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लॉकडाउन में ठप है मिट्टी के बर्तनों का कारोबार, भुखमरी की कगार पर हैं कुम्हार - लॉकडाउन इफेक्ट

लॉकडाउन ने आम लोगों की कमर तोड़कर रख दी है. ऐसे में कुम्हारों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उनका हाल-बेहाल है.

लॉकडाउन के कारण कुम्हारों की हालत खराब
लॉकडाउन के कारण कुम्हारों की हालत खराब
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Published : May 31, 2020, 4:10 PM IST

सीतामढ़ी: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन जारी है. इसका व्यापक प्रभाव आम जन जीवन पर पड़ा है. लोगों के सामने रोजगार के साथ-साथ खाने पीने का संकट आन पड़ा है. ऐसे में मिट्टी का बर्तन बनाकर अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले दर्जनों परिवार भुखमरी के कगार पर आ चुके हैं.

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लॉकडाउन के कारण कुम्हारों की हालत खराब

पहले ही ये कुम्हार आधुनिकता की मार झेल रहे थे. अब देशव्यापी लॉकडाउन ने इनकी समस्या और बढ़ा दी है. इनका व्यापार पूरा ठप पड़ा हुआ है. डुमरा प्रखंड के सिमरा गांव के तकरीबन एक दर्जन परिवार इसी तरह मिट्टी का बर्तन बनाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. मौजूदा समय में इनकी हालत बेहद खराब है.

sitamarhi
नहीं बिक रहे कुम्हारों के सामान

सरकार और प्रशासन से अब तक नहीं मिली मदद
डुमरा प्रखंड के सिमरा गांव में मिट्टी का बर्तन बनाने वाले मजदूरों का कहना है कि इनको अब तक सरकार और जिला प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिली है. यहां तक कि इन्हें प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत जो 1,000 रुपये मिलते हैं वह रुपया भी नहीं मिल सका है. मिट्टी का बर्तन बनाने वाले इन परिवारों को अब तक पीडीएस दुकानदारों की ओर से खाद्यान भी नहीं दिया गया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सता रही भविष्य की चिंता
इन परिवारों का कहना है कि अब इन्हें आने वाले दिनों की चिंता सता रही है. सिमरा गांव में मिट्टी का बर्तन बनाकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले भदही का कहना है कि लॉकडाउन के बाद उनका परिवार दाने-दाने का मोहताज हो गया है. ऐसे में उनके पास सरकार का मुंह ताकने के सिवा कोई और विकल्प नहीं है.

सीतामढ़ी: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देशभर में लॉकडाउन जारी है. इसका व्यापक प्रभाव आम जन जीवन पर पड़ा है. लोगों के सामने रोजगार के साथ-साथ खाने पीने का संकट आन पड़ा है. ऐसे में मिट्टी का बर्तन बनाकर अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले दर्जनों परिवार भुखमरी के कगार पर आ चुके हैं.

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लॉकडाउन के कारण कुम्हारों की हालत खराब

पहले ही ये कुम्हार आधुनिकता की मार झेल रहे थे. अब देशव्यापी लॉकडाउन ने इनकी समस्या और बढ़ा दी है. इनका व्यापार पूरा ठप पड़ा हुआ है. डुमरा प्रखंड के सिमरा गांव के तकरीबन एक दर्जन परिवार इसी तरह मिट्टी का बर्तन बनाकर अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. मौजूदा समय में इनकी हालत बेहद खराब है.

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नहीं बिक रहे कुम्हारों के सामान

सरकार और प्रशासन से अब तक नहीं मिली मदद
डुमरा प्रखंड के सिमरा गांव में मिट्टी का बर्तन बनाने वाले मजदूरों का कहना है कि इनको अब तक सरकार और जिला प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिली है. यहां तक कि इन्हें प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत जो 1,000 रुपये मिलते हैं वह रुपया भी नहीं मिल सका है. मिट्टी का बर्तन बनाने वाले इन परिवारों को अब तक पीडीएस दुकानदारों की ओर से खाद्यान भी नहीं दिया गया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सता रही भविष्य की चिंता
इन परिवारों का कहना है कि अब इन्हें आने वाले दिनों की चिंता सता रही है. सिमरा गांव में मिट्टी का बर्तन बनाकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले भदही का कहना है कि लॉकडाउन के बाद उनका परिवार दाने-दाने का मोहताज हो गया है. ऐसे में उनके पास सरकार का मुंह ताकने के सिवा कोई और विकल्प नहीं है.

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