शेखपुरा: अरियरी प्रखंड क्षेत्र के डीहा गांव के वार्ड नंबर 8 अंतर्गत नल-जल योजना के तहत घर-घर पानी पहुंचाने के लिए पेयजल आपूर्ति केंद्र और फ्लोराइड युक्त मशीन शोभा की वस्तु बन कर रह गई है. सीएम आगमन के मद्देनजर घर-घर पानी पहुंचाने के लिए कनेक्शन करा दिया गया. बोरिंग फेल हो जाने के कारण निजी बोरिंग से पानी आपूर्ति कराया गया था. लेकिन सीएम के जाने के बाद कुछ माह तो पानी मिला. उसके बाद निजी बोरिंग से पानी आपूर्ति बंद हो गया.
कई चापाकल खराब
इसके कारण ग्रामीणों को अब तक पानी नहीं मिला है. ग्रामीण सरकारी चापाकल और खेत-खलिहान में लगे बोरिंग से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं. इस दौरान कई चापाकल खराब हो गए थे. जिसकी मरम्मत के लिए आवेदन देने के बाद पीएचईडी कर्मी पाइप सहित चापाकल को उखाड़ ले गए. लेकिन पांच माह बीत जाने के बावजूद उक्त चापाकल को दुबारा नहीं लगाया गया है.
पीएचईडी में दिया आवेदन
सरकारी चापाकल की हैंडल और बॉडी खोलकर स्थानीय दबंग उसमें समर्सिबल लगाकर निजी उपयोग कर रहे हैं. जिसके कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. डीहा गांव के वार्ड संख्या आठ के भगवान दास, सुनीता देवी, बेबी देवी, पूनम देवी आदि ने कहा कि लगभग पांच वर्ष पूर्व चापाकल खराब होने पर उसकी मरम्मति के लिए पीएचईडी में आवेदन दिया गया था. जिसके बाद पीएचईडी कर्मी गांव पहुंचे और पाइप सहित चापाकल हैंडल और बॉडी उखाड़ कर लेकर चले गए.
ग्रामीणों को हो रही परेशानी
इस दौरान कर्मियों ने बताया कि दो से तीन दिनों में चापाकल लगाया जायेगा. लेकिन पांच माह बीतने के बावजूद भी चापाकल नहीं लगाया गया. जब इसकी शिकायत लेकर पीएचईडी पहुंचे तो, वहां मौजूद लोगों ने डांट-फटकार कर भगा दिया. चापाकल नहीं रहने के कारण ग्रामीणों को पानी को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि एक सरकारी चापाकल का हैंडल और बॉडी खोलकर स्थानीय दबंग उसमें समर्सिबल डालकर उसका उपयोग कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2017 में सीएम नीतीश कुमार के अरियरी दौरे से पूर्व अधिकारियों ने दिखाने के लिए सात निश्चय के तहत नल जल योजना, नली-गली योजना सहित तमाम योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए दिन-रात युद्धस्तर कार्य कराया.
फ्लोराइड युक्त मशीन शोभा की वस्तु
हर घर तो नल का कनेक्शन पहुंच गया, लेकिन बोरिंग फेल हो गया. जिसके बाद दूसरे और तीसरे जगह बोरिंग लगाया गया. लेकिन असफल साबित हुआ. जिसके बाद अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के कोप से बचने के लिए पास के ही खेत में लगाये हुए किसान शंकर पासवान के बोरिंग से पानी की आपूर्ति शुरू करवा दी. जिसके बाद मुख्यमंत्री के जाते ही किसान ने अपने बोरिंग से पानी देना बंद कर दिया और अब तक नलकूप से लेकर फ्लोराइड युक्त मशीन शोभा की वस्तु बनी हुई है.