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नर्सिंग होम की करतूत- ऑपरेशन के दौरान गायब की यूटेरस, जांच में कई गड़बड़ियां उजागर - 2 डॉक्टरों के फर्जी प्रमाण पत्र मिले

सीतामढ़ी के निजी संजीवनी वेल केयर हॉस्पिटल में लापरवाही का मामला सामने आया है. सिविल सर्जन की जांच में खुलासा हुआ कि बच्चे को जन्म देने वाली दो महिला का ऑपरेशन के माध्यम से बच्चे तो पैदा किए गए. लेकिन दोनों महिलाओं का बच्चेदानी भी चोरी से निकाल लिया गया.

निजी नर्सिंग होम की लापरवाही आई सामने
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Published : Oct 22, 2019, 9:49 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 10:00 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में बिना मानक वाले निजी अस्पताल और नर्सिंग होम का संचालन लोगों की सेहत के लिए बड़ी समस्या बन गई है. कुछ ऐसा ही मामला निजी संजीवनी वेल केयर हॉस्पिटल का सामने आया है. जहां इस फर्जी नर्सिंग होम में बच्चेदानी गायब होने का मामला सामने आया है.

मामले का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के सचिव के निर्देश पर जिले के मेजरगंज में संचालित हॉस्पिटल में सिविल सर्जन ने मंगलवार की शाम छापेमारी की.

sitamarhi
ऑपरेशन के बाद महिला की निकाली बच्चेदानी

गर्भवती महिलाओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़
बता दें कि जिले में अवैध निजी नर्सिंग होम में बच्चेदानी गायब होने की खबर से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है. हाल ही में जिले के परिहार प्रखंड स्थित जनता अस्पताल में एक गर्भवती महिला की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया गया. झोलाछाप चिकित्सक की काली करतूत से बच्चे की मौत हो गई. वहीं इस मामले का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इसके तहत जिले के मेजरगंज प्रखंड में संचालित संजीवनी वेल केयर हॉस्पिटल में सिविल सर्जन के नेतृत्व में एक टीम गठित कर छापेमारी की गई. जहां जांच के बाद बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है.

निजी नर्सिंग होम की लापरवाही आई सामने

2 डॉक्टरों के प्रमाण पत्र फर्जी मिले
छापेमारी में उक्त नर्सिंग होम केंद्र संचालक की ओर से जांच को प्रभावित करने के लिए हंगामा भी किया. लेकिन जांच दल पर इसका कोई असर नहीं हुआ. जांच में खुलासा हुआ कि बच्चे को जन्म देने वाली दो महिला का ऑपरेशन के माध्यम से बच्चे तो पैदा किए गए. लेकिन दोनों महिलाओं की बच्चेदानी भी चोरी से निकाल ली गयी. वहीं नर्सिंग होम के मेडिसिन दुकान की जांच की गई तो कई ऐसी दवाएं और सुई मिली जो बैन हैं. इसके बाद नर्सिंग होम में डॉक्टरों के प्रमाणपत्र की जांच की गई तो, 2 डॉक्टरों के फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं. इतना ही नहीं नर्सिंग होम के संचालक को ऑपरेशन की जानकारी नहीं है. बावजूद इसके वो धड़ल्ले से ऑपरेशन कर रहे हैं.

दवा के नाम पर मरीजों से लूट
ऐसे में सवाल उठता है कि शासन की ओर से लोगों के इलाज के लिए जिला अस्पताल के अलावा ब्लॉक बार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित किए गए हैं. जबकि जिले में 1 जिला अस्पताल के साथ सभी 17 प्रखंडों में 1 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा 366 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं. इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से जिले में निजी नर्सिंग होम में मरीजों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. वहीं जिले में कई पंजीकृत अस्पतालों में मरीजों को दवा के नाम पर लूटा जा रहा है. जबकि, इसके लिए भी मानक निर्धारित किए गए हैं.

सीतामढ़ी: जिले में बिना मानक वाले निजी अस्पताल और नर्सिंग होम का संचालन लोगों की सेहत के लिए बड़ी समस्या बन गई है. कुछ ऐसा ही मामला निजी संजीवनी वेल केयर हॉस्पिटल का सामने आया है. जहां इस फर्जी नर्सिंग होम में बच्चेदानी गायब होने का मामला सामने आया है.

