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बारिश और तेज आंधी ने बढ़ाई बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें, खाना व पेयजल की भारी किल्लत

शेखपुरा में बाढ़ से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. पानी घटने की रफ्तार धीमी रहने के कारण बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोगों के सामने मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है. बाढ़ की विकरालता के बीच लोगों को अब तरह-तरह की कठिनाइयां उत्पन्न होने लगी है. पढ़िए पूरी खबर

बाढ़ पीड़ितों की बढ़ी परेशानी
बाढ़ पीड़ितों की बढ़ी परेशानी
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Published : Sep 3, 2021, 2:20 PM IST

Updated : Sep 4, 2021, 7:11 AM IST

शेखपुरा: बिहार के शेखपुर जिले में हरोहर नदी (Harohar River) के जलस्तर में कमी होने के बावदूद, घाट कुसुम्भा (Ghat Kusumbha) में बाढ़ (Flood) के हालात जस का तस बना हुआ है. बाढ़ में दर्जनों फूस के घर (Thatched Houses) ध्वस्त हो चुके हैं. पीड़ित, पानी से भरे घरों के सामानों की सुरक्षा के लिए, खाट पर, चौकी पर, मचान आदि पर शरण लिए हुए हैं. वहीं, बाढ़ से दर्जनों गांव टापू बने हैं. सड़क किनारे एवं उंचे स्थानों पर शरण लेने वालों की भी जिंदगी बदतर बन गई है.

ये भी पढ़ें- बेतिया ग्राउंड रिपोर्ट: बाढ़ में डूब गया आशियाना, चंपारण तटबंध पर शरण लेने को मजबूर हैं बाढ़ पीड़ित

क्षेत्र में लगातार 20 दिनों से बाढ़ की स्थिति यथावत बनी हुई है. पानी घटने की रफ्तार धीमी रहने के कारण बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोगों के सामने मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है. बाढ़ की विकरालता के बीच लोगों को अब तरह-तरह की कठिनाइयां उत्पन्न होने लगी है. स्थिति यह है कि 20 दिनों से ऊंचे स्थानों पर शरण लिए, प्रभावित बाढ़ पीड़ितों की स्थिति गंभीर बनी है. प्रखंड क्षेत्र में सड़क, बांध, गांव के ऊंचे स्थान पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित, ज्यादातर मजदूर तबके के लोग हैं.

मजदूरी करने के बाद ही इनके परिवार का भरण पोषण चलता है. लेकिन, बाढ़ की त्रासदी झेल रहे बाढ़ पीड़ित बेबस व लाचार बने हुए हैं. इन लोगों को काम भी नहीं मिल पा रहा है. जिससे इन लोगों को अब जिंदगी काटना मुश्किल हो रहा है. इधर, जिला प्रशासन भी बाढ़ पीड़ितों को और राहत के नाम पर मजाक कर रहा है. घाटकुसुम्भा प्रखंड के दो पंचायतों पानापुर व डीहकुसुम्भा पंचायत के लोगों की समस्या अभी भी बरकरार है.

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घरों में बाढ़ का पानी अभी भी घुसा हुआ है. सिर ढ़कने के लिए लोगों ने प्लास्टिक तान रखा है. भोजन व शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है. बाढ़ के पानी से ही प्यास बुझाना पड़ता है. नदी का जलस्तर धीरे-धीरे कम होने से प्रखंड के बाढ़ प्रभावित पंचायतों की स्थिति, अभी भी भयानक बनी हुई है. घरों में पानी रहने पर लोग चौकी लगाकर रहने के लिए मजबूर हैं. पानापुर महादलित टोला के दीलीप मांझी, रीना देवी बताते हैं कि घरों में पानी घुसने से बांध पर और स्कूल के छत पर खुले आसमान में शरण लिए हुए हैं.

चापाकल डूब जाने के कारण बाढ़ के पानी में ही बर्तन धोना व खाना बनाना पड़ता है. विमला देवी बताती है कि जब नाव पर कुछ बोरा व आदमी को आते देखते हैं तो आस जग जाती है कि कोई कुछ बांटने आ रहा है. लेकिन कुछ नहीं मिलता है. राहत का पैकेट जिसे मिला वह ले लिया. बाकी सब ऐसे ही लाचार बेबस बैठे हैं. नाव नहीं रहने के कारण हम लोग घरों में कैद में ही कैद हो गए हैं. इस समय हम लोग सिर्फ भगवान पर ही आस लगाए बैठे हैं.

