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सरकारी कर्मियों का कारनामाः यहां मृतक भी उठा रहे हैं बाढ़ राहत की सहायता राशि - भीषण बाढ़

बाढ़ प्रभावित लोगों के खाते में पैसे जाने के बजाए मृतकों के खाते में पैसे पहुंच रहे हैं. वहीं, कई लोगों का नाम सहायता राशि मिलने के बाद भी रिजेक्टेड लिस्ट में शामिल है.

सीतामढ़ी में मृतक भी उठा रहे बाढ़ राहत की सहायता राशि
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Published : Sep 25, 2019, 11:18 PM IST

सीतामढ़ीः इस साल बाढ़ की त्रासदी से जिलेवासी हलकान रहे. वहीं, बाढ़ के बाद अब सरकारी राशि में बंदरबांट का खेल शुरु हो गया है. सरकारी अधिकारी जरूरतमंद बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के बजाए राहत राशि मृतकों के खाते में भेज रहे हैं. यूं कहें कि कर्मियों की कार्यशैली के कारण मृतक भी बाढ़ राहत राशि ले रहे हैं.

लेकिन बाढ़ प्रभावित लोग राहत राशि लेने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. फिर भी उन्हें वह राशि नसीब नहीं हो रही. दरअसल, ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है. जिन लोगों की साल भर पहले मृत्यु हो चुकी है उनके खाते में 6 हजार की सहायता राशि पहुंच रही है और अब उस राशि को हासिल करना प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन गया है.

co office
सीओ ऑफिस में शिकायत दर्ज कराते लोग

मृतक बलदेव के खाते में भेजी गई 6 हजार
दरअसल, इस मामले का खुलासा तब हुआ जब मृतक के खाते में बाढ़ सहायता की राशि पहुंची. बेलसंड प्रखंड के लोहासी गांव निवासी बलदेव प्रसाद की मृत्यु वर्ष 2018 में हो गई. इसके बावजूद उनके खाते में 6 हजार राशि भेजी गई. हालांकि मृतक की सूची सीओ को जनप्रतिनिधि की तरफ से दे दी गई थी. इसके बावजूद जिला मुख्यालय के कर्मियों की लापरवाही से मृतक के खाते में राशि भेज दी गई है. इसकी सूचना मृत के के पुत्र आकाश कुमार ने अंचलाधिकारी को दी.

BELSAND CO
अंचलाधिकारी अरविंद प्रताप शाही

राशि मिलने के बाद भी रिजेक्टेड लिस्ट में नाम
कर्मियों की लापरवाही से जहां मृतक बाढ़ राहत राशि ले रहे हैं. वहीं, जिनके खाते में सहायता राशि भेज दी गई है, वैसे लोगों का भी नाम रिजेक्टेड सूची में शामिल है. यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि कितने लोगों के खाते में राशि जा चुकी है. विभागीय लापरवाही के कारण एक व्यक्ति के खाते में दो-दो बार राशि जाने की परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी है.

belsand
परमानंद सिंह, मुखिया पति लोहासी पंचायत

अधिकांश बाढ़ पीड़ित वंचित
गौरतलब है कि जिले में 13 जुलाई को भीषण बाढ़ आई थी. करीब 25 लाख की आबादी इससे प्रभावित हो गई. जिला प्रशासन की तरफ से 16 जुलाई को 24 घंटे के अंदर बाढ़ पीड़ितों को राहत के लिए आवेदन जमा करने को कहा गया. अधिकांश लोग समय अभाव के कारण आवेदन करने से चूक गए. हालांकि कुछ लोग कॉपरेटिव बैंक में खाता होने के कारण सहायता राशि से वंचित हो गए. करीब डेढ़ लाख लोगों के खाते में राशि पहुंच गई है. हालांकि अधिकांश बाढ़ पीड़ित लाभ लेने से वंचित है.

sitamarhi
आकाश कुमार, मृतक बलदेव प्रसाद का पुत्र

पुरानी सूची के आधार पर भेजी जा रही राशि
सहायता राशि को लेकर अलग-अलग प्रखंडों और पंचायतों में सड़क जाम और धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. आवेदन करने से वंचित रह गए लोग अपना नाम उस सूची में शामिल करने की मांग कर रहे है. अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बाढ़ राहत की राशि वर्ष 2017 में बनाए सूची के आधार पर भेजी जा रही है. जबकि वर्ष 2017 से 2019 के बीच कई लोगों की मृत्यु हो चुकी है. हालांकि मृतकों की जानकारी सूची के माध्यम से जनप्रतिनिधियों ने उपलब्ध कराई है. इसके बावजूद मृतक के खाते में राशि पहुंच रही है.

ईटावी भारत संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

पैसा वपस लाना कठिन
इस संबंध में बेलसंड प्रखंड के अंचलाधिकारी अरविंद प्रताप शाही कहते हैं कि राशि को हासिल करना चुनौती है. अगर जिनके खाते में राशि गई है वो वापस कर देते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है, अन्यथा लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. त्रुटियों पर अंचलाधिकारी ने कहा कि बाढ़ राहत राशि के लिए प्रक्रिया तेजी से अपनायी गई है. ऐसे में हो सकता है कि टाइपिंग में गलती हुई हो.

