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तीन जिले की जनता को चचरी पुल का सहारा, गंभीर मरीजों को भी अस्पताल पहुंचाना मुश्किल

चचरी पुल के ऊपर से प्रतिदिन बाइक, साइकिल और पैदल राहगीर आवागमन करते है. लोग जान-जोखिम में डालकर यात्रा करने पड़ मजबूर है. यह मुख्य सड़क सीतामढ़ी से तरियानी, मीनापुर, मुजफ्फरपुर और शिवहर को जोड़ती है.

चचरी पुल
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Published : Aug 31, 2019, 11:24 PM IST

सीतामढ़ी: जिले को मुजफ्फरपुर और शिवहर से जोड़ने वाली सड़क तरियानी छपरा के मारर गांव के बीच बाढ़ के कारण ध्वस्त हो गई. इस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लिहाजा इस समस्या को देखते हुए कंसार गांव निवासी सुरेंद्र साह ने आवागमन सुचारू करने के लिए 30 हजार रुपये कर्ज लेकर ध्वस्त डायवर्जन के ऊपर चचरी पुल का निर्माण करवाया है.

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चचरी पुल से गुजरने को मजबुर है लोग

प्रतिदिन 5 हजार राहगीर करते हैं सफर

चचरी पुल के ऊपर से प्रतिदिन बाइक, साइकिल और पैदल राहगीर आते-जाते करते है. लोग जान-जोखिम में डालकर यात्रा करने पड़ मजबूर हैं. यह मुख्य सड़क सीतामढ़ी से तरियानी, मीनापुर, मुजफ्फरपुर और शिवहर को जोड़ती है. पुलिस वाहन हो या एंबुलेंस कोई भी इमरजेंसी गाड़ी इस मार्ग से नहीं गुजर पाती है. वहीं, दो जिले की सीमा रेखा होने के कारण आज तक इस डायवर्जनकी मरम्मती का कार्य ठप पड़ा है.

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कर्ज लेकर सुरेंद्र साह ने करवाया चचरी पुल का निर्माण

2017 की बाढ़ में पुल हुआ था ध्वस्त

डायवर्जन के निकट बन रहा पुल वर्ष 2017 में बाढ़ की तेज धारा में बहकर ध्वस्त हो गया था. लेकिन 2 वर्ष बीतने के बावजूद भी उस पुल का निर्माण नहीं कराया जा सका. इस कारण लोगों को प्रतिदिन उसी पुल के समीप बने डायवर्जन से आना-जाना करना पड़ता था, और वह भी डायवर्जन इस बार की बाढ़ में पूरी तरीके से बर्बाद हो चुका है. लेकिन प्रशासन के तरफ से आज तक इसकी मरम्मती नहीं कराई गई है.

प्रतिदिन 5 हजार राहगीर करते हैं इस पुल से आवागमन

गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल

डायवर्जन के क्षतिग्रस्त होने के कारण कई महीनों से यहां वाहनों का परिचालन पूरी तरह से बंद है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी गंभीर रूप से बीमार मरीज, स्कूली बच्चे और पुलिस को उठानी पड़ रही है. अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल बाइक से पहुंचाते है और वापस लाते है. लेकिन प्रशासन के तरफ से आज तक इन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं पहुंचाई गई है.

सीतामढ़ी: जिले को मुजफ्फरपुर और शिवहर से जोड़ने वाली सड़क तरियानी छपरा के मारर गांव के बीच बाढ़ के कारण ध्वस्त हो गई. इस कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लिहाजा इस समस्या को देखते हुए कंसार गांव निवासी सुरेंद्र साह ने आवागमन सुचारू करने के लिए 30 हजार रुपये कर्ज लेकर ध्वस्त डायवर्जन के ऊपर चचरी पुल का निर्माण करवाया है.

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चचरी पुल से गुजरने को मजबुर है लोग

प्रतिदिन 5 हजार राहगीर करते हैं सफर

चचरी पुल के ऊपर से प्रतिदिन बाइक, साइकिल और पैदल राहगीर आते-जाते करते है. लोग जान-जोखिम में डालकर यात्रा करने पड़ मजबूर हैं. यह मुख्य सड़क सीतामढ़ी से तरियानी, मीनापुर, मुजफ्फरपुर और शिवहर को जोड़ती है. पुलिस वाहन हो या एंबुलेंस कोई भी इमरजेंसी गाड़ी इस मार्ग से नहीं गुजर पाती है. वहीं, दो जिले की सीमा रेखा होने के कारण आज तक इस डायवर्जनकी मरम्मती का कार्य ठप पड़ा है.

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कर्ज लेकर सुरेंद्र साह ने करवाया चचरी पुल का निर्माण

2017 की बाढ़ में पुल हुआ था ध्वस्त

डायवर्जन के निकट बन रहा पुल वर्ष 2017 में बाढ़ की तेज धारा में बहकर ध्वस्त हो गया था. लेकिन 2 वर्ष बीतने के बावजूद भी उस पुल का निर्माण नहीं कराया जा सका. इस कारण लोगों को प्रतिदिन उसी पुल के समीप बने डायवर्जन से आना-जाना करना पड़ता था, और वह भी डायवर्जन इस बार की बाढ़ में पूरी तरीके से बर्बाद हो चुका है. लेकिन प्रशासन के तरफ से आज तक इसकी मरम्मती नहीं कराई गई है.

