सीतामढ़ीः इस साल बाढ़ की त्रासदी से जिलेवासी हलकान रहे. वहीं, बाढ़ के बाद अब सरकारी राशि में बंदरबांट का खेल शुरु हो गया है. सरकारी अधिकारी जरूरतमंद बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के बजाए राहत राशि मृतकों के खाते में भेज रहे हैं. यूं कहें कि कर्मियों की कार्यशैली के कारण मृतक भी बाढ़ राहत राशि ले रहे हैं.
लेकिन बाढ़ प्रभावित लोग राहत राशि लेने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. फिर भी उन्हें वह राशि नसीब नहीं हो रही. दरअसल, ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है. जिन लोगों की साल भर पहले मृत्यु हो चुकी है उनके खाते में 6 हजार की सहायता राशि पहुंच रही है और अब उस राशि को हासिल करना प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन गया है.
मृतक बलदेव के खाते में भेजी गई 6 हजार
दरअसल, इस मामले का खुलासा तब हुआ जब मृतक के खाते में बाढ़ सहायता की राशि पहुंची. बेलसंड प्रखंड के लोहासी गांव निवासी बलदेव प्रसाद की मृत्यु वर्ष 2018 में हो गई. इसके बावजूद उनके खाते में 6 हजार राशि भेजी गई. हालांकि मृतक की सूची सीओ को जनप्रतिनिधि की तरफ से दे दी गई थी. इसके बावजूद जिला मुख्यालय के कर्मियों की लापरवाही से मृतक के खाते में राशि भेज दी गई है. इसकी सूचना मृत के के पुत्र आकाश कुमार ने अंचलाधिकारी को दी.
राशि मिलने के बाद भी रिजेक्टेड लिस्ट में नाम
कर्मियों की लापरवाही से जहां मृतक बाढ़ राहत राशि ले रहे हैं. वहीं, जिनके खाते में सहायता राशि भेज दी गई है, वैसे लोगों का भी नाम रिजेक्टेड सूची में शामिल है. यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि कितने लोगों के खाते में राशि जा चुकी है. विभागीय लापरवाही के कारण एक व्यक्ति के खाते में दो-दो बार राशि जाने की परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी है.
अधिकांश बाढ़ पीड़ित वंचित
गौरतलब है कि जिले में 13 जुलाई को भीषण बाढ़ आई थी. करीब 25 लाख की आबादी इससे प्रभावित हो गई. जिला प्रशासन की तरफ से 16 जुलाई को 24 घंटे के अंदर बाढ़ पीड़ितों को राहत के लिए आवेदन जमा करने को कहा गया. अधिकांश लोग समय अभाव के कारण आवेदन करने से चूक गए. हालांकि कुछ लोग कॉपरेटिव बैंक में खाता होने के कारण सहायता राशि से वंचित हो गए. करीब डेढ़ लाख लोगों के खाते में राशि पहुंच गई है. हालांकि अधिकांश बाढ़ पीड़ित लाभ लेने से वंचित है.
पुरानी सूची के आधार पर भेजी जा रही राशि
सहायता राशि को लेकर अलग-अलग प्रखंडों और पंचायतों में सड़क जाम और धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. आवेदन करने से वंचित रह गए लोग अपना नाम उस सूची में शामिल करने की मांग कर रहे है. अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बाढ़ राहत की राशि वर्ष 2017 में बनाए सूची के आधार पर भेजी जा रही है. जबकि वर्ष 2017 से 2019 के बीच कई लोगों की मृत्यु हो चुकी है. हालांकि मृतकों की जानकारी सूची के माध्यम से जनप्रतिनिधियों ने उपलब्ध कराई है. इसके बावजूद मृतक के खाते में राशि पहुंच रही है.
पैसा वपस लाना कठिन
इस संबंध में बेलसंड प्रखंड के अंचलाधिकारी अरविंद प्रताप शाही कहते हैं कि राशि को हासिल करना चुनौती है. अगर जिनके खाते में राशि गई है वो वापस कर देते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है, अन्यथा लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. त्रुटियों पर अंचलाधिकारी ने कहा कि बाढ़ राहत राशि के लिए प्रक्रिया तेजी से अपनायी गई है. ऐसे में हो सकता है कि टाइपिंग में गलती हुई हो.