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सारण जहरीली शराबकांड: अस्पताल में लगा था प्रशासनिक जमघट और शख्स दे रहा था 'सिस्टम को चैलेंज'

शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) वाले बिहार में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. सरकार ने शराबबंदी को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है, फिर भी ये शख्स कैसे अंग्रेजी शराब मंगाकर पीने का दावा कर रहा है, आप खुद ही देखिये...

लोगों से मिलते डीएम एसपी
लोगों से मिलते डीएम एसपी
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Published : Aug 5, 2022, 12:41 PM IST

Updated : Aug 5, 2022, 2:29 PM IST

छपराः 'साहब हम तो इंग्लिश पिए हैं हमको क्यों लाए हम कोई महुआ मीठा नहीं पिए हैं'. यह कहना है सारण के उस स्थानीय शख्स का जिसे सारण जहरीली शराबकांड (Poisonous Liquor case in Saran) में लोगों की मौत के बाद जांच के लिए लाया गया था. व्यक्ति के इस बयान ने अस्पताल के गमगीन हो रहे माहौल को थोड़ा हल्का कर दिया. इस मामले में 11 लोगों की मौत के बाद पुलिस प्रशासन अलर्ट हो गया है. छपरा सदर अस्पताल के गेट पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है और प्रशासन मामले की जांच में जुट गया है.

ये भी पढ़ेंः सारण जहरीली शराबकांड में 7 की मौत, 25 की गई आंखों की रोशनी, जांच में मिला मेथनॉल पॉइजन

"सर हम तो इंगलिश पीए हैं, झूठ नहीं बोलेंगे. हम ऊ सब नहीं पीए हैं. एक पार्टी कहीं से लाकर दिया था हमको इंगलिश शराब. कुछ लोग महुआ पीए हैं. गांव में ही पूजा-पाठ थी, उसी समय शराब पिलाया जा रहा था. पीने के बाद 15-16 लोग बीमार हो गए. हम गांव में नहीं थे, गांव में आए तो देखा कि हलचल मचा है"- स्थानीय व्यक्ति

'सर हम महुआ नहीं पीए हैं': दरअसल, सारण के फुलवरिया गांव में जहरीली शराबकांड (Hooch tragedy in Chapra) के बाद 5 लोगों को जांच के लिए गुरुवार को छपरा सदर अस्पताल लाया गया. उसके बाद एक अन्य व्यक्ति भी एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचा. इन लोगों से जब मीडिया ने बात कि तो एक शख्स ने कहा कि वो इंग्लिश शराब पिए हुए है, उसने महुआ नहीं पी है. उसे यहां क्यों लाया गया है. जबकि जांच के लिए आए अन्य लोगों ने स्वीकार किया कि उन्होंने पूजा के दौरान शराब पी थी, गांव में सावन को लेकर पूजा पाठ थी, उसी में कई लोगों ने शराब पी थी, इसके बाद लगभग 15-16 लोग बीमार पड़ गए. जिसमें 11 लोगों की मौत की खबर है.

"छापेमारी चल रही है, एक्साइज डिपार्टमेंट और पुलिस महकमा इसकी जांच में लगा है. पता लगाया जा रहा है कि इसका स्रोत क्या था. कैसे लोगों ने शराब पी. जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है"- संतोष कुमार, एसपी

25 लोगों के आंखों की गई रोशनी: बताया जाता है कि बीमार पड़े लोगों की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें छपरा और पटना रेफर किया गया है. इससे पहले 4 लोगों की मौत छपरा में ही हो गई. स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि 2 लोगों की मौत मौके पर ही हो गई थी. तबीयत बिगड़ने लगी तो परिजन अस्पतालों की ओर भागे. दारू सस्ती कर देने की वजह से लोगों ने खूब पिया. उसका नतीजा था कि लोग बीमार पड़ गए. सुबह लोगों ने नहीं दिखने की शिकायत की. कुछ लोगों को उल्टी और चक्कर भी आने लगे.

जहरीली शराब से मौत की अधिकारिक पुष्टि नहींः वहीं, गुरुवार को जांच के लिए गांव पहुंचे जिलाधिकारी राजेश मीणा और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर्स का कहना है कि इन लोगों ने कोई जहरीला पदार्थ पिया है, जिससे इनकी हालत बिगड़ गई है. अधिकारियों ने अब तक जहरीली शराब से मौत की पुष्टी नहीं की है जबकि परिजन और गांव के लोग जहरीली शराब से मौत की बात कह रहे हैं. वहीं, पीएमसीएच में एक व्यक्ति की मौत के बाद आई जांच रिपोर्ट के मुताबिक भी बीमार लोगों में मेथनॉल पॉइजन पाये जाने की जानकारी मिली है.

