सीतामढ़ी: बिहार में सभी आयुष चिकित्सक (मेनस्ट्रीमिंग और आरबीएसके) ने आयुष संघर्ष समिति के बैनर तले सरकार की नीतियों से परेशान होकर सामूहिक हड़ताल का निर्णय लिया है. इस क्रम में 18 से 23 अगस्त तक सभी काला बिल्ला लगाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
25 अगस्त से हड़ताल पर जाने को बाध्य होंगे आयुष चिकित्सक
विरोध कर रहे आयुष चिकित्सकों ने कहा कि अपनी 6 सूत्रीय मांगे पूरी नहीं होने पर 25 अगस्त से पूरी तरह से हड़ताल पर जाने के लिए बाध्य होंगे और इसकी जिम्मेवारी स्वस्थ्य विभाग बिहार की होगी. 2010 और 2015 से मेनस्ट्रीम आयुष और आरबीएसके आयुष बिहार में स्वस्थ्य सेवाओं को पूरी तरह से संभाल रहा है. उन्होंने कहा कि कोविड काल में आयुष द्वारा आइसोलेशन वार्ड, कोविड सर्वे, ओपीडी, इमरजेंसी का कार्य प्रथम पंक्ति के रूप में कर रहा है. फिर भी सरकार द्वारा आयुष के लिए बनाए अपने नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. आयुष चिकित्सकों के हड़ताल पर चले जाने से सवास्थ्य विभाग के सभी कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो सकते है.
मानदेय को लेकर काली पट्टी लगाकर कर रहे हैं विरोध
चिकित्सकों ने बताया की 2012 में आयुष चिकित्सकों का मानदेय 20,000 रुपए प्रतिमाह से बढ़ा कर 28,000 प्रतिमाह किया गया था. जिसको केवल 4 माह तक भुकतान कर 1अप्रैल 2013 से फिर से घटा कर 20000 रुपए कर दिया गया. 7 दिसम्बर 2018 से आयुष चिकित्सकों का मानदेय फिर सरकार द्वारा 44,000 रुपए प्रतिमाह किया गया है. इसे 1 अप्रैल 2020 से नहीं देकर फिर से पुराना मानदेय ही दिया जा रहा है.
65,000 रुपए मानदेय की चिकित्सकों ने की मांग
चिकित्सकों का कहना है कि सरकार के मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए निर्णय में आयुष चिकित्सकों का वेतन एमबीबीएस चिकित्सकों के बराबर किया गया है. जिसके अनुसार आयुष चिकित्सकों का वेतन 65,000 रुपए प्रतिमाह होना चाहिए. जिसका दूर दूर तक नामो निशान नहीं है.
आयुष चिकित्सक दे रहे हैं अपना स्वर्णिम समय
चिकित्सकों ने कहा कि सभी आयुष चिकित्सको ने अपना स्वर्णिम समय बिहार सरकार को दिया है. अगर उनका समायोजन/नियमतिकरन नहीं होता तो उनका और उनके परिवार का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. इसलिए आयुष चिकित्सकों का स्थाईकरण किया जाना जरुरी है. इस सम्बन्ध में चौधरी कमिटी का निर्णय भी सरकार ने मान लिया है और उसको आयुष चिकित्सकों पर लागू करना बाकी है.