प्रतिदिन 5 हजार राहगीर करते हैं इस पुल से आवागमन

गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल

डायवर्जन के क्षतिग्रस्त होने के कारण कई महीनों से यहां वाहनों का परिचालन पूरी तरह से बंद है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी गंभीर रूप से बीमार मरीज, स्कूली बच्चे और पुलिस को उठानी पड़ रही है. अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल बाइक से पहुंचाते है और वापस लाते है. लेकिन प्रशासन के तरफ से आज तक इन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं पहुंचाई गई है.

Intro:तीन जिले की हजारों जनता को चचरी पुल का सहारा। जान जोखिम में डालकर करते है पुल पार। Body: सीतामढ़ी जिला को मुजफ्फरपुर और शिवहर से जोड़ने वाली सड़क तरियानी छपरा और मारर गांव के बीच 13 जुलाई को आई बाढ़ की विभीषिका में डायवर्सन ध्वस्त हो गया था। जिस कारण करीब 10 रोज तक आवागमन का साधन केवल नाव था। लेकिन पानी उतरने के बाद नाव का परिचालन भी बंद हो गया। दलदल और कीचड़ के कारण पैदल और बाइक सवार यात्रियों के लिए यात्रा करना मुश्किल था। लिहाजा इसे देखते हुए कंसार गांव निवासी सुरेंद्र साह ने आवागमन सुचारू करने के लिए ₹30000 कर्ज लेकर इस ध्वस्त डायवर्शन के ऊपर चचरी पुल का निर्माण किया। इसके बाद इस मार्ग पर पैदल बाइक और साइकिल सवारों का आवागमन बहाल हो गया। हालाकी चार चक्का वाहनों का परिचालन अभी भी पूरी तरीके से बाधित है।
प्रतिदिन 5 हजार राहगीर करते हैं सफर।
इस चचरी पुल के ऊपर से प्रतिदिन बाइक, साइकिल और पैदल राहगीर 5000 से ज्यादा आते जाते हैं। और उन्हें जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ रही है। यह मुख्य सड़क सीतामढ़ी से तरियानी, मीनापुर, मुजफ्फरपुर और तरियानी से शिवहर को जोड़ती है। पुलिस वाहन हो या एंबुलेंस कोई भी इमरजेंसी गाड़ी आज की परिस्थिति में इस मार्ग से नही गुजर पाती है। वंही दो जिले की सीमा रेखा होने के कारण आज तक इस डायवर्शन की मरम्मती कार्य ठंडे बस्ते में पड़ा है। डायवर्सन का उत्तरी किनारा सीतामढ़ी जिले और दक्षिणी किराना शिवहर जिले के तहत आता है । इसलिए ना तो अभी सीतामढ़ी जिला प्रशासन और ना ही शिवहर जिला प्रशासन की ओर से इस बड़ी समस्या पर विचार किया गया है। और इसका खामियाजा प्रतिदिन हजारों लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
वर्ष 2017 की बाढ़ में पुल हुआ था ध्वस्त।
डायवर्सन के निकट बन रहा पुल वर्ष 2017 में बाढ़ की तेज धारा में बह कर ध्वस्त हो गया था। 2 वर्ष बीतने के बावजूद उस पुल का निर्माण पुनः शुरू नही किया जा सका। लिहाजा हजारों लोगों को प्रतिदिन उसी पुल के समीप डायवर्सन से आना-जाना करना पड़ता था। और वह भी डायवर्सन इस बार की बाढ़ में पूरी तरीके से कटकर बर्बाद हो चुका है। इसके बावजूद उस डायवर्सन की मरम्मत प्रशासन की ओर से नहीं कराई जा रही है। लिहाजा आम जनता इस परेशानी को बेवजह झेलने को मजबूर है।
पैसा देकर होते हैं पार।
चचरी पुल निर्माण करने वाला सुरेंद्र ने बताया कि हम कर्ज लेकर इस पुल का निर्माण किए है। इसे बनाने में करीब 30000 की लागत आई है। इस वजह से हम इसके ऊपर से गुजरने वाले राहगीरों से कुछ सहायता की राशि देने का अनुरोध करता है। जो देते हैं उसे मैं स्वेच्छा से रख लेता हूं। जो नहीं देते हैं उनके ऊपर दबाव भी नहीं डालते है।
गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल।:_____
इस डायवर्शन के क्षतिग्रस्त होने के कारण महीनों से चार चक्का वाहनों का परिचालन पूरी तरह से बंद है। और इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गंभीर रूप से बीमार मरीज, स्कूली बच्चे और पुलिस को उठानी पड़ रही है।क्योंकि थाना से घटनास्थल दूर होने के कारण सूचना के बावजूद भी पुलिस चार चक्के वाहन से वहां नहीं पहुंच पाती है। उन्हें बाइक या पैदल ही चचरी पुल पार करना होता है। उसी तरह बीमार मरीजों को भी अस्पताल पहुंचाने के लिए लंबी दूरी की रास्ते से ले जाना होता है।साथ ही स्कूली बच्चों के अभिभावक को भी फिलहाल अपने बच्चों को बाइक से ही स्कूल पहुंचाना मजबूरी बन गई है।
बाइट 1. विनोद कुमार। बाइक सवार यात्री। सिंगल।
बाइट 2. बाइक सवार यात्री। डबल।
बाइट 3. सुरेंद्र साह। चचरी पुल बनाने वाला युवक।झोपड़ी में।
विजुअल 4,5,6,7,8,9Conclusion:बागमती में आई भीषण बाढ़ के कारण प्रत्येक वर्ष इस डायवर्शन के निकट आम लोगों को महीनों परेशानी उठानी पड़ती है । अगर सुरेंद्र चचरी पुल का निर्माण नहीं करता तो अब तक पैदल, बाइक या साइकिल से गुजरना भी संभव नहीं होता।
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