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सीतामढ़ीः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां पूरी, रात 12 बजे होगा कान्हा का जन्म

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Published : Aug 23, 2019, 1:35 PM IST

जगह-जगह पूजा पंडाल बनाए गए हैं. इस अवसर पर विभिन्न जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या, अष्टयाम, यज्ञ और मटका फोड़ने के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

सीतामढ़ी: इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का संयोग दो दिन का है. इसलिए इस बार जन्माष्टमी का त्योहार दो तिथियों में यानी 23 अगस्त और 24 अगस्त दोनों ही दिन मनाया जा रहा है. जिले में जन्माष्टमी के त्योहार को लेकर जमकर तैयारी की जा रही है. जगह-जगह पूजा पंडाल बनाए गए हैं. इस अवसर पर विभिन्न जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या, अष्टयाम, यज्ञ और मटका फोड़ने के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

पूरी रिपोर्ट

श्रद्धालुओं में उत्साह
हाल ही में बिहार में आई बाढ़ से जिले के लोग बुरी तरह प्रभावित हुए है. बाढ़ का पानी उतरने के बाद अब जनजीवन सामान्य हो रहा है. ऐसे में पर्व त्योहार मनाने में आर्थिक तंगी आंड़े आ रही है. फिर भी लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं है. पूजा के लिए प्रतिमा ले जा रहे एक श्रद्धालु ने बताया कि बाढ़ और महंगाई की वजह से मोहल्ले में चंदा कम हुआ है लेकिन पूजा तो करना है ही. सीमित संसाधन में भी पूजा को लेकर वही उत्साह बनी हुई है.

सीतामढ़ी
मूर्तियों को अंतिम रूप देते कलाकार

रोहिणी नक्षत्र का संयोग है शुभ
बता दें कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था. भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना शुभ माना गया है. श्री कृष्ण के भोग के लिए माखन मिश्री, दूध, घी, दही और मेवा का काफी महत्व है.

सीतामढ़ी: इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का संयोग दो दिन का है. इसलिए इस बार जन्माष्टमी का त्योहार दो तिथियों में यानी 23 अगस्त और 24 अगस्त दोनों ही दिन मनाया जा रहा है. जिले में जन्माष्टमी के त्योहार को लेकर जमकर तैयारी की जा रही है. जगह-जगह पूजा पंडाल बनाए गए हैं. इस अवसर पर विभिन्न जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या, अष्टयाम, यज्ञ और मटका फोड़ने के कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.

पूरी रिपोर्ट

श्रद्धालुओं में उत्साह
हाल ही में बिहार में आई बाढ़ से जिले के लोग बुरी तरह प्रभावित हुए है. बाढ़ का पानी उतरने के बाद अब जनजीवन सामान्य हो रहा है. ऐसे में पर्व त्योहार मनाने में आर्थिक तंगी आंड़े आ रही है. फिर भी लोगों की आस्था में कोई कमी नहीं है. पूजा के लिए प्रतिमा ले जा रहे एक श्रद्धालु ने बताया कि बाढ़ और महंगाई की वजह से मोहल्ले में चंदा कम हुआ है लेकिन पूजा तो करना है ही. सीमित संसाधन में भी पूजा को लेकर वही उत्साह बनी हुई है.

सीतामढ़ी
मूर्तियों को अंतिम रूप देते कलाकार

रोहिणी नक्षत्र का संयोग है शुभ
बता दें कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था. भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना शुभ माना गया है. श्री कृष्ण के भोग के लिए माखन मिश्री, दूध, घी, दही और मेवा का काफी महत्व है.

