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शेखपुरा: लीवर कैंसर से जूझ रहे छात्र की मौत, परिवार में मातम - Youth dies of liver cancer in Sheikhpura

गरीब परिवार के 22 वर्षीय युवक की लीवर कैंसर से मौत हो गई. वहीं, पिता ने कहा कि बेटे के इलाज में काफी खर्च करने के बाद भी बेटे को बचा नहीं पाए.

शेखपूरा
लीवर कैंसर से छात्र की मौत
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Published : Dec 13, 2020, 8:13 PM IST

शेखपुरा: जिले के कोरमा थाना क्षेत्र के भदौसी गांव मे लीवर कैंसर से जूझ रहे छात्र की मौत इलाज के क्रम में पटना के अस्पताल में हो गयी. मृतक भरोसी महतो का 22 वर्षीय पुत्र नीतीश कुमार था. जब उसकी मौत की खबर गांव पहुंची मृतक के घर मे कोहराम मच गया. मां-बहन सहित अन्य परिजनों के रोने से माहौल गमगीन हो गया.

लिवर कैंसर से छात्र की मौत
इस बाबत ग्रामीणों ने बताया कि नीतीश तीन भाइयों में सबसे बड़ा था. वह वर्तमान में आइटीआई करने के बाद रामधीन महाविद्यालय में स्नातक कर रहा था. वह पढ़ने में काफी तेज था. इसलिए उसके पिता काफी उम्मीदों से मेहनत मजदूरी करके उसको पढ़ा रहे थे. पिछले दो महीनों से वह लीवर कैंसर की बीमारी से जूझ रहा था.

परिवार का बुझ गया चिराग
मृतक का शेखपुरा से लेकर पटना तक उसका इलाज हुआ लेकिन स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ. उसके मृत्यु के उपरांत उसके पिता के उम्मीदों का दीया भी बुझ गया. वहीं, मृतक के पिता ने बताया कि मेरा बेटा पढ़ने में बहुत तेज था. किंतु उसको लाइलाज बीमारी ने लील लिया. उसके इलाज में कर्जा लेकर जितना संभव हो सका इलाज कराया. फिर भी डॉक्टर उसकी जान नहीं बचा पाए.

शेखपुरा: जिले के कोरमा थाना क्षेत्र के भदौसी गांव मे लीवर कैंसर से जूझ रहे छात्र की मौत इलाज के क्रम में पटना के अस्पताल में हो गयी. मृतक भरोसी महतो का 22 वर्षीय पुत्र नीतीश कुमार था. जब उसकी मौत की खबर गांव पहुंची मृतक के घर मे कोहराम मच गया. मां-बहन सहित अन्य परिजनों के रोने से माहौल गमगीन हो गया.

लिवर कैंसर से छात्र की मौत
इस बाबत ग्रामीणों ने बताया कि नीतीश तीन भाइयों में सबसे बड़ा था. वह वर्तमान में आइटीआई करने के बाद रामधीन महाविद्यालय में स्नातक कर रहा था. वह पढ़ने में काफी तेज था. इसलिए उसके पिता काफी उम्मीदों से मेहनत मजदूरी करके उसको पढ़ा रहे थे. पिछले दो महीनों से वह लीवर कैंसर की बीमारी से जूझ रहा था.

परिवार का बुझ गया चिराग
मृतक का शेखपुरा से लेकर पटना तक उसका इलाज हुआ लेकिन स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ. उसके मृत्यु के उपरांत उसके पिता के उम्मीदों का दीया भी बुझ गया. वहीं, मृतक के पिता ने बताया कि मेरा बेटा पढ़ने में बहुत तेज था. किंतु उसको लाइलाज बीमारी ने लील लिया. उसके इलाज में कर्जा लेकर जितना संभव हो सका इलाज कराया. फिर भी डॉक्टर उसकी जान नहीं बचा पाए.

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