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जानिए, क्यों आज भी महिलाएं गीत गा कर देती हैं प्रभु श्री राम को गालियां

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Published : Aug 5, 2020, 6:00 AM IST

आज देशभर में राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर उत्साह है. वहीं, प्रभु श्री राम की ससुराल यानी सीतामढ़ी में ये उत्साह दोगुना हो जाता है. यहां महिलाएं आप जमाई के लिए गीत गाकर खुशी जाहिर करेंगी. लेकिन इन गीतों में मिठास के साथ-साथ गालियां भी होगी.

देखें सीतामढ़ी से खास रिपोर्ट
देखें सीतामढ़ी से खास रिपोर्ट

सीतामढ़ीः त्रेता काल से ही श्री राम जन्मभूमि अयोध्या और मां जगत जननी जानकी जन्मभूमि सीतामढ़ी यानी मिथिला का अटूट संबंध कायम है. संपूर्ण मिथिला क्षेत्र भगवान श्रीराम का ससुराल कहा जाता है. इसलिए मिथिलावासी भगवान श्री राम को अपना जीजा यानी पाहुन मानते हैं. जिससे शादी विवाह के आयोजनों पर भगवान श्री राम के ऊपर गालियों वाला गायन प्रस्तुत किया जाता है. यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है जो द्वापर युग के बाद कलयुग में भी जारी है.

भगवान श्री राम के विवाह की कथा
कथाओं के अनुसार त्रेता काल में मिथिला के राजा जनक ने माता सीता के स्वंयवर का आयोजन किया था. शर्त यह रखी गई थी कि जो भी भगवान शिव का घनुष उठा लेगा उसी को माता सीता वरेंगी. जिसमें भगवान श्री राम ने पहुंचकर शिव जी का धनुष तोड़ दिया और माता सीता के साथ विवाह सूत्र में बंध गए. तब से मिथिलांचल और अयोध्या का अटूट रिश्ता कायम है.

देखें सीतामढ़ी से खास रिपोर्ट

निभाई जाती है परंपरा
हर साल विवाह पंचमी के अवसर पर अयोध्या से चलकर बारात सीतामढ़ी और जनकपुर पहुंचती है. उस बारात में शामिल अयोध्या वासियों को मिथिला की महिलाएं गालियां देती हैं जो राजा रामचंद्र जी के शादी के दौरान बारातियों को दिए गए थे. इसके अलावा अन्य धार्मिक आयोजनों पर भी भगवान श्री राम और जगत जननी मां जानकी के नाम से गायन प्रस्तुत किया जाता है जो बेहद ही मनमोहक होते हैं.

गाली गायन करती हैं महिलाएं
गाली गायन करती हैं महिलाएं

जीजा साले का रिश्ता
मां जगत जननी जानकी की जन्म स्थली के प्रधान पुजारी त्रिलोकी दास और शास्त्री भवेश झा ने बताया कि अयोध्या और मिथिला का जीजा और साले का रिश्ता है. जिससे मिथिलांचल की महिलाएं आज भी विवाह समारोह के दौरान भगवान श्री राम के ऊपर गालियां देते हुए गाना गाती है. उन्होंने बताया कि हर साल यह परंपरा निभाई जाती है.

माता सीता की पालकी
माता सीता की पालकी

मंदिर निर्माण से खुश हैं जिलेवासी
5 अगस्त को राम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला मंदिर के निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करेंगे. इसको लेकर मां जगत जननी जानकी जन्मस्थली सीतामढ़ी में काफी खुशी देखी जा रही है. मिथिला की महिलाओं ने कहा कि प्रभु श्री राम मिथिला के जीजा हैं और उनके लिए मंदिर निर्माण हो रहा है. इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है कि मंदिर में जीजा श्री राम के साथ बहन जानकी का भी निवास होगा.

मनाया जाएगा दीपोत्सव
महिलाओं ने बताया कि हमलोगों को राम मंदिर के निर्माण का बरसों से इंतजार था इसलिए 5 अगस्त की शाम को संपूर्ण जिले में दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा. साथ ही भगवान श्री राम और माता सीता से जुड़े गायन प्रस्तुत किए जाएंगे. मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन होगा. हालांकि लॉकडाउन और बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर भव्य रुप से कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा सकेगा जिसका जिलेवासियों को मलाल है.

मां जानकी मंदिर की प्रतिमाएं
मां जानकी मंदिर की प्रतिमाएं

माता सीता के जन्म की कहानी
कथाओं के अनुसार अनावृष्टि के कारण जिले में अकाल की स्थिति पैदा हो गई थी. तब महर्षियों और साधुओं ने यहां यज्ञ का आयोजन किया. यज्ञ भूमि पर सोने का हल चलाने के लिए राजा जनक सीतामढ़ी के हलेश्वर स्थान से चले तो एक घड़े से हल का आगे का भाग सटा और उसी से सीता प्रकट हुईं. मुजफ्फरपुर-रक्सौल रेलखंड पर स्थित सीतामढ़ी का नाम माता सीता के यहां प्रकट होने के कारण ही पड़ा.