ये भी पढ़ें- सारण: बाढ़ के पानी में डूबे दर्जनों स्कूल, हजारों छात्रों की पढ़ाई हुई प्रभावित

बाढ़ से अधिक तबाही पानापुर, प्राणपुर, जितपारपुर, महम्मदपुर, हरनामचक, आलापुर, सुजावलपुर, गदबदिया, अकरपुर, वृन्दावन, मुरबरीया आदि गांवों में हुआ है. लोग बेघर हो कर बांध, स्कूल के छत, सड़क पर छोटी से प्लास्टिक टांग व झोपड़ी बनाकर परिवार के साथ रह रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र में गुरुवार की शाम तेज हवा व बारिश ने बाढ़ पीड़ितों की परेशानी और बढ़ा कर रख दी थी. सड़क, बांध, ऊंचे स्थानों पर शरण लिए सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों के आशियाने उड़ गए.

आशियाने बचाने के लिए बाढ़ पीड़ितों के बीच अफरा-तफरी का माहौल बना रहा. खाने- पीने की सामान बचाने के लिए मूसलाधार बारिश में लोग डटे रहे. करीब आधे घंटे के बाद स्थिति समान्य हुआ. तब जाकर पीड़ितों ने राहत की सांसे ली. घाटकुसुम्भा प्रखंड में आई बाढ़ मे करीब 1659 हेक्टेयर में लगी धान, दलहन, मक्का, सब्जी की फसलें बर्बाद हो गई हैं. यह जानकारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी देते हुए कहा कि फसलों की क्षति का अनुमानित आकलन कराया गया है.

ये भी पढ़ें- ये हैं सच्चाई: शेखपुरा में सड़क पर रहने को मजबूर हैं बाढ़ पीड़ित
पानापुर स्कूल के छत पर अस्थायी पूनर्वास स्थल पर रह रहे बाढ़ पीड़ित सकल मांझी की 30 वर्षीय पत्नी ने प्लास्टिक के तंबू में एक लड़के को जन्म दिया है. इससे इनके घरों में खुशी है. हालांकि, अभी तक इनको प्रशासन की तरफ से कुछ भी सहायता नहीं मिली है.

बताते चलें कि बिहार में बाढ़ (Flood) का कहर जारी है. प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है. लगातार बारिश के कारण गंगा, घाघरा, महानंदा, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक और कमला बलान समेत कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर (Rivers Above Danger Mark) बह रही हैं. केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) के अनुसार पटना जिले के गांधी घाट में गंगा नदी का जलस्तर (Water Level of Ganga) 12 सेंटीमीटर ऊपर है. इसके जलस्तर में 2 सेंटीमीटर की वृद्धि होने की संभावना है.

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वहीं, बिहार (Bihar) के शेखपुरा (Sheikhpura ) जिले में बाढ़ (Flood) पीड़ितों के हालात में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है. बाढ़ के पानी ने दो दर्जन से ज्यादा गांवों में तबाही मचाई है. बाढ़ के पानी ने खेतों में लगी धान की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. जिससे किसानों की कमर पूरी तरह टूट गयी है.

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शेखपुरा: बिहार के शेखपुर जिले में हरोहर नदी (Harohar River) के जलस्तर में कमी होने के बावदूद, घाट कुसुम्भा (Ghat Kusumbha) में बाढ़ (Flood) के हालात जस का तस बना हुआ है. बाढ़ में दर्जनों फूस के घर (Thatched Houses) ध्वस्त हो चुके हैं. पीड़ित, पानी से भरे घरों के सामानों की सुरक्षा के लिए, खाट पर, चौकी पर, मचान आदि पर शरण लिए हुए हैं. वहीं, बाढ़ से दर्जनों गांव टापू बने हैं. सड़क किनारे एवं उंचे स्थानों पर शरण लेने वालों की भी जिंदगी बदतर बन गई है.

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क्षेत्र में लगातार 20 दिनों से बाढ़ की स्थिति यथावत बनी हुई है. पानी घटने की रफ्तार धीमी रहने के कारण बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोगों के सामने मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है. बाढ़ की विकरालता के बीच लोगों को अब तरह-तरह की कठिनाइयां उत्पन्न होने लगी है. स्थिति यह है कि 20 दिनों से ऊंचे स्थानों पर शरण लिए, प्रभावित बाढ़ पीड़ितों की स्थिति गंभीर बनी है. प्रखंड क्षेत्र में सड़क, बांध, गांव के ऊंचे स्थान पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित, ज्यादातर मजदूर तबके के लोग हैं.

