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शिवहर लोकसभा सीट: रमा देवी की होगी हैट्रिक या RJD करेगी सेंधमारी - Syed Faisal Ali of RJD

शिवहर लोकसभा सीट पिछले दो बार से बीजेपी के खाते में जाती रही है. 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से रमा देवी ने जीत हासिल की. रमा देवी तीसरी बार सांसद बनने के लिए बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.

शिवहर का रण (डिजाइन इमेज)
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Published : May 10, 2019, 12:58 PM IST

पटना: बिहार का सबसे छोटा जिला शिवहर में शिवालयों की लंबी श्रृंखला है. ये जिला भगवान शिव की नगरी के रूप में जाना जाता है. इसी कारण इसका नाम भी शिवहर पड़ा. तिरहुत प्रमंडल में पड़ने वाला ये क्षेत्र पहले मुजफ्फरपुर फिर हाल तक सीतामढी जिले का अंग रहा है. यह बिहार का सबसे छोटा और आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद पिछड़ा जिला है.

शिवहर पर रहा बीजेपी का दबदबा
शिवहर लोकसभा सीट पिछले दो बार से बीजेपी के खाते में जाती रही है. 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से रमा देवी ने जीत हासिल की थी. रमा देवी तीसरी बार शिवहर से सांसद बनने के लिए बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. महागठबंधन की तरफ से ये सीट आरजेडी के खाते में गई है. आरजेडी से सैयद फैसल अली चुनावी मैदान में हैं. फैजल अली पत्रकार रहे हैं. वहीं, एनसीपी की तरफ से शमीम आलम उम्मीदवार हैं.

तेज प्रताप की इस सीट पर रही दिलचस्पी
तेजप्रताप यादव ने जिन सीटों के उम्मीदवारों पर सवाल उठाते हुए अपनी पार्टी आरजेडी से बगावत के सुर बुलंद किए हैं, उनमें शिवहर सीट भी शामिल है. आरजेडी उम्मीदवार की बजाए यहां से उन्होंने अंगेश कुमार को समर्थन देने का ऐलान किया था. हालांकि बाद में तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से अंगेश कुमार का नामांकन रद्द हो गया. यहां मुख्य मुकाबला रमा देवी और सैयद फैसल अली के बीच ही है.

शिवहर के रण पर स्पेशल रिपोर्ट

शिवहर लोकसभा सीट का समीकरण
शिवहर क्षेत्र राजपूत बहुल सीट मानी जाती है. यहां की सियासत पर राजपूत समाज का खासा प्रभाव है और चुनावी नतीजों में इसका साफ असर दिखता है. इस संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 12 लाख 69 हजार 56 है. इसमें 5 लाख 91 हजार 390 महिला वोटर हैं जबकि 6 लाख 77 हजार 666 पुरुष मतदाता हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि
शिवहर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जैसी शख्सियतों ने भी किया है. जुगल किशोर सिन्हा को भारत में सहकारी आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है. उनकी पत्नी राम दुलारी सिन्हा भी स्वतंत्रता सेनानी थीं. वे केंद्रीय मंत्री और गवर्नर भी रही थीं.

कौन कब जीता चुनाव
आजादी के बाद देश में जब पहला चुनाव हुआ तो इस सीट का नाम था मुजफ्फरपुर नॉर्थ-वेस्ट सीट. 1953 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1957 के चुनाव में पुपरी सीट के नाम से यहां लोकसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्विजय नारायण सिंह, 1962 के चुनाव में राम दुलारी सिन्हा, 1967 में एस. पी. साहू और 1971 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.

1977 में यहां कांग्रेस को मिली शिकस्त
इसके बाद इस संसदीय सीट का नाम शिवहर हो गया. इमरजेंसी के बाद देशभर में इंदिरा गांधी के खिलाफ नाराजगी थी और इसका असर 1977 के चुनाव में इस सीट पर भी देखने को मिला. जब जनता पार्टी के ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने यहां से चुनाव जीतकर कांग्रेस को धूल चटाई. लेकिन 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में फिर कांग्रेस के टिकट पर राम दुलारी सिन्हा चुनाव जीतने में कामयाब रहीं. 1989 के चुनाव में जनता दल ने यहां सियासी उलटफेर किया. जनता दल के टिकट पर 1989 और 1991 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे.