मामले का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के सचिव के निर्देश पर जिले के मेजरगंज में संचालित हॉस्पिटल में सिविल सर्जन ने मंगलवार की शाम छापेमारी की.

sitamarhi
ऑपरेशन के बाद महिला की निकाली बच्चेदानी

गर्भवती महिलाओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़
बता दें कि जिले में अवैध निजी नर्सिंग होम में बच्चेदानी गायब होने की खबर से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है. हाल ही में जिले के परिहार प्रखंड स्थित जनता अस्पताल में एक गर्भवती महिला की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया गया. झोलाछाप चिकित्सक की काली करतूत से बच्चे की मौत हो गई. वहीं इस मामले का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इसके तहत जिले के मेजरगंज प्रखंड में संचालित संजीवनी वेल केयर हॉस्पिटल में सिविल सर्जन के नेतृत्व में एक टीम गठित कर छापेमारी की गई. जहां जांच के बाद बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है.

निजी नर्सिंग होम की लापरवाही आई सामने

2 डॉक्टरों के प्रमाण पत्र फर्जी मिले
छापेमारी में उक्त नर्सिंग होम केंद्र संचालक की ओर से जांच को प्रभावित करने के लिए हंगामा भी किया. लेकिन जांच दल पर इसका कोई असर नहीं हुआ. जांच में खुलासा हुआ कि बच्चे को जन्म देने वाली दो महिला का ऑपरेशन के माध्यम से बच्चे तो पैदा किए गए. लेकिन दोनों महिलाओं की बच्चेदानी भी चोरी से निकाल ली गयी. वहीं नर्सिंग होम के मेडिसिन दुकान की जांच की गई तो कई ऐसी दवाएं और सुई मिली जो बैन हैं. इसके बाद नर्सिंग होम में डॉक्टरों के प्रमाणपत्र की जांच की गई तो, 2 डॉक्टरों के फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं. इतना ही नहीं नर्सिंग होम के संचालक को ऑपरेशन की जानकारी नहीं है. बावजूद इसके वो धड़ल्ले से ऑपरेशन कर रहे हैं.

दवा के नाम पर मरीजों से लूट
ऐसे में सवाल उठता है कि शासन की ओर से लोगों के इलाज के लिए जिला अस्पताल के अलावा ब्लॉक बार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित किए गए हैं. जबकि जिले में 1 जिला अस्पताल के साथ सभी 17 प्रखंडों में 1 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा 366 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं. इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से जिले में निजी नर्सिंग होम में मरीजों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. वहीं जिले में कई पंजीकृत अस्पतालों में मरीजों को दवा के नाम पर लूटा जा रहा है. जबकि, इसके लिए भी मानक निर्धारित किए गए हैं.

Intro:सीतामढ़ी, जिले में बीना मानक वाले निजी अस्पताल व नर्सिंग होम का संचालन लोगों की सेहत के लिए बड़ी समस्या बन गई है। स्वास्थ्य विभाग के सत्यापन में अधिकारीयो ने नियमों की अनदेखी कर अस्पतालों कार्य ईस्टर्न कर संतुष्टि कर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। तो वही अधिक लाभ कमाने के चक्कर में ऐसे नर्सिंग होम व निजी अस्पताल संचालकों की ओर से अपने बेहद कम संसाधन होने के बावजूद अधिक मरीजों को भर्ती करना सिर्फ उनका शोषण किया कर रहा है बल्कि उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसे अस्पतालों में मरीजों के सही इलाज न होने से उनके अंगों के खराब होने के साथ-साथ कभी-कभी उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है। तो कही किडनी गायब तो कही बच्चे गायब हो रहे। तो अब इन फर्जी नर्सिंग होम में बच्चेदानी गायब होने की सनसनी मामला सामने आया है। एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के सचिव के निर्देश पर जिले के मेजरगंज में संचालित निजी संजीवनी वेल केयर हॉस्पिटल ने सिविल सर्जन ने आज शाम को छापेमारी की। जहा जहां बच्चेदानी गायब होने का मामला सामने आया है।