ये भी पढ़ें- ड्राई स्टेट बिहार में कथित जहरीली शराब से 25 लोगों की आंखों की रोशनी गई, 7 की मौत

अप्रैल 2016 से शराबबंदी: 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

छपराः 'साहब हम तो इंग्लिश पिए हैं हमको क्यों लाए हम कोई महुआ मीठा नहीं पिए हैं'. यह कहना है सारण के उस स्थानीय शख्स का जिसे सारण जहरीली शराबकांड (Poisonous Liquor case in Saran) में लोगों की मौत के बाद जांच के लिए लाया गया था. व्यक्ति के इस बयान ने अस्पताल के गमगीन हो रहे माहौल को थोड़ा हल्का कर दिया. इस मामले में 11 लोगों की मौत के बाद पुलिस प्रशासन अलर्ट हो गया है. छपरा सदर अस्पताल के गेट पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है और प्रशासन मामले की जांच में जुट गया है.

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"सर हम तो इंगलिश पीए हैं, झूठ नहीं बोलेंगे. हम ऊ सब नहीं पीए हैं. एक पार्टी कहीं से लाकर दिया था हमको इंगलिश शराब. कुछ लोग महुआ पीए हैं. गांव में ही पूजा-पाठ थी, उसी समय शराब पिलाया जा रहा था. पीने के बाद 15-16 लोग बीमार हो गए. हम गांव में नहीं थे, गांव में आए तो देखा कि हलचल मचा है"- स्थानीय व्यक्ति

'सर हम महुआ नहीं पीए हैं': दरअसल, सारण के फुलवरिया गांव में जहरीली शराबकांड (Hooch tragedy in Chapra) के बाद 5 लोगों को जांच के लिए गुरुवार को छपरा सदर अस्पताल लाया गया. उसके बाद एक अन्य व्यक्ति भी एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचा. इन लोगों से जब मीडिया ने बात कि तो एक शख्स ने कहा कि वो इंग्लिश शराब पिए हुए है, उसने महुआ नहीं पी है. उसे यहां क्यों लाया गया है. जबकि जांच के लिए आए अन्य लोगों ने स्वीकार किया कि उन्होंने पूजा के दौरान शराब पी थी, गांव में सावन को लेकर पूजा पाठ थी, उसी में कई लोगों ने शराब पी थी, इसके बाद लगभग 15-16 लोग बीमार पड़ गए. जिसमें 11 लोगों की मौत की खबर है.

"छापेमारी चल रही है, एक्साइज डिपार्टमेंट और पुलिस महकमा इसकी जांच में लगा है. पता लगाया जा रहा है कि इसका स्रोत क्या था. कैसे लोगों ने शराब पी. जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है"- संतोष कुमार, एसपी

25 लोगों के आंखों की गई रोशनी: बताया जाता है कि बीमार पड़े लोगों की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें छपरा और पटना रेफर किया गया है. इससे पहले 4 लोगों की मौत छपरा में ही हो गई. स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि 2 लोगों की मौत मौके पर ही हो गई थी. तबीयत बिगड़ने लगी तो परिजन अस्पतालों की ओर भागे. दारू सस्ती कर देने की वजह से लोगों ने खूब पिया. उसका नतीजा था कि लोग बीमार पड़ गए. सुबह लोगों ने नहीं दिखने की शिकायत की. कुछ लोगों को उल्टी और चक्कर भी आने लगे.

जहरीली शराब से मौत की अधिकारिक पुष्टि नहींः वहीं, गुरुवार को जांच के लिए गांव पहुंचे जिलाधिकारी राजेश मीणा और अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर्स का कहना है कि इन लोगों ने कोई जहरीला पदार्थ पिया है, जिससे इनकी हालत बिगड़ गई है. अधिकारियों ने अब तक जहरीली शराब से मौत की पुष्टी नहीं की है जबकि परिजन और गांव के लोग जहरीली शराब से मौत की बात कह रहे हैं. वहीं, पीएमसीएच में एक व्यक्ति की मौत के बाद आई जांच रिपोर्ट के मुताबिक भी बीमार लोगों में मेथनॉल पॉइजन पाये जाने की जानकारी मिली है.

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अप्रैल 2016 से शराबबंदी: 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

Last Updated : Aug 5, 2022, 2:29 PM IST
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