सीतामढ़ीः इस साल बाढ़ की त्रासदी से जिलेवासी हलकान रहे. वहीं, बाढ़ के बाद अब सरकारी राशि में बंदरबांट का खेल शुरु हो गया है. सरकारी अधिकारी जरूरतमंद बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के बजाए राहत राशि मृतकों के खाते में भेज रहे हैं. यूं कहें कि कर्मियों की कार्यशैली के कारण मृतक भी बाढ़ राहत राशि ले रहे हैं.

लेकिन बाढ़ प्रभावित लोग राहत राशि लेने के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं. फिर भी उन्हें वह राशि नसीब नहीं हो रही. दरअसल, ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है. जिन लोगों की साल भर पहले मृत्यु हो चुकी है उनके खाते में 6 हजार की सहायता राशि पहुंच रही है और अब उस राशि को हासिल करना प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन गया है.

co office
सीओ ऑफिस में शिकायत दर्ज कराते लोग

मृतक बलदेव के खाते में भेजी गई 6 हजार
दरअसल, इस मामले का खुलासा तब हुआ जब मृतक के खाते में बाढ़ सहायता की राशि पहुंची. बेलसंड प्रखंड के लोहासी गांव निवासी बलदेव प्रसाद की मृत्यु वर्ष 2018 में हो गई. इसके बावजूद उनके खाते में 6 हजार राशि भेजी गई. हालांकि मृतक की सूची सीओ को जनप्रतिनिधि की तरफ से दे दी गई थी. इसके बावजूद जिला मुख्यालय के कर्मियों की लापरवाही से मृतक के खाते में राशि भेज दी गई है. इसकी सूचना मृत के के पुत्र आकाश कुमार ने अंचलाधिकारी को दी.

BELSAND CO
अंचलाधिकारी अरविंद प्रताप शाही

राशि मिलने के बाद भी रिजेक्टेड लिस्ट में नाम
कर्मियों की लापरवाही से जहां मृतक बाढ़ राहत राशि ले रहे हैं. वहीं, जिनके खाते में सहायता राशि भेज दी गई है, वैसे लोगों का भी नाम रिजेक्टेड सूची में शामिल है. यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि कितने लोगों के खाते में राशि जा चुकी है. विभागीय लापरवाही के कारण एक व्यक्ति के खाते में दो-दो बार राशि जाने की परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी है.

belsand
परमानंद सिंह, मुखिया पति लोहासी पंचायत

अधिकांश बाढ़ पीड़ित वंचित
गौरतलब है कि जिले में 13 जुलाई को भीषण बाढ़ आई थी. करीब 25 लाख की आबादी इससे प्रभावित हो गई. जिला प्रशासन की तरफ से 16 जुलाई को 24 घंटे के अंदर बाढ़ पीड़ितों को राहत के लिए आवेदन जमा करने को कहा गया. अधिकांश लोग समय अभाव के कारण आवेदन करने से चूक गए. हालांकि कुछ लोग कॉपरेटिव बैंक में खाता होने के कारण सहायता राशि से वंचित हो गए. करीब डेढ़ लाख लोगों के खाते में राशि पहुंच गई है. हालांकि अधिकांश बाढ़ पीड़ित लाभ लेने से वंचित है.

sitamarhi
आकाश कुमार, मृतक बलदेव प्रसाद का पुत्र

पुरानी सूची के आधार पर भेजी जा रही राशि
सहायता राशि को लेकर अलग-अलग प्रखंडों और पंचायतों में सड़क जाम और धरना प्रदर्शन किया जा रहा है. आवेदन करने से वंचित रह गए लोग अपना नाम उस सूची में शामिल करने की मांग कर रहे है. अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बाढ़ राहत की राशि वर्ष 2017 में बनाए सूची के आधार पर भेजी जा रही है. जबकि वर्ष 2017 से 2019 के बीच कई लोगों की मृत्यु हो चुकी है. हालांकि मृतकों की जानकारी सूची के माध्यम से जनप्रतिनिधियों ने उपलब्ध कराई है. इसके बावजूद मृतक के खाते में राशि पहुंच रही है.

ईटावी भारत संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट

पैसा वपस लाना कठिन
इस संबंध में बेलसंड प्रखंड के अंचलाधिकारी अरविंद प्रताप शाही कहते हैं कि राशि को हासिल करना चुनौती है. अगर जिनके खाते में राशि गई है वो वापस कर देते हैं तो कोई दिक्कत नहीं है, अन्यथा लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. त्रुटियों पर अंचलाधिकारी ने कहा कि बाढ़ राहत राशि के लिए प्रक्रिया तेजी से अपनायी गई है. ऐसे में हो सकता है कि टाइपिंग में गलती हुई हो.

