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ये है सीतामढ़ी के तौसीफ का 'कोविड किलर', देसी टेक्नोलॉजी से दे रहे कोरोना को मात!

मोहम्मद तौसीफ आलम नाम के एक युवक ने देसी टेक्नोलॉजी से ऑटोमेटिक सैनिटाइजर टनल का निर्माण किया है. इसको लेकर गांवभर में तौसीफ की चर्चा की जा रही है.

सैनिटाइजर टनल
सैनिटाइजर टनल
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Published : Aug 28, 2020, 10:35 PM IST

Updated : Sep 22, 2020, 6:28 PM IST

सीतामढ़ी: पूरी दुनिया में कोरोना का कहर अब भी जारी है. इससे बचने के लिए हर संभव प्रयास हो रहा है. इसको देखते हुए सीतामढ़ी के मोहम्मद तौसीफ आलम ने देसी टेक्नोलॉजी से ऑटोमेटिक सैनिटाइजर टनल का निर्माण किया है. ये टनल महज सात सेकेंड में पूरे शरीर को सैनिटाइज कर देती है. इस सैनिटाइजर टनल को कोविड किलर नाम दिया गया है.

निरीक्षण करते लोग
निरीक्षण करते लोग

तौसीफ आलम ने बताया कि जैसे ही कोई टनल के अंदर प्रवेश करता है, तो डिजिटल प्रोग्रामिंग के माध्यम से सेंसर खुद दब जाता है और सिर के ऊपर से सैनिटाइजर चारों तरफ फैलकर स्प्रे हो जाता है. इस तरह शरीर पूरी तरह से सैनिटाइज हो जाता है. इसके बाद व्यक्ति पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है. दिखने में अत्यंत साधारण इस मशीन में आठ छोटे-छोटे 0.1 एमएम के नोजल लगे हैं, जो फॉग बनाते हैं. इसमें लगा मोटर 6 वाट प्रेशर जेनरेट करता है. इस मशीन से सिर्फ सात सेकेंड्स में पूरा शरीर सैनिटाइज हो जाता है. इसमें 12 वोल्ट की छोटी बैट्री लगी हुई है, इसमें टाइमिंग को घटाने-बढ़ाने की भी सुविधा है. इससे कही भी आसानी से ले जाकर रखा जा सकता है.

'15 हजार रुपये हुए खर्च'
तौसीफ ने बताया कि मशीन को तैयार करने में शुरू में थोड़ी परेशानी हुई. लेकिन हार नहीं मानी. पहले साइकिल के ट्यूब और बेकार पड़े बोतल से रिसर्च किया. इसके बाद बेकार पड़े टीवी के सर्किट, साइकिल वल्ब, पुरानी खराब टॉर्च, सोलर सिस्टम के कुछ पार्ट को व्यवहार में लाया. उन्होंने बताया कि पूरी तरह से ऑटोमेटिक सैनिटाइजर स्प्रे मशीन तैयार करने में 15 हजार रुपये खर्च आए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

'पेटेंट कराने की है इच्छा'
उन्होंने बताया कि दो-तीन लोग मिलकर एक दिन में तीन से चार मशीन बना सकते हैं. इस मशीन को लेकर तौसीफ आलम ने आधुनिक रूप देते हुए पेटेंट कराने की इच्छा भी जाहिर की. बैट्री से चलने वाली इस मशीन को विद्यालय, कॉलेज के साथ सभी तरह के शैक्षणिक संस्थान, कार्यालय, रेलवे स्टेशन, मॉल और यहां तक कि बसों के मुख्य द्वार पर भी आसानी से लगाया जा सकता है.

तौसीफ ने की है इंजीनियरिंग
बता दें कि तौसीफ आलम मूल रूप से दरभंगा जिले के जाले थानान्तर्गत रेवढ़ा गांव के रहने वाले हैं. वर्तमान में पुपरी में रहते हैं. उन्होंने महाराजा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, उड़ीसा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इसके बाद वो महाराष्ट्र की कंपनी में बतौर प्लानिंग इंजीनियरिंग नौकरी की. बीते जनवरी में ये घर आए. लौटने का समय आया तो लॉकडाउन हो गया. इसी दौरान इस मशीन को बनाया.

