इतना ज्यादा धांधली है. पीडीएस दुकानदारों को ठेकेदार और अधिकारियों को पैसा पहुंचाना पड़ता है. ऊपर से 50 किलो अनाज के बदले 42 और 45 किलो ही अनाज प्रति बैग दिया जाता है. अगर जनता से प्रति केजी 1 रूपये नहीं लिया जाए तो यह पीडीएस दुकान बंद कर देना पड़ेगा. हम लोगों को ठेकेदार और अधिकारी लूट रहे हैं. तो हम लोगों की मजबूरी बन जाती है कि हम जनता से 1 रूपये लेकर उस घाटे की भरपाई करें.
जदयू जिलाध्यक्ष ने दिया आश्वासन
इस बात को गंभीरता से लेते हुए जदयू जिलाध्यक्ष ने पीडीएस दुकानदारों को आश्वासन दिया कि इसकी लिखित शिकायत एसडीओ, जिलाअधिकारी और संबंधित पदाधिकारी से की जाएगी. अगर इसके बावजूद भी दोषी ठेकेदार और उनके कर्मियों पर कार्रवाई नहीं होती है. तो इस विभाग के मंत्री और मुख्यमंत्री से भी फरियाद की जाएगी. ताकि गरीब जनता का हक ठेकेदार और कर्मी ना मार सके.