Body:बताते चले कि इन दिनो जिले में इस अवैध निजी नरसिंह होम में बच्चेदानी गायब होने की खबर से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है। अभी हाल ही में जिले के परिहार प्रखंड स्थित जनता अस्पताल जो एक निजी नर्सिंग होम में है। जहां एक प्रसव से पीड़ित महिला की जिंदगी साथ खिलवाड़ किया गया झोलाछाप चिकित्सक की काली करतूत से बच्चे की मौत हो गई तो वही गिरता बचेदानी जॉब कर देने से पूरे शरीर में संक्रामक रोग फैल गया जो आज के तारीख में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है। वही इस मामले के प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में जिले में फल फूल रहे नर्सिंग होम पर कार्रवाई अभियान शुरू की। जिसके तहत जिले के मेजरगंज प्रखंड में संचालित संजीवनी वेल केयर हॉस्पिटल में सिविल सर्जन के नेतृत्व में एक टीम छापेमारी की। जहां जांच के क्रम में बड़े पैमाने पर गड़बड़झाला का मामला का खुलासा हुआ
। हालांकि छापेमारी के क्रम में उक्त नर्सिंग होम केंद्र संचालक की ओर से जांच को प्रभावित करने को लेकर कई प्रकार के हथकंडे भी अपनाए गए और हंगामा भी कराएं। परंतु जांच दल पर कोई असर नहीं हुआ। जांच के क्रम में यह बात सामने आई कि बच्चे को जन्म देने वाली दो महिला का ऑपरेशन के माध्यम से बच्चे तो पैदा किए गए और उक्त दोनों महिलाओं के बच्चेदानी भी निकाल लिया गया। जो शायद ही दोबारा मां बन सकती है। वही इलाज रक्त मरीजों का काफी दोहन शोषण करने की बात सामने आई।उक्त नर्सिंग होम के संचालिट मेडिसिन दुकान की जांच की गई। जहा जांच के क्रम में यह जानकारी मिली कि कई ऐसी दवाएं और सुई है जो प्रबंध प्रबंधित दवाहै के बावजूद मरीजों को दिया जाता है। जिससे मरीजों की सेहत पर काफी असर डालता है। तो वही नर्सिंग होम में काजल कई डॉक्टरों के प्रमाणपत्रों की जांच की गई जिसमें 2 डॉक्टर के फर्जी प्रमाण पत्र मिले ना तो पर्याप्त चिकित्सक है और न ही पर्याप्त प्रशिक्षण प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी है। इतना ही नहीं उक्त नर्सिंग होम के संचालक जो एक सेवानिवृत्त डॉक्टर हैं। पर उन्हें ऑपरेशन करने से संबंधित कोई जानकारी नहीं होने के बावजूद भी वह धड़ल्ले से ऑपरेशन कर बच्चेदानी ज्ञात करने का अभियान छेड़ रखा है। इस मामले की पुष्टि खुद सिविल सर्जन ने मीडिया कर्मियों से कहीं।
बाईट, रविन्द्र कुमार , सिविल सर्जन ,सीतामढ़ी।



Conclusion:अब सवाल उठता है कि शासन की ओर से लोगों को इलाज के लिए जिला अस्पताल के अलावे ब्लाक बार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित किए जाने के साथ इंडियन मेडिकल कौंसिल की ओर से निर्धारित मानकों को पूरा करने वाले निजी मेडिकल संस्थानों को नर्सिंग होम व निजी अस्पताल के रूप में मान्यता दिए जाने का प्रावधान है। जबकि जिले में एक जिला अस्पताल के साथ सभी 17 प्रखंडों में एक एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावे 366 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित। के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से जिले में कुकुरमुत्ता की तरह सैकड़ों की संख्या में फैले इन अस्पतालों के संचालक मामूली मेडिकल की वस्तुएं जांच की सुविधाएं रखकर धड़ल्ले से अस्पताल का संचालन कर रहे हैं। इलाज के नाम पर मरीजों के सेहत न सिर्फ खिलवाड़ किया जा रहा है बल्कि उनका आर्थिक शोषण भी किया जा रहा है। वहीं जिले में कई पंजीकृत अस्पतालों में मरीजों को दवा अलग-अलग कई तरह के चार्ज के नाम पर लुटा जा रहा है। जबकि इसके लिए भी मानक निर्धारित किए गए हैं। सभी अस्पतालों को अपने हाथ दी जाने वाली सुविधाओं इलाज व उस पर आने वाले खर्च आदि का रेट निर्धारित करने वाला बोर्ड लगाना निहायत जरूरी है। पर ऐसा दिखता नहीं है जैसा केस व मरीज उसे उसे ही लूटा जा रहा है।
Last Updated : Oct 22, 2019, 10:00 PM IST
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