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शेखपुरा: श्रावणी पूर्णिमा के मौके पर शिव-पार्वती मंदिर में श्रद्धालुओं ने की पूजा

रक्षाबंधन और सावन की आखिरी सोमवारी के सुखद संयोग के शुभ अवसर पर बहनों ने राखी बांधने से पहले शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया. साथ ही भाइयों के लिए मंगल कामना की.

  शेखपुरा: श्रावणी पूर्णिमा के मौके पर शिव-पार्वती मंदिर में श्रद्धालुओ ने की पूजा
शेखपुरा: श्रावणी पूर्णिमा के मौके पर शिव-पार्वती मंदिर में श्रद्धालुओ ने की पूजा
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Published : Aug 3, 2020, 8:50 PM IST

शेखपुरा: जिले के गिरिहिंडा पहाड़ स्थित ऐतिहासिक शिवपार्वती मंदिर में सोमवार के दिन श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया. सुबह से ही बड़ी संख्या में महिलाएं व पुरुष जलाभिषेक को लेकर कतारबद्ध थे और अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर पर महिलाएं, पुरुष और बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी श्रद्धापूर्वक भगवान शिव और पार्वती सहित तमाम देवी-देवताओं के प्रतिमाओं पर पूजा-अर्चना किए.

इसके तत्पश्चात शिवलिंग पर जलाभिषेक भी किया गया. बता दें कि बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर इस बार पहले की तरह न तो लोगों की भीड़ देखी गयी और न ही दुकानें सजाई गई. गौरतलब है कि गिरिहिंडा पहाड़ पर अवस्थित शिवपार्वती मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. जिससे इस पर्वत का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है.

जानें मंदिर का इतिहास
बुद्धिजीवियों की मानें तो महाभारत काल में हिंडा नामक एक राक्षस रहता था, जिसकी पुत्री हिडिम्बा हुआ करती थी. जिनकी शादी पांडु पुत्र भीम के साथ हुआ था, जो पर्वत के पूर्वी खंड पर बसे हुए थे. बाद में उसी के नाम पर इस पहाड़ का नाम गिरिहिंडा रखा गया. इस पहाड़ पर सावन और महाशिवरात्रि में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है, और तरह-तरह की दुकानें संचालित होती हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से लोग सादे ढंग से पूजा अर्चना कर भगवान शिव का जलाभिषेक किया.

सावन के अंतिम सोमवारी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड
रक्षाबंधन और सावन की आखिरी सोमवारी के सुखद संयोग के शुभ अवसर पर बहनों ने राखी बांधने से पहले शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया, साथ ही भाइयों के लिए मंगल कामना किया. सावन की आखिरी सोमवार पर सभी ग्रामीण क्षेत्रों के शिवालयों में काफी मात्रा में भीड़ देखी गई है.

बरबीघा के प्रसिद्ध शिव मंदिर बाबा पंचबदन स्थान शिव मंदिर में इस बार प्रशासन की ओर से सख्ती देखने को मिली. वहीं मंदिर के चारों तरफ बांस का बैरिकेडिंग करके मंदिर समिति की ओर से भक्तों को मंदिर में प्रवेश करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया. बावजूद इसके भक्तों की भीड़ देखने को मिली और अरघे के माध्यम से भगवान भोलेनाथ पर जल चढ़ाने को भक्त आतुर दिखे.

शेखपुरा: जिले के गिरिहिंडा पहाड़ स्थित ऐतिहासिक शिवपार्वती मंदिर में सोमवार के दिन श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया. सुबह से ही बड़ी संख्या में महिलाएं व पुरुष जलाभिषेक को लेकर कतारबद्ध थे और अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर पर महिलाएं, पुरुष और बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी श्रद्धापूर्वक भगवान शिव और पार्वती सहित तमाम देवी-देवताओं के प्रतिमाओं पर पूजा-अर्चना किए.

इसके तत्पश्चात शिवलिंग पर जलाभिषेक भी किया गया. बता दें कि बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर इस बार पहले की तरह न तो लोगों की भीड़ देखी गयी और न ही दुकानें सजाई गई. गौरतलब है कि गिरिहिंडा पहाड़ पर अवस्थित शिवपार्वती मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. जिससे इस पर्वत का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है.

जानें मंदिर का इतिहास
बुद्धिजीवियों की मानें तो महाभारत काल में हिंडा नामक एक राक्षस रहता था, जिसकी पुत्री हिडिम्बा हुआ करती थी. जिनकी शादी पांडु पुत्र भीम के साथ हुआ था, जो पर्वत के पूर्वी खंड पर बसे हुए थे. बाद में उसी के नाम पर इस पहाड़ का नाम गिरिहिंडा रखा गया. इस पहाड़ पर सावन और महाशिवरात्रि में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है, और तरह-तरह की दुकानें संचालित होती हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से लोग सादे ढंग से पूजा अर्चना कर भगवान शिव का जलाभिषेक किया.

सावन के अंतिम सोमवारी पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड
रक्षाबंधन और सावन की आखिरी सोमवारी के सुखद संयोग के शुभ अवसर पर बहनों ने राखी बांधने से पहले शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया, साथ ही भाइयों के लिए मंगल कामना किया. सावन की आखिरी सोमवार पर सभी ग्रामीण क्षेत्रों के शिवालयों में काफी मात्रा में भीड़ देखी गई है.

बरबीघा के प्रसिद्ध शिव मंदिर बाबा पंचबदन स्थान शिव मंदिर में इस बार प्रशासन की ओर से सख्ती देखने को मिली. वहीं मंदिर के चारों तरफ बांस का बैरिकेडिंग करके मंदिर समिति की ओर से भक्तों को मंदिर में प्रवेश करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया. बावजूद इसके भक्तों की भीड़ देखने को मिली और अरघे के माध्यम से भगवान भोलेनाथ पर जल चढ़ाने को भक्त आतुर दिखे.

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