आनंद मोहन का उभार
इसके बाद शिवहर क्षेत्र से बाहुबली आनंद मोहन सिंह का नाम उभरा. एक जमाने में आनंद मोहन को उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र का बेताज बादशाह कहा जाता था. स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर सिंह के परिवार से आने वाले आनंद मोहन ने 1993 में बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना की. आनंद मोहन ने 1996 के चुनाव में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता और फिर 1998 में ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पाार्टी के टिकट पर जीत की कहानी दोहराई.

गोपालगंज डीएम की हत्या और आनंद मोहन को उम्रकैद
लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी. कृष्णैया की हत्या के लिए लोगों को भड़काने और बढ़ावा देने के आरोपों में बाद में आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा हो गई. जेल में कविताएं और जेल डायरी लिखने को लेकर आनंद मोहन की चर्चाएं कई बार सामने आईं. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी 1994 में वैशाली लोकसभा सीट के उपचुनाव में जीतकर सांसद बनीं.

रमा देवी हैं सांसद
शिवहर सीट से 1999 में आरजेडी के मोहम्मद अनवारुल हक ने जीत हासिल की. 2004 के चुनाव में भी आरजेडी के सीताराम सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की. 2009 में बीजेपी ने इस सीट से रमा देवी को उतारा. रमा देवी ने 2009 और 2014 के चुनाव में शिवहर लोकसभा सीट से जीत हासिल कर संसद का प्रतिनिधित्व किया.

विधानसभा सीटों का समीकरण
शिवहर लोकसभा क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- मधुबन, चिरैया, ढाका, शिवहर, रिगा और बेलसंड. 2015 के विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 2-2 सीटें बीजेपी और जेडीयू को मिली थीं. जबकि 1-1 सीट कांग्रेस और आरजेडी के हाथ आई थी.

2014 चुनाव का जनादेश
2014 में 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में शिवहर सीट बीजेपी के खाते में गई. बीजेपी की उम्मीदवार रमा देवी को इस चुनाव में 3 लाख 72 हजार 506 वोट हासिल हुए. वहीं आरजेडी के मोहम्मद अवनारुल हक को 2 लाख 36 हजार 267 वोट हासिल हुए. जेडीयू के शाहिद अली खान 79 हजार 108 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. जबकि इस सीट से पूर्व सांसद और जेल में सजा काट रहे बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को 46 हजार 8 वोट मिले और वे चौथे स्थान पर रहीं.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड
5 मई 1949 को वैशाली जिले के लालगंज में जन्मीं रमा देवी ने कानून की पढ़ाई की है. वे आरजेडी के पूर्व विधायक और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी हैं. बृज बिहारी प्रसाद की हत्या 3 जून, 1998 को आईजीआईएमएस के कैंपस में कर दी गई थी जहां वे इलाज के लिए गए थे. इसके बाद उनकी पत्नी रमा देवी आरजेडी के टिकट पर मोतिहारी से चुनाव मैदान में उतरीं और जीतकर संसद पहुंची. लेकिन 2009 के चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर शिवहर से उतरीं और लगातार दो बार जीत हासिल किया.

किसके पास कितनी संपत्ति
चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 30 करोड़ बताई है. उनपर 6 आपराधिक मामले दर्ज हैं. उन्होंने अपने सांसद निधि के आवंटित हिस्से का पूरा 100 फीसदी खर्च किया है. 16वीं लोकसभा के दौरान संसदीय कार्यवाही में रमा देवी ने 134 बहसों में हिस्सा लिया जबकि 552 सवाल पूछे. इसके अलावा विभिन्न मुद्दों पर 7 प्राइवेट मेंबर बिल भी लेकर आईं.

