सीतामढ़ी: कोरोना संक्रमण को लेकर घोषित लॉकडाउन का व्यापक असर बंजारा घुमंतू परिवारों पर सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. भूमिहीन और बेघर इन परिवारों के सामने भुखमरी की समस्या बनी हुई है. ये घुमंतू परिवार अपने भरण-पोषण के लिए गांव जाकर भिक्षाटन करते थे, लेकिन लॉकडाउन का विस्तार होने से इनकी मुश्किल बढ़ चुकी है. इन तक किसी प्रकार की सरकारी मदद नहीं पहुंच रही है. लिहाजा इनके तंबू में चूल्हा जलना दूभर हो गया है.
जिले के कोठी चौक बाजार पर 40 घुमंतू परिवार फरवरी महीने से डेरा डाले हुए है. यह परिवार वैशाख महीने में अनाज मांगने के लिए प्रत्येक वर्ष यहां डेरा डालता है. लेकिन इस बार परिस्थिति प्रतिकूल है. भिक्षा नहीं मिलने से इनके सामने भुखमरी मुंह बाय खड़ी है.
भोजन की विकराल समस्या झेल रहे घुमंतू
इन सभी बंजारा परिवार के सदस्यों का बताना है कि हम भोजन की विकराल समस्या झेल रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से भिक्षा मांगने हम न गांवों तक पहुंच पा रहे हैं और न ही खाने की जुगाड़ करने के लिए जंगलों तक. इस वजह से न तो हमें राशन मिल पा रहा है न ही शहद से होने वाली आमदनी का पैसा आ रहा है. इतनी समस्या झेलने के बावजूद सरकार की ओर से हम लोगों को किसी प्रकार की मदद नहीं दी जा रही है.
क्या कहते हैं अधिकारी?
इस संबंध में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी अरविंद प्रताप साही ने बताया कि बंजारा समुदाय के 40 परिवार कोठी चौक पर डेरा डाले हुए हैं. लॉकडाउन के कारण उनका मुख्य पेशा भी बाधित है. इस परिवार की मदद के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि और समाजसेवियों की मदद से कुछ दिनों के लिए राशन मुहैया कराया गया था, लेकिन वह राशन इनकी संख्या के अनुपात में काफी कम था. ऐसे में खानपान की समस्या उत्पन्न होना स्वाभाविक है.