Intro:जिले में आज धूमधाम से मनाई जाएगी जन्माष्टमी का त्योहार। जगह-जगह पूजा पंडालों में पूजा अर्चना की चल रही है तैयारी। Body: जिले में आज जिले में आज जन्माष्टमी त्योहार को लेकर हर तरफ जमकर तैयारी की जा रही है। जगह-जगह पूजा पंडाल बनाए गए हैं। जहां श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाएगी। कई जगहों पर इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या, अष्टयाम यज्ञ और मटका फोड़ने का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया है।
महंगाई का असर :_____
हालांकि इस पर्व के उत्साह में महंगाई भी आ रे आ रही है। आपदा का असर भी लोगों के उत्साह को थोड़ा कम कर दिया है। एक युवा मूर्तिकार ने बताया कि अन्य वर्षो की तुलना में इस वर्ष श्री कृष्ण और राधा की मूर्ति को लोग उतने चाव से नहीं खरीद रहे हैं। जिसका परिणाम है कि इस बार व्यवसाय में काफी घाटा झेलना होगा। क्योंकि महंगाई के कारण लोग मूर्ति खरीदने से परहेज कर रहे हैं। और मूर्ति निर्माण में जो सामग्री लगाई जाती है। वह बाजारों में काफी मांगा मिल रहा है। लिहाजा अन्य वर्षो की तुलना में इस वर्ष काफी घाटे का सौदा साबित हो रहा है। इस संबंध में पूजा करने वाले एक आयोजनकर्ता ने बताया कि बरसों से यह परंपरा चलती आ रही है।इसलिए पूजा को जारी रखना जरूरी है। लेकिन इस बार महंगाई के कारण बड़ी मूर्ति नहीं लेकर छोटी मूर्ति लगाकर ही पूजा-अर्चना कर रहे है। बाजारों में मूर्ति का मूल्य पिछले साल की तुलना में इस बार काफी अधिक है।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी में इस बार 23 और 24 अगस्त को दो दिन मनाई जाएगी। जन्माष्टमी का पर्व हिन्दु पंचाग के अनुसार, भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार यह अष्टमी 23 और 24 तारीख दो दिन है। विशेष उपासक 23 को जन्माष्टमी मनाएंगे जबिक आम लोग 24 अगस्त को जन्माष्टमी मना सकते हैं। क्योंकि उदया तिथि अष्टमी की बात करें तो यह 24 अगस्त को है। हालांकि भगवान कृष्ण के जन्म के वक्त आधी रात को अष्टमी तिथि को देखें तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था। भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना शुभ माना गया है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के साथ सूर्य और चन्द्रमा ग्रह भी उच्च राशि में है। रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी के साथ सूर्य और चंद्रमा उच्च भाव में होगा। द्वापर काल के अद्भुत संयोग में इस बार कान्हा जन्म लेंगे। घर-घर उत्सव होगा। लड्डू गोपाल की छठी तक धूम रहेगी। इस योग पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।
अष्टमी तिथि :
अष्टमी 23 अगस्त 2019 शुक्रवार को सुबह 8:09 बजे लगेगी।
अगस्त 24, 2019 को 08:32 बजे अष्टमी समाप्त होगी। जन्मोत्सव तीसरे दिन तक मनाया जाएगा।
रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त 2019 को दोपहर 12:55 बजे लगेगा।
रोहिणी नक्षत्र 25 अगस्त 2019 को रात 12:17 बजे तक रहेगा।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व -
मान्यता है कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। क्योंकि भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु के ही अवतार हैं। इसके अलावा भगवान कृष्ण का ध्यान, व्रत और पूजा करने से भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम या बलदाऊ जी का पालन पोषण भी नंदबाबा के घर में हुआ। वासुदेव जी की एक पत्नी थीं रोहिणी जिनके पुत्र बलदाऊ जी महाराज थे। कंस ने देवकी को वासुदेव के साथ जेल में डाला तो रोहिणी को नंद बाबा के यहां भेज दिया गया। वैष्णव पंथ को मानने वाले हिन्दु धर्म के उपासक भगवान कृष्ण को अपना आराध्य मानते हैं ऐसे में आराध्य को याद करने लिए भी प्रित वर्ष लोग उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।
भोग में चढ़ाएं दूध-धी और मेवा-
त्व देवां वस्तु गोविंद तुभ्यमेव समर्पयेति!! मंत्र के साथ भगवान कृष्ण का भोग लगाना चाहिए। भोग के लिए माखन मिश्री, दूध, घी, दही और मेवा काफी महत्व पूर्ण माना गया है। पूजा में पांच फलों का भी भोग लगा सकते हैं। चूंकि भगवान कृष्ण को दूध-दही बहुत पसंद था ऐसे में उनके भोग में दूध, दही और माखन जरूर सम्मिलित करना चाहिए।
पूजन विधान-
जन्माष्टमी के दिन व्रती सुबह में स्नानादि कर ब्रह्मा आदि पंच देवों को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर मुख होकर आसन ग्रहण करें। हाथ में जल, गंध, पुष्प लेकर व्रत का संकल्प इस मंत्र का उच्चारण करते हुए लें- ‘मम अखिल पापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत करिष्ये।' इसके बाद बाल रूप श्रीकृष्ण की पूजा करें। गृहस्थों को श्रीकृष्ण का शृंगार कर विधिवत पूजा करनी चाहिए। बाल गोपाल को झूले में झुलाएं। प्रात: पूजन के बाद दोपहर को राहु, केतु, क्रूर ग्रहों की शांति के लिए काले तिल मिश्रित जल से स्नान करें। इससे उनका कुप्रभाव कम होता है।
इस मंत्र का करें जाप-
सायंकाल भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘धर्माय धर्मपतये धर्मेश्वराय धर्मसम्भवाय श्री गोविन्दाय नमो नम:।' इसके बाद चंद्रमा के उदय होने पर दूध मिश्रित जल से चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘ज्योत्सनापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषामपते:! नमस्ते रोहिणिकांतं अघ्र्यं मे प्रतिग्रह्यताम!' रात्रि में कृष्ण जन्म से पूर्व कृष्ण स्तोत्र, भजन, मंत्र- ‘ऊं क्रीं कृष्णाय नम:' का जप आदि कर प्रसन्नतापूर्वक आरती करें।
बाइट 1. मूर्तिकार पिला गंजी में।
बाइट 2. पूजा करने वाला युवक।
विजुअल 3,4,5,6,7

Conclusion: आध्यात्मिक गुरुओं के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार 2 दिन मनाए जाएंगे। एक दिन गृहस्थ जीवन जीने वाले कृष्ण भक्त पूजा करेंगे। वंही दूसरे दिन साधु संतों के द्वारा पूजा अर्चना की जाएगी।
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