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बैंक खाते के चक्कर में फंसे बाढ़ पीड़ित, को-ऑपरेटिव बैंक के खाताधारकों को नहीं मिलेगी राशि

बाढ़ पीड़ित बैंक खाते के चक्कर में राहत राशि पाने से वंचित हो रहे हैं. विभीषिका का दंश झेल रहे बाढ़ पीड़ितों को पहले आपदा का दंश झेलना पड़ा. उसके बाद अब अधिकारियों की उदासीनता और गलत कार्यशैली ने उनका दर्द बढ़ा दिया है.

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Published : Aug 2, 2019, 1:41 PM IST

जानकारी देते जिलाधिकारी

सीतामढ़ी: जिले के अधिकांश बाढ़ पीड़ित बैंक खाते के चक्कर में राहत राशि पाने से वंचित हो रहे है. विभीषिका का दंश झेल रहे बाढ़ पीड़ितों को पहले आपदा का दंश झेलना पड़ा. उसके बाद अब अधिकारियों की उदासीनता और गलत कार्यशैली के कारण उनका दर्द बढ़ता ही जा रहा है.

बाढ़ पीड़ितों को राहत राशि देने का ऐलान
जिले में 13 जुलाई को भीषण बाढ़ आई थी. उसको देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी बाढ़ प्रभावित 16 प्रखंडों में राहत राशि मुहैया कराना था. इसके लिए सभी पंचायतों और वार्डों के आंगनवाड़ी सेविकाओं को राहत राशि के लिए बाढ़ पीड़ितों से आवेदन जमा करवाना था. बाढ़ पीड़ितों में से अधिकांश बाढ़ पीड़ित ने को-ऑपरेटिव बैंक खाता और आधार कार्ड की छाया प्रति के साथ आवेदन को आंगनवाड़ी सेविका के यहां जमा करवा दिया. उस आवेदन को प्रखंड स्तर से जिला मुख्यालय भी भेज दिया गया.

बाढ़ पीड़ितों का दर्द

को-ऑपरेटिव बैंक के खाताधारियों को नहीं मिलेगी राशि
जिलाधिकारी का कहना है कि 6000 की राशि को-ऑपरेटिव बैंक खाताधारी को नहीं मिलेगा. लेकिन आवेदन लेने के दौरान बाढ़ पीड़ितों को यह नहीं बताया गया था. ऐसे में को-ऑपरेटिव बैंक खाता धारकों को राहत राशि से वंचित रहना होगा. जबकि, आवेदन भरते समय किसी भी बैंक के खाते की छाया प्रति मांगी गई थी.

आवेदन के चार दिन बाद किया गया खुलासा
13 जुलाई को जिले में बाढ़ आई थी. उसके 3 दिन बाद 16 जुलाई को 24 घंटे का समय बताते हुए आंगनवाड़ी सेविका को आवेदन बाढ़ पीड़ितों से लेकर जमा करने का आदेश पारित किया गया था. आवेदन जमा करने के चार दिन बाद जनप्रतिनिधियों की बैठक बुलाई गई थी. जिसमें खुलासा किया गया कि को-ऑपरेटिव बैंक खाताधारियों को राशि मुहैया नहीं होगी.

सीतामढ़ी
बाढ़ पीड़ित

जिलाधिकारी का बयान
जिलाधिकारी रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि 1 सप्ताह के अंदर सभी बाढ़ पीड़ित के खाते में 6000 की राहत राशि भेज दी जायेगी. वहीं, दूसरी तरफ जिला अधिकारी बताते हैं कि को-ऑपरेटिव बैंक खाताधारी बाढ़ पीड़ितों को यह लाभ नहीं मिल पाएगा. ऐसे में पीड़ित परेशान नजर आ रहे हैं.

सीतामढ़ी: जिले के अधिकांश बाढ़ पीड़ित बैंक खाते के चक्कर में राहत राशि पाने से वंचित हो रहे है. विभीषिका का दंश झेल रहे बाढ़ पीड़ितों को पहले आपदा का दंश झेलना पड़ा. उसके बाद अब अधिकारियों की उदासीनता और गलत कार्यशैली के कारण उनका दर्द बढ़ता ही जा रहा है.

