सीतामढ़ी: कोरोना वायरस और लॉकडाउन का सबसे बुरा असर उन लोगों पर पड़ा है जो अपना घर छोड़कर रोजी-रोटी की तलाश में किसी अन्य राज्य में रह रहे है. लॉकडाउन के कारण अपने गृह जिला लौटे अप्रवासी श्रमिकों को राज्य सरकार और जिला प्रशासन से काफी उम्मीदें थी. लेकिन जिले में कोई रोजगार नहीं मिलने के कारण श्रमिक एक बार फिर से पलायन को मजबूर हैं.
श्रमिकों की शिकायत है कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने सिर्फ झूठे वादे किए. उन्होंने कहा कि जिले में उन्हें रोजगार नहीं मिल सका. जिस कारण परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो गया है. इसलिए हम सभी वापस हरियाणा और पंजाब जा रहे हैं. ताकि परिवार का भरण पोषण किया जा सके. वहीं कुछ श्रमिकों का आरोप है कि जिले में जो काम हो रहा है उसमें श्रमिकों को ना लगाकर बड़ी मशीनों से काम कराया जा रहा है. इसलिए यहां रोजगार मिलना संभव नहीं है.
श्रमिकों को ले जाने के लिए की गई वाहनों की व्यवस्था
जिले से अप्रवासी श्रमिकों को पंजाब और हरियाणा ले जाने के लिए दोनों राज्यों के किसान बस, ट्रैक्टर, ट्रक और पिकअप गाड़ी गांव-गांव भेज कर उन्हें अपने राज्य में बुला रहे हैं. पलायन कर रहे अप्रवासी श्रमिक पंजाब और हरियाणा में जाकर धान की रोपनी करेंगे. पंजाब और हरियाणा जा रहे श्रमिकों का कहना है कि पिछले साल पंजाब और हरियाणा में 1 एकड़ जमीन में धान रोपने के लिए वहां के किसानों द्वारा 3 हजार से 3,500 रुपये दिया जा रहा था. लेकिन इस बार यह बढ़कर 4,000 से 4,500 रुपये हो गया है.
गुजारा करना होगा बेहद मुश्किल
वहीं पंजाब से श्रमिकों को लेने आए कुलदीप ने बताया कि अगर ये लोग अभी पंजाब और हरियाणा नहीं जाएंगे तो वहां कृषि का काम ठप्प हो जाएगा. इसलिए दोनों राज्य के किसान पैसे खर्च कर इन श्रमिकों को वापस बुला रहे है. वहीं पलायन कर रहे श्रमिकों का कहना है कि जितनी संख्या में लोग वापस लौटे हैं, उतने लोगों को काम मुहैया कराना संभव नहीं है. यहां बैठकर कब तक भुखमरी के शिकार होते रहेंगे. इसलिए अगर हम अपनी रोजी रोटी के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाएंगे तो गुजारा करना बेहद मुश्किल हो जाएगा.