Intro: सरकारी राशि का बंदरबांट जरूरतमंद बाढ़ पीड़ितों के बजाय मृतकों के खाते में भेजी जा रही बाढ़ राहत की राशि।Body: जिले के कर्मियों की कार्यशैली के कारण मृतक भी बाढ़ राहत राशि ले रहे हैं। लेकिन जो बाढ़ प्रभावित जरूरतमंद बाढ़ पीड़ित है। वह बाढ़ राहत राशि लेने के लिए दर दर की ठोकर खा रहे हैं। उन्हें वह राशि नसीब नहीं हो रही है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, कर्मियों की लापरवाही के कारण साल भर पूर्व जिनकी मृत्यु हो चुकी है। उनके खाते में 6000 की राशि पहुंच रही है। और अब उस राशि को हासिल करना प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बन गया है। बेलसंड प्रखंड के लोहासी गांव निवासी बलदेव प्रसाद की मृत्यु वर्ष 2018 में हो गई।इसके बावजूद उसके खाते में 6000 की राशि भेजी गई है। जबकि उस गांव के मुखिया और वार्ड सदस्य ने अंचला अधिकारी को जो सूची मुहैया कराई थी। उसमें बलदेव प्रसाद को मृत बताया गया था। इसके बावजूद जिला मुख्यालय में बैठे कर्मियों की लापरवाही से मृतक बलदेव के खाते में वह राशि भेज दी गई है। जिसकी सूचना बलदेव का पुत्र आकाश कुमार में अंचलाधिकारी को दी है। अब उस राशि को वापस करने में सरकारी कर्मियों के पसीने छूट रहे हैं। यह है जिला प्रशासन की पहली त्रुटि।
दूसरी त्रुटि:__________________________
कर्मियों की लापरवाही से मृतक तो बाढ़ राहत राशि ले ही रहे हैं। इसके अलावा दूसरी त्रुटि भी सामने आई है। जिसमें जिन लोगों को वह राशि उनके खाते में भेज दी गई है। वैसे लोगों का भी नाम रिजेक्टेड सूची में शामिल है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि जिन लोगों को एक्सेप्टेड सूची के आधार पर राशि भेज दी गई, तो आखिर किस तरह उसी व्यक्ति का नाम रिजेक्टेड सूची में शामिल होकर आ रहा है। और अभी रिजेक्टेड सूची के आधार पर उसका संशोधन प्रक्रिया चल रहा है। अब यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है की किन किन व्यक्तियों के खाते में राशि जा चुकी है। इसके बावजूद रिजेक्टेड सूची में भी उनका नाम शामिल है। यह काम जिला प्रशासन के लिए अब चुनौती बन चुकी है। और इसका परिणाम है कि विभागीय लापरवाही के कारण एक व्यक्ति के खाते में दो-दो बार राशि जाने की परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी है। अब जिला प्रशासन इस पर कैसे नकेल कस्ता है आने वाला वक्त ही बताएगा।
अधिकांश बाढ़ पीड़ित वंचित:___________________
13 जुलाई को जिले में भीषण बाढ़ आई थी। और करीब 25 लाख की आबादी प्रभावित हो गई। इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने 16 जुलाई को 24 घंटे के अंदर बाढ़ पीड़ितों को राहत के लिए आवेदन जमा करने को कहा। अधिकांश लोगों ने समय अभाव के कारण आवेदन करने से चूक गए। और जिन लोगों ने आवेदन किया, उसमें से कुछ लोगों को यह बताया गया कि आपका खाता कॉपरेटिव बैंक का है। इसलिए आप इस राशि को हासिल नहीं कर सकते। करीब डेढ़ लाख लोगों के खाते में राशि पहुंची है। लेकिन अभी अधिकांश बाढ़ पीड़ित इस लाभ को लेने से वंचित है। और इसकी मांग को लेकर आए दिन अलग-अलग प्रखंडों और पंचायतों में सड़क जाम और धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। दूसरी तरफ जो
लोग आवेदन करने से वंचित रह गए थे। वह अपना नाम उस सूची में शामिल करने की मांग भी कर रहे है। लेकिन जरूरतमंदों को यह लाभ नहीं मिल पा रहा है। वंही मृतक की सूची में राशि भेजी जा रही है। तो इससे यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारियों और कर्मियों की कार्य करने की शैली कितनी बेहतर है। अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का बताना है कि जो बाढ़ राहत की राशि खाते में भेजी गई है। वह वर्ष 2017 के बनाए सूची के आधार पर भेजी जा रही है। जबकि वर्ष 2017 से 2019 के बीच कई ऐसे लोग हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है। और इसकी सूचना सूची के माध्यम से जनप्रतिनिधियों द्वारा उपलब्ध कराई गई है। इसके बावजूद मृतक के खाते में राशि पहुंच रही है। और उस राशि को हासिल करना जिला प्रशासन के लिए चुनौती बन गई है। इसे वापस लेने की प्रक्रिया भी काफी लंबी है। लिहाजा सरकारी राशि का बंदरबांट चल रहा है।
बाइट 1. आकाश कुमार। मृतक बलदेव प्रसाद का पुत्र लोहासी पंचायत।
बाइट 2. परमानंद सिंह। मुखिया पति लोहासी पंचायत।
बाइट 3. अरविंद प्रताप शाही। अंचलाधिकारी बेलसंड प्रखंड।
पी टू सी 4.
विजुअल 5,6,7,8,9Conclusion:पी टू सी:___राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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