पटना: बिहार का सबसे छोटा जिला शिवहर में शिवालयों की लंबी श्रृंखला है. ये जिला भगवान शिव की नगरी के रूप में जाना जाता है. इसी कारण इसका नाम भी शिवहर पड़ा. तिरहुत प्रमंडल में पड़ने वाला ये क्षेत्र पहले मुजफ्फरपुर फिर हाल तक सीतामढी जिले का अंग रहा है. यह बिहार का सबसे छोटा और आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद पिछड़ा जिला है.

शिवहर पर रहा बीजेपी का दबदबा
शिवहर लोकसभा सीट पिछले दो बार से बीजेपी के खाते में जाती रही है. 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से रमा देवी ने जीत हासिल की थी. रमा देवी तीसरी बार शिवहर से सांसद बनने के लिए बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. महागठबंधन की तरफ से ये सीट आरजेडी के खाते में गई है. आरजेडी से सैयद फैसल अली चुनावी मैदान में हैं. फैजल अली पत्रकार रहे हैं. वहीं, एनसीपी की तरफ से शमीम आलम उम्मीदवार हैं.

तेज प्रताप की इस सीट पर रही दिलचस्पी
तेजप्रताप यादव ने जिन सीटों के उम्मीदवारों पर सवाल उठाते हुए अपनी पार्टी आरजेडी से बगावत के सुर बुलंद किए हैं, उनमें शिवहर सीट भी शामिल है. आरजेडी उम्मीदवार की बजाए यहां से उन्होंने अंगेश कुमार को समर्थन देने का ऐलान किया था. हालांकि बाद में तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से अंगेश कुमार का नामांकन रद्द हो गया. यहां मुख्य मुकाबला रमा देवी और सैयद फैसल अली के बीच ही है.

शिवहर के रण पर स्पेशल रिपोर्ट

शिवहर लोकसभा सीट का समीकरण
शिवहर क्षेत्र राजपूत बहुल सीट मानी जाती है. यहां की सियासत पर राजपूत समाज का खासा प्रभाव है और चुनावी नतीजों में इसका साफ असर दिखता है. इस संसदीय क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 12 लाख 69 हजार 56 है. इसमें 5 लाख 91 हजार 390 महिला वोटर हैं जबकि 6 लाख 77 हजार 666 पुरुष मतदाता हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि
शिवहर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जैसी शख्सियतों ने भी किया है. जुगल किशोर सिन्हा को भारत में सहकारी आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है. उनकी पत्नी राम दुलारी सिन्हा भी स्वतंत्रता सेनानी थीं. वे केंद्रीय मंत्री और गवर्नर भी रही थीं.

कौन कब जीता चुनाव
आजादी के बाद देश में जब पहला चुनाव हुआ तो इस सीट का नाम था मुजफ्फरपुर नॉर्थ-वेस्ट सीट. 1953 में कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर जुगल किशोर सिन्हा जीतकर लोकसभा पहुंचे. 1957 के चुनाव में पुपरी सीट के नाम से यहां लोकसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्विजय नारायण सिंह, 1962 के चुनाव में राम दुलारी सिन्हा, 1967 में एस. पी. साहू और 1971 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.

1977 में यहां कांग्रेस को मिली शिकस्त
इसके बाद इस संसदीय सीट का नाम शिवहर हो गया. इमरजेंसी के बाद देशभर में इंदिरा गांधी के खिलाफ नाराजगी थी और इसका असर 1977 के चुनाव में इस सीट पर भी देखने को मिला. जब जनता पार्टी के ठाकुर गिरजानंदन सिंह ने यहां से चुनाव जीतकर कांग्रेस को धूल चटाई. लेकिन 1980 और 1984 के लोकसभा चुनाव में फिर कांग्रेस के टिकट पर राम दुलारी सिन्हा चुनाव जीतने में कामयाब रहीं. 1989 के चुनाव में जनता दल ने यहां सियासी उलटफेर किया. जनता दल के टिकट पर 1989 और 1991 में हरी किशोर सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे.

