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लुधियाना से लौटी महिलाओं का छलका दर्द, कहा- यहां रोजगार मिल जाये तो कहीं नहीं जायेंगे

बिहार सरकार बाहर से लौट रहे सभी प्रवासियों का स्किल सर्वे कराने का निर्देश दे चुकी है, ताकि उनके स्किल के अनुसार बिहार में उन्हें काम करने का अवसर दिया जा सके.

sitamadhi
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Published : May 9, 2020, 8:58 PM IST

सीतामढ़ी: श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लुधियाना से चलकर सीतामढ़ी स्टेशन पहुंचे 1188 श्रमिकों के चेहरों पर खुशी नजर आई. ट्रेन से वापस आई कई अप्रवासी महिलाओं ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उन्हें जो परेशानी उठानी पड़ी, उसे याद कर डर लगता है. महिलाओं ने कहा कि अगर सरकार हम सभी को अपने गृह जिले में रोजगार मुहैया करा दे तो हम कभी भी वापस दूसरे प्रदेश नहीं जाएंगे.

बिहार की धरती पर पांव रखते ही हेमा देवी की आंखों मे खुशी के आंसू आ गये. उन्होंने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब मैं कभी बाहर नही जाऊंगी, बल्कि यहीं काम करूंगी. सरकार हमलोगों के लिए काम की सुविधा उपलब्ध करा दे. पटना के नौबतपुर की हेमा देवी लुधियाना में पैकिंग का काम करती हैं. वो लगभग पांच हजार रुपये हर महीने कमा लेती हैं.

काम की तलाश में दूसरे राज्यों का सफर
शहनाज खातून, विनय कुमार, तमन्ना हुसैन, साबिर हुसैन सहित कई श्रमिकों ने बताया कि वे लोग फैक्ट्री में कपड़े की सिलाई, कढ़ाई आदि के कारीगर हैं और उनकी औसत आमदनी 15 हजार रुपये प्रति महीने तक है. उन्होंने एक स्वर में कहा कि अगर सीतामढ़ी या आस-पास के शहर में ही इस तरह का काम मिल जाये तो वे बाहर नहीं जायेंगे.

बिहार सरकार से रोजगार की मांग
सभी ने कहा कि हमलोग अपने हुनर का प्रशिक्षण भी दे सकते हैं. लुधियाना होजरी अथवा रेडीमेड कपड़े का एक बड़ा हब है, जिस कारण से हम वहां जाते हैं. गौरतलब हो कि बिहार सरकार बाहर से लौट रहे सभी प्रवासियों का स्किल सर्वे कराने का निर्देश दे चुकी है, ताकि उनके स्किल के अनुसार बिहार में उन्हें काम करने का अवसर दिया जा सके.

सीतामढ़ी: श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लुधियाना से चलकर सीतामढ़ी स्टेशन पहुंचे 1188 श्रमिकों के चेहरों पर खुशी नजर आई. ट्रेन से वापस आई कई अप्रवासी महिलाओं ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उन्हें जो परेशानी उठानी पड़ी, उसे याद कर डर लगता है. महिलाओं ने कहा कि अगर सरकार हम सभी को अपने गृह जिले में रोजगार मुहैया करा दे तो हम कभी भी वापस दूसरे प्रदेश नहीं जाएंगे.

बिहार की धरती पर पांव रखते ही हेमा देवी की आंखों मे खुशी के आंसू आ गये. उन्होंने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब मैं कभी बाहर नही जाऊंगी, बल्कि यहीं काम करूंगी. सरकार हमलोगों के लिए काम की सुविधा उपलब्ध करा दे. पटना के नौबतपुर की हेमा देवी लुधियाना में पैकिंग का काम करती हैं. वो लगभग पांच हजार रुपये हर महीने कमा लेती हैं.

काम की तलाश में दूसरे राज्यों का सफर
शहनाज खातून, विनय कुमार, तमन्ना हुसैन, साबिर हुसैन सहित कई श्रमिकों ने बताया कि वे लोग फैक्ट्री में कपड़े की सिलाई, कढ़ाई आदि के कारीगर हैं और उनकी औसत आमदनी 15 हजार रुपये प्रति महीने तक है. उन्होंने एक स्वर में कहा कि अगर सीतामढ़ी या आस-पास के शहर में ही इस तरह का काम मिल जाये तो वे बाहर नहीं जायेंगे.

बिहार सरकार से रोजगार की मांग
सभी ने कहा कि हमलोग अपने हुनर का प्रशिक्षण भी दे सकते हैं. लुधियाना होजरी अथवा रेडीमेड कपड़े का एक बड़ा हब है, जिस कारण से हम वहां जाते हैं. गौरतलब हो कि बिहार सरकार बाहर से लौट रहे सभी प्रवासियों का स्किल सर्वे कराने का निर्देश दे चुकी है, ताकि उनके स्किल के अनुसार बिहार में उन्हें काम करने का अवसर दिया जा सके.

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