बाढ़ पीड़ितों को राहत राशि देने का ऐलान
जिले में 13 जुलाई को भीषण बाढ़ आई थी. उसको देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी बाढ़ प्रभावित 16 प्रखंडों में राहत राशि मुहैया कराना था. इसके लिए सभी पंचायतों और वार्डों के आंगनवाड़ी सेविकाओं को राहत राशि के लिए बाढ़ पीड़ितों से आवेदन जमा करवाना था. बाढ़ पीड़ितों में से अधिकांश बाढ़ पीड़ित ने को-ऑपरेटिव बैंक खाता और आधार कार्ड की छाया प्रति के साथ आवेदन को आंगनवाड़ी सेविका के यहां जमा करवा दिया. उस आवेदन को प्रखंड स्तर से जिला मुख्यालय भी भेज दिया गया.

बाढ़ पीड़ितों का दर्द

को-ऑपरेटिव बैंक के खाताधारियों को नहीं मिलेगी राशि
जिलाधिकारी का कहना है कि 6000 की राशि को-ऑपरेटिव बैंक खाताधारी को नहीं मिलेगा. लेकिन आवेदन लेने के दौरान बाढ़ पीड़ितों को यह नहीं बताया गया था. ऐसे में को-ऑपरेटिव बैंक खाता धारकों को राहत राशि से वंचित रहना होगा. जबकि, आवेदन भरते समय किसी भी बैंक के खाते की छाया प्रति मांगी गई थी.

आवेदन के चार दिन बाद किया गया खुलासा
13 जुलाई को जिले में बाढ़ आई थी. उसके 3 दिन बाद 16 जुलाई को 24 घंटे का समय बताते हुए आंगनवाड़ी सेविका को आवेदन बाढ़ पीड़ितों से लेकर जमा करने का आदेश पारित किया गया था. आवेदन जमा करने के चार दिन बाद जनप्रतिनिधियों की बैठक बुलाई गई थी. जिसमें खुलासा किया गया कि को-ऑपरेटिव बैंक खाताधारियों को राशि मुहैया नहीं होगी.

सीतामढ़ी
बाढ़ पीड़ित

जिलाधिकारी का बयान
जिलाधिकारी रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि 1 सप्ताह के अंदर सभी बाढ़ पीड़ित के खाते में 6000 की राहत राशि भेज दी जायेगी. वहीं, दूसरी तरफ जिला अधिकारी बताते हैं कि को-ऑपरेटिव बैंक खाताधारी बाढ़ पीड़ितों को यह लाभ नहीं मिल पाएगा. ऐसे में पीड़ित परेशान नजर आ रहे हैं.

