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क्वॉरेंटाइन सेंटर के प्रवासियों का आरोप- नहीं मिल रहा ढंग का खाना - क्वॉरेंटाइन सेंटर

क्वॉरेंटाइन किए गए प्रवासियों ने बताया कि कारावास में भी कैदियों को समय पर गुणवत्तापूर्ण नाश्ता-भोजन वाली सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन, क्वॉरेंटाइन सेंटर में स्थिति उससे भी बदतर है.

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Published : May 9, 2020, 12:17 AM IST

शेखपुरा: कोरोना वायरस से बचाव को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. इस कारण दूसरे राज्य और जिले में फंसे प्रवासी कामगार, मजदूर बड़ी संख्या में अपने गांव लौट रहे हैं. बाहर से आने वाले प्रवासियों को 21 दिनों के लिए जिला स्तर और प्रखंड स्तर पर बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में आइसोलेट किया जा रहा है. जिला प्रशासन ने प्रवासियों के आवासन के लिए अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय में क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया. वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग के दिशा-निर्देश के आलोक में क्वॉरेंटाइन किए गए सभी लोगों को पौष्टिक भोजन के साथ-साथ सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराना है ताकि अगले 21 दिनों तक सेंटर पर आराम से रह सकें.

नहीं मिल रहा ढंग का खाना
वहीं, सरकार के दिशा निर्देश और गाइडलाइन को ठेंगा दिखाते हुए जिला के अधिकारी और पुलिस प्रशासन इस विकट स्थिति को भी कमाई का चारागाह बना लिया है. एक तरफ जहां लोगों को कोरोना संकट में कई सामाजिक संस्थानों की तरफ से जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, जिले के अधिकारी लूट-खसोट मचाने में जुटे हुए हैं. अरियरी प्रखंड अंतर्गत हुसैनाबाद में क्वॉरेंटाइन किए गए प्रवासियों के साथ कारावास में बंद कैदियों जैसा बर्ताव किया जा रहा है. जिले के हाकिम क्वॉरेंटाइन सेंटर को कारावास में तब्दील कर दिए हैं.

क्या कहते हैं प्रवासी मजदूर
प्रवासियों ने बताया कि नाश्ता के नाम पर उन लोगों के आगे 9 बजे के बाद थोड़ी सी मात्रा में भूना हुए चूड़ा और बदाम आदि रख दिया जाता है. उसके बाद दोपहर की भोजन में करीब एक बजे भोजन के समय दाल-चावल-सब्जी दिया जाता है. उसके बाद फिर रात में करीब 9 बजे लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके कारण लोगों को भूखे रहने की स्थिति उत्पन्न हो गई है. प्रवासी गुणवत्ताहीन भोजन खाने पर विवश है. उन लोगों को भरपेट भोजन नहीं दिया जा रहा है, इसके साथ ही भोजन की मांग करने पर अधिकारी और पुलिसकर्मी बंद कमरे में ले जाकर उसके साथ मारपीट करते हैं.

शेखपुरा: कोरोना वायरस से बचाव को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. इस कारण दूसरे राज्य और जिले में फंसे प्रवासी कामगार, मजदूर बड़ी संख्या में अपने गांव लौट रहे हैं. बाहर से आने वाले प्रवासियों को 21 दिनों के लिए जिला स्तर और प्रखंड स्तर पर बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में आइसोलेट किया जा रहा है. जिला प्रशासन ने प्रवासियों के आवासन के लिए अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय में क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया. वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग के दिशा-निर्देश के आलोक में क्वॉरेंटाइन किए गए सभी लोगों को पौष्टिक भोजन के साथ-साथ सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराना है ताकि अगले 21 दिनों तक सेंटर पर आराम से रह सकें.

नहीं मिल रहा ढंग का खाना
वहीं, सरकार के दिशा निर्देश और गाइडलाइन को ठेंगा दिखाते हुए जिला के अधिकारी और पुलिस प्रशासन इस विकट स्थिति को भी कमाई का चारागाह बना लिया है. एक तरफ जहां लोगों को कोरोना संकट में कई सामाजिक संस्थानों की तरफ से जरूरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, जिले के अधिकारी लूट-खसोट मचाने में जुटे हुए हैं. अरियरी प्रखंड अंतर्गत हुसैनाबाद में क्वॉरेंटाइन किए गए प्रवासियों के साथ कारावास में बंद कैदियों जैसा बर्ताव किया जा रहा है. जिले के हाकिम क्वॉरेंटाइन सेंटर को कारावास में तब्दील कर दिए हैं.

क्या कहते हैं प्रवासी मजदूर
प्रवासियों ने बताया कि नाश्ता के नाम पर उन लोगों के आगे 9 बजे के बाद थोड़ी सी मात्रा में भूना हुए चूड़ा और बदाम आदि रख दिया जाता है. उसके बाद दोपहर की भोजन में करीब एक बजे भोजन के समय दाल-चावल-सब्जी दिया जाता है. उसके बाद फिर रात में करीब 9 बजे लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके कारण लोगों को भूखे रहने की स्थिति उत्पन्न हो गई है. प्रवासी गुणवत्ताहीन भोजन खाने पर विवश है. उन लोगों को भरपेट भोजन नहीं दिया जा रहा है, इसके साथ ही भोजन की मांग करने पर अधिकारी और पुलिसकर्मी बंद कमरे में ले जाकर उसके साथ मारपीट करते हैं.

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