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सीतामढ़ी: बाढ़ की विभीषिका में सबकुछ गंवा चुके लोगों ने DM से स्कूल फी माफ करने की लगाई गुहार

सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले के16 प्रखंड के 179 पंचायतों में करीब 17 लाख लोग प्रभावित हुए थे. बाढ़ का दौरान जिले के डीएम के आदेश पर निजी और सरकारी विद्यालयों को बंद कर दिया गया था. बाढ़ पीड़ित अभिभावकों का कहना है कि जून माह में प्रचंड गर्मी और जुलाई में बाढ़ के तबाही के कारण दो माह तक पठन-पाठन भी प्रभावित रहा था.

निजी वाहनों से स्कुल जाते बच्चे
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Published : Aug 1, 2019, 4:37 PM IST

सीतामढ़ी: बाढ़ के कारण जिले के 16 प्रखंड के 179 पंचायतों में करीब 17 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. बाढ़ के दौरान जिले के डीएम के आदेश पर निजी और सरकारी विद्यालयों को बंद कर दिया गया था. बाढ़ का पानी इलाके से धीरे-धीरे निकल रहा है. जनजीवन सामान्य हो रहा है. अब अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ा रहे अभिभावकों के सामने आर्थिक समस्‍या खड़ी हो गई है. ऐसे में अब अभिभावक डीएम और स्थानीय नेताओं से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

दो माह तक बंद रहा स्कूल
बाढ़ पीड़ित अभिभावकों का कहना है कि जून माह में प्रचंड गर्मी और जुलाई में बाढ़ के तबाही के कारण दो माह तक पठन-पाठन भी प्रभावित रहा. ऐसी दुख की घड़ी में विद्यालयों का ट्रांसपोर्ट चार्ज देना हमलोगों के बस की बात नहीं है. इस बाढ़ की विभीषिका में उनका सब कुछ बर्बाद हो गया. ऐसे में स्कूल का चार्ज देना उनके लिए बहुत ही मुश्किल है.

ट्रांसपोर्ट चार्ज माफ करने की गुहार लगाते बाढ़ पीड़ित अभिभावक

अभिभावकों की मांग जायज- डीएम
मामले पर जिलाधिकारी रंजीत कुमार सिंह का कहना है कि उनकी मांग जायज है. इस संबंध में स्कूल एसोसिएशन के साथ बैठक कर इस मांग को रखा जाएगा. कोशिश होगी कि अभिभावकों को हर संभव मदद दी जाए.

'अभिभावकों की मांग पर होगा विचार'
मामले पर बोलते हुए जदयू जिलाध्यक्ष राणा रणधीर सिंह ने कहा कि अभिभावकों ने दो माह के ट्रांसपोर्ट चार्ज माफ करने की बात कही है. उनकी मांग जायज है. इस तबाही में अपना सब कुछ खो देने के बाद उनके बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित हुआ. उनके सामने आर्थिक समस्‍या खड़ी हो गई है. इसलिए इस बात को जिलाधिकारी के सामने रखकर सकारात्मक पहल की जाएगी.

सीतामढ़ी: बाढ़ के कारण जिले के 16 प्रखंड के 179 पंचायतों में करीब 17 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. बाढ़ के दौरान जिले के डीएम के आदेश पर निजी और सरकारी विद्यालयों को बंद कर दिया गया था. बाढ़ का पानी इलाके से धीरे-धीरे निकल रहा है. जनजीवन सामान्य हो रहा है. अब अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ा रहे अभिभावकों के सामने आर्थिक समस्‍या खड़ी हो गई है. ऐसे में अब अभिभावक डीएम और स्थानीय नेताओं से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

दो माह तक बंद रहा स्कूल
बाढ़ पीड़ित अभिभावकों का कहना है कि जून माह में प्रचंड गर्मी और जुलाई में बाढ़ के तबाही के कारण दो माह तक पठन-पाठन भी प्रभावित रहा. ऐसी दुख की घड़ी में विद्यालयों का ट्रांसपोर्ट चार्ज देना हमलोगों के बस की बात नहीं है. इस बाढ़ की विभीषिका में उनका सब कुछ बर्बाद हो गया. ऐसे में स्कूल का चार्ज देना उनके लिए बहुत ही मुश्किल है.

