सारणः बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (Additional Chief Secretary KK Pathak) लगातार स्कूलों का दौरा कर रहे हैं, लेकिन शायद साहब की नजर बिहार के इस स्कूल पर नहीं पड़ी है. यहां के बच्चे आस लगाए बैठे हैं कि साहब आएंगे तो कुछ भला हो जाएगा, लेकिन साहब कब आएंगे यह पता नहीं? ऐसा नहीं है, यहां के जिला प्रशासन को इस स्कूल के बारे में जानकारी नहीं, लेकिन पता नहीं अब तक व्यवस्था क्यों नहीं की गई?
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रेलवे प्राथमिक विद्यालय का मामलाः हम बात कर रहे हैं छपरा कचहरी-स्टेशन परिसर स्थित प्राथमिक विद्यालय की. यहां एक ही कैंपस में तीन-तीन स्कूलों का संचालन किया जाता है. स्कूल में मात्र 2 कमरे हैं और बच्चों की संख्या 400 है. इसलिए बच्चों की पढ़ाई खुले आसमान के नीचे कराई जाती है. दोपहर में धूप तेज होती है तो बच्चे दीवार की ओर खिसकने लगते हैं ताकि दीवार की छाया में खुद को महफूज कर सकें. काफी परेशानी में भी बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं.
"अलग से क्लासरूम नहीं है. एक ही कमरे में कक्षा 7वीं और 8वीं की पढ़ाई होती है. इसलिए पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है. कई बार धूप में बैठकर पढ़ाई करनी होती है. बारिश में छुट्टी हो जाती है." -सिवानी कुमारी, छात्रा
2 कमरे में तीन स्कूल का संचालनः बता दें कि रेलवे स्कूल परिसर में दो कमरा बना था, जिसमें रेलवे का एक प्राथमिक विद्यालय चलता था, लेकिन जिला शिक्षा पदाधिकारी और अधिकारियों ने इसमें दो और विद्यालयों को शिफ्ट कर दिया. इस समय तीन विद्यालय 2 कमरे में संचालित किए जाते हैं. स्कूल में बच्चों की संख्या 400 के आसपास है. एक कमरे में दो क्लास चलती है, जिसमें बच्चे को पढ़ाई समझने में काफी परेशानी होती है. बांका बच्चे को खुले आसमान के नीचे बैठाया जाता है.
"पढाई करने में काफी परेशानी होती है. स्कूल में दो ही कमरा है. इसलिए एक कमरे में 2-2 क्लास चलती है. एक साथ दो क्लास की पढ़ाई होती है तो समझने में परेशानी होती है." -पूजा कुमारी, छात्रा
बारिश में स्कूल में हो जाती छुट्टीः स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका ने बताया कि स्कूल में 2 कमरे हैं, जिसमें 400 बच्चे पढ़ाई करते हैं. इस कैंपस में मिडिल स्कूल बाल ज्योति, महिला शिल्प और रेलवे स्कूल चलता है. बच्चे इतने हैं कि कुछ को बाहर बैठाना पड़ता है. खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जब जब बारिश होती है बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है.
"बाहर में बैठते हैं, जब बारिश आती है तो छोटे बच्चों को घर भेज देते हैं. स्कूल में जगह नहीं है. बारिश में क्लास रूप में पानी घुस जाता है. क्लास में जितने बच्चे आते हैं, इसके अलावे सभी को घर भेज दिया जाता है. इस कैंपस में तीन स्कूल का संचालन होता है." - आशा कुमारी, शिक्षिका