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खेतों में जमा बाढ़ के पानी के कारण किसान परेशान, फसल नहीं होने से भुखमरी के हालात - Sitamarhi News

खेतों में लगाए गए धान, सब्जी, केले और गन्ने की फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो चुकी है. कृषि पदाधिकारी ने बताया कि अगर बाढ़ का पानी खेतों से निकल जाए तो सितंबर महीने में किसान अरहर, उड़द, सब्जी और तिलहन की खेती कर अपनी क्षति की भरपाई कर सकते हैं.

खेतों में जमा बाढ़ के पानी से किसानों की बढ़ी परेशानी
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Published : Aug 14, 2019, 5:41 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में आई भीषण बाढ़ के कारण 16 प्रखंडों के करीब 18 लाख आबादी पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है. जिसकी वजह से किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उनके खेतों की फसल बर्बाद होने से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

खेतों में जमा बाढ़ का पानी, किसान परेशान

किसानों के सामने भुखमरी के हालात
खेतों में लगाए गए धान, सब्जी, केले और गन्ने की फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो चुकी है. कृषि विभाग के अनुसार करीब 93,000 हेक्टेयर में धान, 1000 हेक्टेयर में मक्का, 9000 हेक्टेयर में गन्ना के अलावा हजारों हेक्टेयर में केले और सब्जी की फसल लगी हुई थी. जो पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. बाढ़ का पानी अब तक खेतों में जमा होने के कारण किसानों के सामने भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि अगर बाढ़ का पानी खेतों से निकल जाए तो सितंबर महीने में किसान अरहर, उड़द, सब्जी और तिलहन की खेती कर अपनी क्षति की भरपाई कर सकते हैं.

Sitamarhi news
जिला कृषि पदाधिकारी

'एकमात्र गेहूं की फसल से करना पड़ता है संतोष'
स्थानीय किसान ने बताया कि जिन लोगों के अधिकांश खेत दियारा और तराई एरिया में है. वहां के खेतों में जलजमाव के कारण दलहन और सब्जी की खेती नहीं की जा सकती है. ऐसी जगहों पर केवल एकमात्र गेहूं की फसल लगाकर संतोष करना पड़ता है.

सीतामढ़ी: जिले में आई भीषण बाढ़ के कारण 16 प्रखंडों के करीब 18 लाख आबादी पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है. जिसकी वजह से किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उनके खेतों की फसल बर्बाद होने से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

खेतों में जमा बाढ़ का पानी, किसान परेशान

किसानों के सामने भुखमरी के हालात
खेतों में लगाए गए धान, सब्जी, केले और गन्ने की फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो चुकी है. कृषि विभाग के अनुसार करीब 93,000 हेक्टेयर में धान, 1000 हेक्टेयर में मक्का, 9000 हेक्टेयर में गन्ना के अलावा हजारों हेक्टेयर में केले और सब्जी की फसल लगी हुई थी. जो पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. बाढ़ का पानी अब तक खेतों में जमा होने के कारण किसानों के सामने भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि अगर बाढ़ का पानी खेतों से निकल जाए तो सितंबर महीने में किसान अरहर, उड़द, सब्जी और तिलहन की खेती कर अपनी क्षति की भरपाई कर सकते हैं.

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जिला कृषि पदाधिकारी

'एकमात्र गेहूं की फसल से करना पड़ता है संतोष'
स्थानीय किसान ने बताया कि जिन लोगों के अधिकांश खेत दियारा और तराई एरिया में है. वहां के खेतों में जलजमाव के कारण दलहन और सब्जी की खेती नहीं की जा सकती है. ऐसी जगहों पर केवल एकमात्र गेहूं की फसल लगाकर संतोष करना पड़ता है.

Intro:जिले के बाढ़ पीड़ित किसान को कृषि विभाग की सलाह। दलहन और सब्जी की फसल लगाकर कर सकते हैं क्षति की भरपाई। Body:जिले में आई भीषण बाढ़ के कारण 16 प्रखंडों के करीब 18 लाख की आबादी पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी है। जिस कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसानों की कमर टूट चुकी है। क्योंकि किसानों के खेत में लगाए गए धान, सब्जी, केला और गन्ना की फसल बाढ़ के कारण बर्बाद हो गई है। कृषि विभाग के अनुसार करीब 93000 हेक्टेयर में धान, 1000 हेक्टेयर में मक्का, 9000 हेक्टेयर में गन्ना के अलावे केला और सब्जी की फसल हजारों हेक्टेयर में लगी हुई थी। जो पूरी तरीके से बर्बाद हो चुकी है। बाढ़ का पानी अब तक किसानों के खेत में जमा है। नतीजा बाढ़ पीड़ित किसान के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस हालात को देखते हुए जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि अगर बाढ़ का पानी खेतों से उतर जाए तो सितंबर माह में पीड़ित किसान अरहर, उड़द, सब्जी और तिलहन की खेती कर अपनी क्षति की भरपाई कर सकते हैं। लेकिन कुछ ऐसे बाढ़ प्रभावित प्रखंड है जहां के किसानों ने बताया कि उनके खेतों में जलजमाव के कारण ना तो दलहन और ना ही सब्जी की खेती हो सकती है। केवल गेहूं की एकमात्र फसल लगाकर संतोष करना पड़ेगा। क्योंकि तराई और दियरा क्षेत्र होने के कारण उनके खेतों में दलहन और सब्जी की खेती भी नहीं की जा सकती है। इसलिए जिला कृषि पदाधिकारी का सुझाव इस क्षेत्र के किसानों के लिए कारगर नहीं है। बाइट 1. देवनंदन पासवान। बाढ़ पीड़ित किसान। बाइट 2. जिला कृषि पदाधिकारी ।सीतामढ़ी बाइट 3. जिला कृषि पदाधिकारी ।सीतामढ़ी। विजुअल 4,5,6 Conclusion:अब देखना होगा कि जिला कृषि पदाधिकारी का यह सुझाव उन किसानों के लिए कितना कारगर साबित होगा। जिन किसानों का अधिकांश खेत दियारा और तराई एरिया में आता है। किसानों के अनुसार उन्हें केवल एक फसल गेहूं से ही संतोष करना पड़ेगा। क्योंकि उन क्षेत्रों में दलहन और सब्जी की खेती नहीं की जा सकती है।
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