मजदूरी करने के बाद ही इनके परिवार का भरण पोषण चलता है. लेकिन, बाढ़ की त्रासदी झेल रहे बाढ़ पीड़ित बेबस व लाचार बने हुए हैं. इन लोगों को काम भी नहीं मिल पा रहा है. जिससे इन लोगों को अब जिंदगी काटना मुश्किल हो रहा है. इधर, जिला प्रशासन भी बाढ़ पीड़ितों को और राहत के नाम पर मजाक कर रहा है. घाटकुसुम्भा प्रखंड के दो पंचायतों पानापुर व डीहकुसुम्भा पंचायत के लोगों की समस्या अभी भी बरकरार है.

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घरों में बाढ़ का पानी अभी भी घुसा हुआ है. सिर ढ़कने के लिए लोगों ने प्लास्टिक तान रखा है. भोजन व शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है. बाढ़ के पानी से ही प्यास बुझाना पड़ता है. नदी का जलस्तर धीरे-धीरे कम होने से प्रखंड के बाढ़ प्रभावित पंचायतों की स्थिति, अभी भी भयानक बनी हुई है. घरों में पानी रहने पर लोग चौकी लगाकर रहने के लिए मजबूर हैं. पानापुर महादलित टोला के दीलीप मांझी, रीना देवी बताते हैं कि घरों में पानी घुसने से बांध पर और स्कूल के छत पर खुले आसमान में शरण लिए हुए हैं.

चापाकल डूब जाने के कारण बाढ़ के पानी में ही बर्तन धोना व खाना बनाना पड़ता है. विमला देवी बताती है कि जब नाव पर कुछ बोरा व आदमी को आते देखते हैं तो आस जग जाती है कि कोई कुछ बांटने आ रहा है. लेकिन कुछ नहीं मिलता है. राहत का पैकेट जिसे मिला वह ले लिया. बाकी सब ऐसे ही लाचार बेबस बैठे हैं. नाव नहीं रहने के कारण हम लोग घरों में कैद में ही कैद हो गए हैं. इस समय हम लोग सिर्फ भगवान पर ही आस लगाए बैठे हैं.

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बाढ़ से अधिक तबाही पानापुर, प्राणपुर, जितपारपुर, महम्मदपुर, हरनामचक, आलापुर, सुजावलपुर, गदबदिया, अकरपुर, वृन्दावन, मुरबरीया आदि गांवों में हुआ है. लोग बेघर हो कर बांध, स्कूल के छत, सड़क पर छोटी से प्लास्टिक टांग व झोपड़ी बनाकर परिवार के साथ रह रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र में गुरुवार की शाम तेज हवा व बारिश ने बाढ़ पीड़ितों की परेशानी और बढ़ा कर रख दी थी. सड़क, बांध, ऊंचे स्थानों पर शरण लिए सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों के आशियाने उड़ गए.

आशियाने बचाने के लिए बाढ़ पीड़ितों के बीच अफरा-तफरी का माहौल बना रहा. खाने- पीने की सामान बचाने के लिए मूसलाधार बारिश में लोग डटे रहे. करीब आधे घंटे के बाद स्थिति समान्य हुआ. तब जाकर पीड़ितों ने राहत की सांसे ली. घाटकुसुम्भा प्रखंड में आई बाढ़ मे करीब 1659 हेक्टेयर में लगी धान, दलहन, मक्का, सब्जी की फसलें बर्बाद हो गई हैं. यह जानकारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी देते हुए कहा कि फसलों की क्षति का अनुमानित आकलन कराया गया है.

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पानापुर स्कूल के छत पर अस्थायी पूनर्वास स्थल पर रह रहे बाढ़ पीड़ित सकल मांझी की 30 वर्षीय पत्नी ने प्लास्टिक के तंबू में एक लड़के को जन्म दिया है. इससे इनके घरों में खुशी है. हालांकि, अभी तक इनको प्रशासन की तरफ से कुछ भी सहायता नहीं मिली है.

बताते चलें कि बिहार में बाढ़ (Flood) का कहर जारी है. प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है. लगातार बारिश के कारण गंगा, घाघरा, महानंदा, गंडक, बागमती, बूढ़ी गंडक और कमला बलान समेत कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर (Rivers Above Danger Mark) बह रही हैं. केंद्रीय जल आयोग (Central Water Commission) के अनुसार पटना जिले के गांधी घाट में गंगा नदी का जलस्तर (Water Level of Ganga) 12 सेंटीमीटर ऊपर है. इसके जलस्तर में 2 सेंटीमीटर की वृद्धि होने की संभावना है.

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Last Updated : Sep 4, 2021, 7:11 AM IST
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