सीतामढ़ी: जिले के अधिकांश बाढ़ पीड़ित बैंक खाते के चक्कर में राहत राशि पाने से वंचित हो रहे है. विभीषिका का दंश झेल रहे बाढ़ पीड़ितों को पहले आपदा का दंश झेलना पड़ा. उसके बाद अब अधिकारियों की उदासीनता और गलत कार्यशैली के कारण उनका दर्द बढ़ता ही जा रहा है.
बाढ़ पीड़ितों को राहत राशि देने का ऐलान
जिले में 13 जुलाई को भीषण बाढ़ आई थी. उसको देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी बाढ़ प्रभावित 16 प्रखंडों में राहत राशि मुहैया कराना था. इसके लिए सभी पंचायतों और वार्डों के आंगनवाड़ी सेविकाओं को राहत राशि के लिए बाढ़ पीड़ितों से आवेदन जमा करवाना था. बाढ़ पीड़ितों में से अधिकांश बाढ़ पीड़ित ने को-ऑपरेटिव बैंक खाता और आधार कार्ड की छाया प्रति के साथ आवेदन को आंगनवाड़ी सेविका के यहां जमा करवा दिया. उस आवेदन को प्रखंड स्तर से जिला मुख्यालय भी भेज दिया गया.
को-ऑपरेटिव बैंक के खाताधारियों को नहीं मिलेगी राशि
जिलाधिकारी का कहना है कि 6000 की राशि को-ऑपरेटिव बैंक खाताधारी को नहीं मिलेगा. लेकिन आवेदन लेने के दौरान बाढ़ पीड़ितों को यह नहीं बताया गया था. ऐसे में को-ऑपरेटिव बैंक खाता धारकों को राहत राशि से वंचित रहना होगा. जबकि, आवेदन भरते समय किसी भी बैंक के खाते की छाया प्रति मांगी गई थी.
आवेदन के चार दिन बाद किया गया खुलासा
13 जुलाई को जिले में बाढ़ आई थी. उसके 3 दिन बाद 16 जुलाई को 24 घंटे का समय बताते हुए आंगनवाड़ी सेविका को आवेदन बाढ़ पीड़ितों से लेकर जमा करने का आदेश पारित किया गया था. आवेदन जमा करने के चार दिन बाद जनप्रतिनिधियों की बैठक बुलाई गई थी. जिसमें खुलासा किया गया कि को-ऑपरेटिव बैंक खाताधारियों को राशि मुहैया नहीं होगी.
जिलाधिकारी का बयान
जिलाधिकारी रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि 1 सप्ताह के अंदर सभी बाढ़ पीड़ित के खाते में 6000 की राहत राशि भेज दी जायेगी. वहीं, दूसरी तरफ जिला अधिकारी बताते हैं कि को-ऑपरेटिव बैंक खाताधारी बाढ़ पीड़ितों को यह लाभ नहीं मिल पाएगा. ऐसे में पीड़ित परेशान नजर आ रहे हैं.