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सीतामढ़ी: शहादत दिवस समारोह का आयोजन, शहीदों को किया गया याद

समारोह में शहीद रामफल मंडल की जीवनी पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने और शैक्षणिक संस्थानों का नाम रामफल मंडल के नाम पर करने की मांग उठी.

सीतामढ़ी
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Published : Sep 1, 2020, 3:58 PM IST

सीतामढ़ी: जिले के शहीदों के सम्मान में सोमवार को जननायक कर्पूरी ठाकुर अत्यंत पिछड़ा वर्ग छात्रावास में शहादत दिवस समारोह का आयोजन किया गया. शहीद रामफल मंडल विचार मंच की ओर से किए गए इस कार्यक्रम का संचालन पूर्व सैनिक अनिल कुमार कर रहे थे.

शहीद की जीवनी पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने की मांग
इस अवसर पर जिला लोक अभियोजक अरुण कुमार सिंह ने कहा कि शहीद कभी मरते नहीं हैं, उनकी कृति सदा अमर रहती है. उन्होंने शहीद रामफल मंडल का जिक्र करते हुए कहा कि उन पर झूठ बोलने का दबाव डाला जा रहा था. लेकिन वे जज के सामने झूठ नहीं बोले. इसका नतीजा यह हुआ है कि 23 अगस्त 1943 को भागलपुर सेंट्रल जेल में उन्हें फांसी दे दी गई. उसी जेल में 11 जनवरी 1944 को जुब्बा साहनी को भी फांसी दी गई थी. उन्होंने शहीद रामफल मंडल की जीवनी पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने और शैक्षणिक संस्थानों का नाम रामफल मंडल के नाम पर करने की मांग की.

सीतामढ़ी
कार्यक्रम में लोगों को सम्मानित करते अतिथि

परेड मैदान का नाम शहीद रामफल मंडल के नाम पर रखने की मांग
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर आनंद किशोर और उमेश चंद्र झा ने कहा कि सभी शहीदों की कहानी को जन-जन तक पहुंचाने और आने वाली नई पीढ़ियों को बताने पर बल दिया. उन्होंने परेड मैदान का नाम शहीद रामफल मंडल परेड ग्राउंड करने की मांग की.

कार्यकर्म के कर्नल सुधीर कुमार सिंह, संजय संघर्ष सिंह, पुनीत बैठा, सहदेव राम, बिंदेश्वर पासवान और प्रोफेसर लल्लन राय सहित दर्जनों लोगों ने संबोधित किया.

सीतामढ़ी: जिले के शहीदों के सम्मान में सोमवार को जननायक कर्पूरी ठाकुर अत्यंत पिछड़ा वर्ग छात्रावास में शहादत दिवस समारोह का आयोजन किया गया. शहीद रामफल मंडल विचार मंच की ओर से किए गए इस कार्यक्रम का संचालन पूर्व सैनिक अनिल कुमार कर रहे थे.

शहीद की जीवनी पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने की मांग
इस अवसर पर जिला लोक अभियोजक अरुण कुमार सिंह ने कहा कि शहीद कभी मरते नहीं हैं, उनकी कृति सदा अमर रहती है. उन्होंने शहीद रामफल मंडल का जिक्र करते हुए कहा कि उन पर झूठ बोलने का दबाव डाला जा रहा था. लेकिन वे जज के सामने झूठ नहीं बोले. इसका नतीजा यह हुआ है कि 23 अगस्त 1943 को भागलपुर सेंट्रल जेल में उन्हें फांसी दे दी गई. उसी जेल में 11 जनवरी 1944 को जुब्बा साहनी को भी फांसी दी गई थी. उन्होंने शहीद रामफल मंडल की जीवनी पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने और शैक्षणिक संस्थानों का नाम रामफल मंडल के नाम पर करने की मांग की.

सीतामढ़ी
कार्यक्रम में लोगों को सम्मानित करते अतिथि

परेड मैदान का नाम शहीद रामफल मंडल के नाम पर रखने की मांग
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर आनंद किशोर और उमेश चंद्र झा ने कहा कि सभी शहीदों की कहानी को जन-जन तक पहुंचाने और आने वाली नई पीढ़ियों को बताने पर बल दिया. उन्होंने परेड मैदान का नाम शहीद रामफल मंडल परेड ग्राउंड करने की मांग की.

कार्यकर्म के कर्नल सुधीर कुमार सिंह, संजय संघर्ष सिंह, पुनीत बैठा, सहदेव राम, बिंदेश्वर पासवान और प्रोफेसर लल्लन राय सहित दर्जनों लोगों ने संबोधित किया.

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