सीतामढ़ी: पूरी दुनिया में कोरोना का कहर अब भी जारी है. इससे बचने के लिए हर संभव प्रयास हो रहा है. इसको देखते हुए सीतामढ़ी के मोहम्मद तौसीफ आलम ने देसी टेक्नोलॉजी से ऑटोमेटिक सैनिटाइजर टनल का निर्माण किया है. ये टनल महज सात सेकेंड में पूरे शरीर को सैनिटाइज कर देती है. इस सैनिटाइजर टनल को कोविड किलर नाम दिया गया है.

निरीक्षण करते लोग
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तौसीफ आलम ने बताया कि जैसे ही कोई टनल के अंदर प्रवेश करता है, तो डिजिटल प्रोग्रामिंग के माध्यम से सेंसर खुद दब जाता है और सिर के ऊपर से सैनिटाइजर चारों तरफ फैलकर स्प्रे हो जाता है. इस तरह शरीर पूरी तरह से सैनिटाइज हो जाता है. इसके बाद व्यक्ति पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है. दिखने में अत्यंत साधारण इस मशीन में आठ छोटे-छोटे 0.1 एमएम के नोजल लगे हैं, जो फॉग बनाते हैं. इसमें लगा मोटर 6 वाट प्रेशर जेनरेट करता है. इस मशीन से सिर्फ सात सेकेंड्स में पूरा शरीर सैनिटाइज हो जाता है. इसमें 12 वोल्ट की छोटी बैट्री लगी हुई है, इसमें टाइमिंग को घटाने-बढ़ाने की भी सुविधा है. इससे कही भी आसानी से ले जाकर रखा जा सकता है.

'15 हजार रुपये हुए खर्च'
तौसीफ ने बताया कि मशीन को तैयार करने में शुरू में थोड़ी परेशानी हुई. लेकिन हार नहीं मानी. पहले साइकिल के ट्यूब और बेकार पड़े बोतल से रिसर्च किया. इसके बाद बेकार पड़े टीवी के सर्किट, साइकिल वल्ब, पुरानी खराब टॉर्च, सोलर सिस्टम के कुछ पार्ट को व्यवहार में लाया. उन्होंने बताया कि पूरी तरह से ऑटोमेटिक सैनिटाइजर स्प्रे मशीन तैयार करने में 15 हजार रुपये खर्च आए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

'पेटेंट कराने की है इच्छा'
उन्होंने बताया कि दो-तीन लोग मिलकर एक दिन में तीन से चार मशीन बना सकते हैं. इस मशीन को लेकर तौसीफ आलम ने आधुनिक रूप देते हुए पेटेंट कराने की इच्छा भी जाहिर की. बैट्री से चलने वाली इस मशीन को विद्यालय, कॉलेज के साथ सभी तरह के शैक्षणिक संस्थान, कार्यालय, रेलवे स्टेशन, मॉल और यहां तक कि बसों के मुख्य द्वार पर भी आसानी से लगाया जा सकता है.

तौसीफ ने की है इंजीनियरिंग
बता दें कि तौसीफ आलम मूल रूप से दरभंगा जिले के जाले थानान्तर्गत रेवढ़ा गांव के रहने वाले हैं. वर्तमान में पुपरी में रहते हैं. उन्होंने महाराजा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, उड़ीसा से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इसके बाद वो महाराष्ट्र की कंपनी में बतौर प्लानिंग इंजीनियरिंग नौकरी की. बीते जनवरी में ये घर आए. लौटने का समय आया तो लॉकडाउन हो गया. इसी दौरान इस मशीन को बनाया.

Last Updated : Sep 22, 2020, 6:28 PM IST
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