आनंद मोहन का उभार
इसके बाद शिवहर क्षेत्र से बाहुबली आनंद मोहन सिंह का नाम उभरा. एक जमाने में आनंद मोहन को उत्तरी बिहार के कोसी क्षेत्र का बेताज बादशाह कहा जाता था. स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर सिंह के परिवार से आने वाले आनंद मोहन ने 1993 में बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना की. आनंद मोहन ने 1996 के चुनाव में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता और फिर 1998 में ऑल इंडिया राष्ट्रीय जनता पाार्टी के टिकट पर जीत की कहानी दोहराई.

गोपालगंज डीएम की हत्या और आनंद मोहन को उम्रकैद
लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी. कृष्णैया की हत्या के लिए लोगों को भड़काने और बढ़ावा देने के आरोपों में बाद में आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा हो गई. जेल में कविताएं और जेल डायरी लिखने को लेकर आनंद मोहन की चर्चाएं कई बार सामने आईं. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भी 1994 में वैशाली लोकसभा सीट के उपचुनाव में जीतकर सांसद बनीं.

रमा देवी हैं सांसद
शिवहर सीट से 1999 में आरजेडी के मोहम्मद अनवारुल हक ने जीत हासिल की. 2004 के चुनाव में भी आरजेडी के सीताराम सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की. 2009 में बीजेपी ने इस सीट से रमा देवी को उतारा. रमा देवी ने 2009 और 2014 के चुनाव में शिवहर लोकसभा सीट से जीत हासिल कर संसद का प्रतिनिधित्व किया.

विधानसभा सीटों का समीकरण
शिवहर लोकसभा क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- मधुबन, चिरैया, ढाका, शिवहर, रिगा और बेलसंड. 2015 के विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 2-2 सीटें बीजेपी और जेडीयू को मिली थीं. जबकि 1-1 सीट कांग्रेस और आरजेडी के हाथ आई थी.

2014 चुनाव का जनादेश
2014 में 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में शिवहर सीट बीजेपी के खाते में गई. बीजेपी की उम्मीदवार रमा देवी को इस चुनाव में 3 लाख 72 हजार 506 वोट हासिल हुए. वहीं आरजेडी के मोहम्मद अवनारुल हक को 2 लाख 36 हजार 267 वोट हासिल हुए. जेडीयू के शाहिद अली खान 79 हजार 108 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. जबकि इस सीट से पूर्व सांसद और जेल में सजा काट रहे बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को 46 हजार 8 वोट मिले और वे चौथे स्थान पर रहीं.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड
5 मई 1949 को वैशाली जिले के लालगंज में जन्मीं रमा देवी ने कानून की पढ़ाई की है. वे आरजेडी के पूर्व विधायक और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी हैं. बृज बिहारी प्रसाद की हत्या 3 जून, 1998 को आईजीआईएमएस के कैंपस में कर दी गई थी जहां वे इलाज के लिए गए थे. इसके बाद उनकी पत्नी रमा देवी आरजेडी के टिकट पर मोतिहारी से चुनाव मैदान में उतरीं और जीतकर संसद पहुंची. लेकिन 2009 के चुनाव में वे बीजेपी के टिकट पर शिवहर से उतरीं और लगातार दो बार जीत हासिल किया.

किसके पास कितनी संपत्ति
चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 30 करोड़ बताई है. उनपर 6 आपराधिक मामले दर्ज हैं. उन्होंने अपने सांसद निधि के आवंटित हिस्से का पूरा 100 फीसदी खर्च किया है. 16वीं लोकसभा के दौरान संसदीय कार्यवाही में रमा देवी ने 134 बहसों में हिस्सा लिया जबकि 552 सवाल पूछे. इसके अलावा विभिन्न मुद्दों पर 7 प्राइवेट मेंबर बिल भी लेकर आईं.

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