Intro:जिले के अधिकांश बाढ़ पीड़ित बैंक खाता के चक्कर में राहत राशि पाने से वंचित हो रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण बाढ़ पीड़ित बेवस और लाचार है। Body:जिले के अधिकांश बाढ़ पीड़ितों की दर्द अधिकारियों की लापरवाही के कारण और ज्यादा बढ़ गया है। बिभीषिका का दंश झेल रहे बाढ़ पीड़ितों को पहले आपदा का दंश झेलना पड़ा और अब अधिकारियों की उदासीनता और गलत कार्यशैली के कारण उनके दर्द का मर्ज कई गुना अधिक बढ़ गया है।
जिले में 13 जुलाई को भीषण बाढ़ आई थी। उसको देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी बाढ़ प्रभावित 16 प्रखंडों के सभी पंचायतों और वार्डों में आंगनवाड़ी सेविका को भेजकर बाढ़ राहत राशि देने के उद्देश्य से आवेदन जमा करवाया गया। बाढ़ पीड़ितों में से अधिकांश बाढ़ पीड़ित ने दी सीतामढ़ी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड खाते की छाया प्रति और आधार कार्ड लगाकर उस आवेदन को आंगनवाड़ी सेविका के यहां जमा करवा दिया। और उस आवेदन को प्रखंड स्तर से जिला मुख्यालय को भेज दिया गया। लेकिन आवेदन लेने के दौरान बाढ़ पीड़ितों को यह नहीं बताया गया कि कोऑपरेटिव बैंक का खाता लगाने के बाद उन्हें राहत राशि से वंचित रहना होगा। आवेदन भरते समय सभी बैंकों के खाते की छाया प्रति मांगी गई थी। जिन बाढ़ पीड़ितों के पास जो खाता था उसकी छाया प्रति मुहैया करा दी गई। अब जिलाधिकारी के स्तर से यह बताया जा रहा है कि 6000 की राशि कोऑपरेटिव बैंक खाता धारी को नहीं मिलेगा। इस बात से अधिकांश आवेदन कर्ता बाढ़ पीड़ितों में आक्रोश और निराशा व्याप्त है। बाढ़ पीड़ितों का बताना है कि अगर कोऑपरेटिव बैंक का खाता लागू नहीं था तो फिर उनसे लिया क्यों गया।
इस संबंध में अंचला अधिकारी से जब पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि सभी जनप्रतिनिधि मुखिया वार्ड मेंबर के साथ बैठक कर उन्हें यह जानकारी दे दी गई थी। लेकिन अंचला अधिकारी का यह बयान 100% गलत है।क्योंकि 13 जुलाई को जिले में बाढ़ आई थी। उसके 3 दिन बाद 16 जुलाई को 24 घंटे का समय बताते हुए आंगनवाड़ी सेविका को आवेदन बाढ़ पीड़ितों से लेकर जमा करने का आदेश पारित किया गया था। और आवेदन जमा करने के चार रोज बाद यानी 20 जुलाई के बाद जनप्रतिनिधियों की बैठक बुलाई गई। और तब यह खुलासा किया गया कि कोऑपरेटिव बैंक खाता धारी का जो छाया प्रति है वह इस कार्य में लागू नहीं होगा। लिहाजा अधिकारियों की लापरवाही और मनमानी के कारण अब हजारों बाढ़ पीड़ित 6000 की राहत राशि पाने से वंचित हो रहे हैं। और इसके समाधान के लिए जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम भी नहीं उठाया जा रहा है। इस बात से बाढ़ पीड़ितों में खासा आक्रोश व्याप्त हो चुका है। बाढ़ पीड़ितों का बताना है कि अगर जिला प्रशासन की ओर से यह गलती हुई थी तो एक बार कोऑपरेटिव बैंक खाता धारी आवेदन कर्ता को मौका देना चाहिए। ताकि वह अपने अन्य बैंकों के खाते देकर इस लाभ को ले पाने में सफल होते।
वही इस संबंध में पूछे जाने पर जिलाधिकारी रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि 1 सप्ताह के अंदर सभी बाढ़ पीड़ित के खाते में 6000 की राहत राशि भेज दी जायेगी। वहीं दूसरी तरफ जिला अधिकारी बताते हैं कि को ऑपरेटिव बैंक खाता धारी बाढ़ पीड़ितों को यह लाभ नहीं मिल पाएगा। इस तरह दो प्रकार की बातें सुनकर जिलाधिकारी के कथनी और करनी में काफी अंतर दिख रहा है। जो बाढ़ पीड़ितों की परेशानी को और बढ़ा रहा है। बाइट 1. मन्नू कुमार। बाढ़ पीड़ित। बाइट 2. रंजीत कुमार सिंह। डीएम सीतामढ़ी। बाइट 3. रंजीत कुमार सिंह। डीएम सीतामढ़ी। विजुअल 4,5,6Conclusion:अब देखना होगा कि प्रशासन की ओर से इन बाढ़ पीड़ितों के लिए किस प्रकार से इस समस्या का समाधान निकाला जाता है। या फिर आपदा की राशि से यह बाढ़ पीड़ित वंचित रह जाते हैं। वह भी अधिकारियों की मनमानी और लापरवाही के कारण।
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