सीतामढ़ीः त्रेता काल से ही श्री राम जन्मभूमि अयोध्या और मां जगत जननी जानकी जन्मभूमि सीतामढ़ी यानी मिथिला का अटूट संबंध कायम है. संपूर्ण मिथिला क्षेत्र भगवान श्रीराम का ससुराल कहा जाता है. इसलिए मिथिलावासी भगवान श्री राम को अपना जीजा यानी पाहुन मानते हैं. जिससे शादी विवाह के आयोजनों पर भगवान श्री राम के ऊपर गालियों वाला गायन प्रस्तुत किया जाता है. यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है जो द्वापर युग के बाद कलयुग में भी जारी है.

भगवान श्री राम के विवाह की कथा
कथाओं के अनुसार त्रेता काल में मिथिला के राजा जनक ने माता सीता के स्वंयवर का आयोजन किया था. शर्त यह रखी गई थी कि जो भी भगवान शिव का घनुष उठा लेगा उसी को माता सीता वरेंगी. जिसमें भगवान श्री राम ने पहुंचकर शिव जी का धनुष तोड़ दिया और माता सीता के साथ विवाह सूत्र में बंध गए. तब से मिथिलांचल और अयोध्या का अटूट रिश्ता कायम है.

देखें सीतामढ़ी से खास रिपोर्ट

निभाई जाती है परंपरा
हर साल विवाह पंचमी के अवसर पर अयोध्या से चलकर बारात सीतामढ़ी और जनकपुर पहुंचती है. उस बारात में शामिल अयोध्या वासियों को मिथिला की महिलाएं गालियां देती हैं जो राजा रामचंद्र जी के शादी के दौरान बारातियों को दिए गए थे. इसके अलावा अन्य धार्मिक आयोजनों पर भी भगवान श्री राम और जगत जननी मां जानकी के नाम से गायन प्रस्तुत किया जाता है जो बेहद ही मनमोहक होते हैं.

गाली गायन करती हैं महिलाएं
गाली गायन करती हैं महिलाएं

जीजा साले का रिश्ता
मां जगत जननी जानकी की जन्म स्थली के प्रधान पुजारी त्रिलोकी दास और शास्त्री भवेश झा ने बताया कि अयोध्या और मिथिला का जीजा और साले का रिश्ता है. जिससे मिथिलांचल की महिलाएं आज भी विवाह समारोह के दौरान भगवान श्री राम के ऊपर गालियां देते हुए गाना गाती है. उन्होंने बताया कि हर साल यह परंपरा निभाई जाती है.

माता सीता की पालकी
माता सीता की पालकी

मंदिर निर्माण से खुश हैं जिलेवासी
5 अगस्त को राम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला मंदिर के निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करेंगे. इसको लेकर मां जगत जननी जानकी जन्मस्थली सीतामढ़ी में काफी खुशी देखी जा रही है. मिथिला की महिलाओं ने कहा कि प्रभु श्री राम मिथिला के जीजा हैं और उनके लिए मंदिर निर्माण हो रहा है. इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या हो सकती है कि मंदिर में जीजा श्री राम के साथ बहन जानकी का भी निवास होगा.

मनाया जाएगा दीपोत्सव
महिलाओं ने बताया कि हमलोगों को राम मंदिर के निर्माण का बरसों से इंतजार था इसलिए 5 अगस्त की शाम को संपूर्ण जिले में दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा. साथ ही भगवान श्री राम और माता सीता से जुड़े गायन प्रस्तुत किए जाएंगे. मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन होगा. हालांकि लॉकडाउन और बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर भव्य रुप से कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा सकेगा जिसका जिलेवासियों को मलाल है.

मां जानकी मंदिर की प्रतिमाएं
मां जानकी मंदिर की प्रतिमाएं

माता सीता के जन्म की कहानी
कथाओं के अनुसार अनावृष्टि के कारण जिले में अकाल की स्थिति पैदा हो गई थी. तब महर्षियों और साधुओं ने यहां यज्ञ का आयोजन किया. यज्ञ भूमि पर सोने का हल चलाने के लिए राजा जनक सीतामढ़ी के हलेश्वर स्थान से चले तो एक घड़े से हल का आगे का भाग सटा और उसी से सीता प्रकट हुईं. मुजफ्फरपुर-रक्सौल रेलखंड पर स्थित सीतामढ़ी का नाम माता सीता के यहां प्रकट होने के कारण ही पड़ा.

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