शेखपुरा: भारत सरकार के ऑपरेशन गंगा (Indian Government Operation Ganga) के तहत युद्ध में फंसे छात्रों को यूक्रेन (Russia Ukraine War) से वापस लाया जा रहा है. अब तक हजारों छात्र वतन वापसी कर चुके हैं. इसी कड़ी में शेखपुरा के 2 मेडिकल छात्र यूक्रेन से लौटे हैं. शेखपुरा के बंगाली पर मोहल्ले निवासी विजय कुमार के पुत्र जय कुमार और घाटकुसुम्भा प्रखंड अंतर्गत डीहकुसुम्भा गांव निवासी सुभाष सिंह के पुत्र आशीष आनंद हैं. दोनों के सकुशल वापस लौटने पर परिजनों ने जोरदार स्वागत किया है.
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5 दिन यूक्रेन में जंग के बीच फंसे थे दोनों छात्र: बता दें कि दोनों मेडिकल छात्र 5 दिनों तक जंग के बीच फंसे रहे और 8 वें दिन देर रात घर लौटे. पटना एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने पहुंचे परिजनों ने उनका फूल माला और बैंड बाजा के साथ स्वागत किया. फ्लाइट शुक्रवार शाम 7 बजे एयरपोर्ट पर पहुंची थी. फ्लाइट लैंड करते ही बैंड-बाजे के साथ परिजनों ने अपनी खुशी व्यक्त की और एयरपोर्ट पर भारत माता की जय और वंदे मातरम् के नारे लगने लगे. छात्रों के बाहर निकलते ही परिजनों ने रोते हुए उनको गले लगाया और चूमने लगे. सभी केंद्र की मोदी सरकार को दुआएं दे रहे थे कि सरकार की पहल की वजह से उनके बच्चे सही-सलामत पहुंच गए.
छात्रों के परिजनों ने कहा- आज चैन की नींद आएगी: बंगाली पर मोहल्ले निवासी विजय कुमार उर्फ विमल यादव और उनकी धर्मपत्नी बेबी देवी ने पुत्र जय कुमार के सकुशल घर लौटने पर कहा कि जब से जंग की खबर मिली थी तब से उनके हलक में निवाला नहीं गया. पूरा वक्त भगवान से प्रार्थना में गुजरा, अब बच्चे सलामत आ गए हैं. वो अब चैन की नींद सो सकेंगे. वहीं, आशीष आनंद के पिता सुभाष सिंह एवं उनकी पत्नी आशा कार्यकर्ता अनीता देवी ने कहा कि यूक्रेन और रूस में जंग छिड़ने की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने टीवी देखा तो अनहोनी की चिंता सताने लगी. अपने पुत्र से बात की तो उसने यूक्रेन के हालात बताये. उसे सुनकर दिल दहल गया था. तब से उनका परिवार न तो ढंग से सो पाया है और न ही खाया है. हमेशा भगवान से बेटे की सकुशल वापसी के लिए प्रार्थना करते रहते थे. अब जब उनका पुत्र घर आ गया तो मानों भगवान ने उनकी सारी खुशियां आंचल में डाल दी.
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MBBS फाइनल ईयर के हैं दोनों छात्र: दोनों छात्र यूक्रेन में एमबीबीएस फाइनल ईयर के स्टूडेंट हैं. इनमें से जय कुमार ओडेसा और आशीष आनंद यूक्रेन के टरनोपिल में फंसे हुए थे. छात्रों ने बताया कि वो लोग 24 फरवरी को रशियन हमले के बीच फंस गए थे. 28 फरवरी तक भूखे-प्यासे बमबारी के बीच में गुजारे और केंद्र सरकार की पहल के बाद खतरा मोल लेते हुए यूक्रेन से पोलैंड बॉर्डर फिर फ्लाइट से दिल्ली और अब अपने घर पहुंचे हैं. एयरपोर्ट पर बाहर आते ही परिजनों ने बच्चों को गले लगाया और भगवान तथा सरकार का शुक्रिया अदा किया. दोनों छात्रों ने सरकार से अपनी पढ़ाई को यहीं पर पूरा कराने की व्यवस्था की मांग की है.
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