सीतामढ़ी: जिले के चंदौली गांव के समीप बागमती नदी पर बने चचरी पुल पर पैदल, साइकिल और बाइक सवार के अलावा धड़ल्ले से ई-रिक्शा का परिचालन किया जा रहा है. यह चचरी पुल सीतामढ़ी को शिवहर और मुजफ्फरपुर से जोड़ता है. रोज इस चचरी पुल के सहारे सैकड़ों यात्रियों का आना जाना होता है.
पुल नहीं होने के कारण ई रिक्शा जैसे वाहनों के चालक जान जोखिम में डालकर चचरी पुल से वाहन को बागमती नदी के पार ले जाते हैं. ई रिक्शा के चालक मोहम्मद इरफान ने कहा कि बागमती नदी पर वर्षों से पुल का निर्माण अधर में लटका है. दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के लिए रोज जान जोखिम में डालकर चचरी पुल पार करना पड़ता है. इस दौरान हादसे का डर बना रहता है. दूसरा कोई विकल्प नहीं है. इसलिए रोज इसी तरह चचरी पुल पार करना नियति बन गई है.
"ई-रिक्शा लेकर चचरी पुल पर चढ़ने से डर लगता है, लेकिन क्या करें? पेट के लिए कुछ न कुछ करना पड़ेगा. बहुत खतरा है, लेकिन जाना पड़ता है."- मोहम्मद इरफान, ई रिक्शा चालक
6 माह चचरी पुल और 6 माह नाव से करते हैं नदी पार
स्थानीय लोगों ने बताया कि बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा पिछले 4 साल से चचरी पुल से 500 मीटर की दूरी पर पुल का निर्माण कराया जा रहा है. विभागीय उदासीनता के कारण निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. इसलिए 6 माह चचरी पुल और 6 माह नाव के सहारे 3 जिलों के लोग आते-जाते हैं. आस-पास के गांव के किसान अपने खेतों में जाने और मवेशियों के लिए चारा लाने के लिए चचरी पुल और नाव का इस्तेमाल करते हैं.
इतनी कठिनाई के बावजूद सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन के पदाधिकारी इस समस्या के समाधान की दिशा में पहल नहीं कर रहे. लिहाजा ई रिक्शा का परिचालन हो या बाइक, साइकिल और पैदल सवारी सभी को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे ज्यादा बुरा हाल मरीजों का होता है. मरीज को पुल के अभाव में समय पर अस्पताल पहुंचाना बेहद मुश्किल होता है. इसलिए कई बीमार लोगों की जान अस्पताल पहुंचने से पहले ही जा चुकी है.
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"चचरी पुल के सहारे नदी पार कर पढ़ने जाती हूं. बाढ़ के दिनों में अधिक खतरा होता है. उस समय डेंगी (छोटी नाव) के सहारे नदी पार करना पड़ता है."- अनिता कुमारी, छात्रा
हर साल बाढ़ में बह जाता है चचरी पुल
प्रत्येक वर्ष बागमती नदी पर चचरी पुल का निर्माण स्थानीय जन सहयोग से कराया जाता है. बाढ़ आने पर यह ध्वस्त हो जाता है, जिसके बाद नदी की उफनती धारा को लोग नाव से पार करते हैं. इसके चलते नाव हादसे भी होते हैं. इसके बावजूद पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा. इसको लेकर लोगों में नाराजगी है.