सारण(छपरा): अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर में कार्यरत एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं ने कार्य का बहिष्कार कर दिया है. उनका आरोप है कि अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी दिलीप कुमार ने उनसे फोन पर अभद्र भाषा का प्रयोग (Misbehaved With Female Health Workers In Sonpur) किया है. जिससे उनके मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है. उनका यह भी आरोप है कि चिकित्सा प्रभारी से जब बकाया वेतन को लेकर पूछा गया तो उन्होंने फोन पर गाली गलौज करना शुरू कर दिया है. ऐसा वह पहले भी करते रहे हैं. जिसको लेकर सभी महिला स्वास्थ्यकर्मियों का गुस्सा फूट पड़ा.
महिलाकर्मियों से गाली गलौज का आरोप: प्रदर्शन कर रही महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि चिकित्सा प्रभारी उनके साथ बराबर गाली गलौज करके बात करते हैं. ऐसे में साप्ताहिक बैठक का विरोध करते हुए कार्य का बहिष्कार कर दिया गया है. उनका कहना है कि वे लोग जिला में सबसे बेहतर कार्य कर रहे हैं. रिकॉर्ड के मुताबिक सोनपुर का सबसे बेहतर प्रदर्शन है. इसके बावजूद हम लोगों का वेतन काटा जाता है. चिकित्सा प्रभारी हमलोगों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग भी करते हैं.
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चिकित्सा प्रभारी को ट्रांसफर करने की मांग: प्रदर्शनकारी महिला स्वास्थ्य कर्मियों ने चिकित्सा प्रभारी को ट्रांसफर किए जाने की मांग करते हुए कहा कि वे कभी भी समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं. सप्ताह में एक-दो दिन ही यहां आकर अपना ड्यूटी करते हैं. इनका वर्चस्व इतना है कि कोई इनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. जिसको लेकर अस्पताल के कर्मचारी काफी आक्रोशित है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल में सेवलॉन, बीटाडे, मीसोप्रोस्ट टेबलेट सहित अन्य मामूली दवाईयां भी नहीं है. इतना ही नहीं एचआईवी और हेपेटाइटिस की भी जांच अस्पताल में नहीं होती है.
चिकिस्ता प्रभारी पर भ्रष्टाचार का भी आरोप: प्रदर्शनकारी महिलाकर्मियों ने चिकित्सा प्रभारी पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया है. उनका कहना है कि अस्पताल में गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड आठवां और नौ महीना में किया जाता है. इससे पहले के अवधि में बाहर से कराना पड़ता है. जो दवा मिलता है, जो खाने योग्य नहीं होता. डॉक्टर ऐसी दवाईयां लिखते हैं, जो बाहर से खरीदनी पड़ती है. उन दवाईयों पर दलालों के माध्यम से कमीशन लिया जाता है.
सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं दिया जाता. यहां तक की बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनाने में भी पैसों की वूसली की जाती है अस्पताल दलालों का अड्डा बना गया है. अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि यहां भ्रष्टाचार का खेल काफी दिनों से चल रहा है. कोई भी सरकारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों को नहीं दी जाती. अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी पिछले 10 साल से यहां कार्यरत है. जिस कारण उन्होंने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है.
चिकित्सा प्रभारी का फोन स्वीच ऑफ: जब इस मामले को लेकर अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी दिलीप कुमार से फोन किया गया तो, उनका फोन स्वीच ऑफ पाया गया. जिस कारण उनकी तरफ से इन आरोपों को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है. वहीं प्रदर्शनकारी महिला स्वास्थ्यकर्मी चिकित्सा प्रभारी पर कार्रवाई करने की मांग कर रही हैं.