ट्रांसपोर्ट चार्ज माफ करने की गुहार लगाते बाढ़ पीड़ित अभिभावक

अभिभावकों की मांग जायज- डीएम
मामले पर जिलाधिकारी रंजीत कुमार सिंह का कहना है कि उनकी मांग जायज है. इस संबंध में स्कूल एसोसिएशन के साथ बैठक कर इस मांग को रखा जाएगा. कोशिश होगी कि अभिभावकों को हर संभव मदद दी जाए.

'अभिभावकों की मांग पर होगा विचार'
मामले पर बोलते हुए जदयू जिलाध्यक्ष राणा रणधीर सिंह ने कहा कि अभिभावकों ने दो माह के ट्रांसपोर्ट चार्ज माफ करने की बात कही है. उनकी मांग जायज है. इस तबाही में अपना सब कुछ खो देने के बाद उनके बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित हुआ. उनके सामने आर्थिक समस्‍या खड़ी हो गई है. इसलिए इस बात को जिलाधिकारी के सामने रखकर सकारात्मक पहल की जाएगी.

Intro:जिले के बाढ़ पीड़ित अभिभावकों ने स्कूलों के ट्रांसपोर्ट फीस माफ कराने के लिए डीएम और जद यू जिला अध्यक्ष से लगाई गुहार। Body: जिले में 13 जुलाई से 16 प्रखंडों की जनता बाढ़ की भारी तबाही झेल रही है। और इस तबाही के बीच अपना सब कुछ खो देने के बाद उनके बच्चों का पठन-पाठन भी प्रभावित रहा है। जून माह में प्रचंड गर्मी के कारण निजी और सरकारी विद्यालय बंद कर दिया गया था। इसके बाद 13 जुलाई से जब जिले में बाढ़ की तबाही आई थी।
उसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर धारा 144 लागू कर सभी शिक्षण संस्थाओं को बंद करने का निर्देश जारी किया गया था। अब पानी उतरने के बाद 28 जुलाई से पुनः विद्यालय को संचालित करने का आदेश पारित किया गया है। विद्यालय खुलने के बाद निजी विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों के सामने अब आर्थिक परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। अभिभावकों का कहना है कि प्रचंड गर्मी और बाढ़ के कारण करीब 2 माह तक विद्यालय बंद रहा है। ऐसे हालात में निजी स्कूल संचालकों को ट्रांसपोर्ट फीस माफ कर देना चाहिए। क्योंकि हम बाढ़ पीड़ित अभिभावक ट्रांसपोर्ट भी देने में सक्षम नही है। अभिभावकों ने यह बताया कि इस बाढ़ की विभीषिका में उनका नगदी, अनाज, घर और मवेशी सब कुछ बर्बाद हो चुका है। इसलिए ऐसी दुख की घड़ी में विद्यालयों में ट्रांसपोर्ट चार्ज देना हमलोगों के बस की बात नहीं है। ट्रांसपोर्ट फी माफ करने के लिए जिले के सैकड़ों अभिभावकों ने जदयू के जिलाध्यक्ष और डीएम डॉ रंजीत कुमार सिंह से अनुरोध किया है कि स्कूलों से वार्ता कर उनके बच्चों का ट्रांसपोर्ट फी माफ करा दिया जाए।जिससे उन्हें काफी राहत मिलेगी। इस बाबत पूछे जाने पर जदयू जिलाध्यक्ष राणा रणधीर सिंह ने बताया कि अभिभावकों की ओर से इस बात के लिए अनुरोध किया गया है। और यह उनकी मांग जायज है। इसके लिए जिलाधिकारी से वार्ता की जाएगी। वही इस संबंध में पूछे जाने पर डीएम रंजीत कुमार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि अभिभावकों की मांग जायज है। और हम इसके लिए स्कूल के एसोसिएशन के साथ बैठक कर इस मांग को रखेंगे। और मेरी कोशिश होगी कि पीड़ित अभिभावकों की मांग पूरी हो। और ट्रांसपोर्ट चार्ज माफ कर दिया जाए। बाइट 1. आदित्य कुमार हिमांशु अभिभावक। बाइट 2. राम नरेश चौधरी छात्र छात्रा के अभिभावक। बाइट 3. राणा रणधीर सिंह जदयू जिलाध्यक्ष सीतामढ़ी (लाल कुर्ता में) बाइट 4. रंजीत कुमार सिंह। डीएम सीतामढ़ी। काला शर्ट में। पी टू सी 5. विजुअल 6,7,8Conclusion:पी टू सी राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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