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सारण: महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली सिस्टर ज्योति दिल्ली में सम्मानित - sister jyoti of chhapra honored

सिस्टर ज्योति बताती है कि वे मूल रूप से केरल की निवासी है. वे 21 साल पहले मध्यप्रदेश से सारण आई हुई थीं. उन्होंने अपना पूरा जीवन महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वाबलंबी बनाने के लिए बिता दिया.

सिस्टर ज्योति दिल्ली में हुई सम्मानित
सिस्टर ज्योति दिल्ली में हुई सम्मानित
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Published : Dec 27, 2019, 11:34 AM IST

सारण: एक मशहूर कहावत है 'अगर जिद और जज्बा हो, तो उम्र सफलता के आड़े नहीं आती और इसी कहावत को चरितार्थ कर रही सारण में रहने वाली 76 वर्षीया सिस्टर ज्योति. महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के लिए सिस्टर ज्योति को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया है.

जिसको लेकर सिस्टर ज्योति बताती हैं कि वे मूल रूप से केरल की निवासी है. वे 21 साल पहले मध्यप्रदेश से सारण आई हुई थीं. उन्होंने अपना पूरा जीवन महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वाबलंबी बनाने के लिए खपा दिया है.

सिस्टर ज्योति
सिस्टर ज्योति

JSPL फाउंडेशन की ओर से किया गया सम्मानित
इस बाबत सिस्टर ज्योति बताती है कि उन्हें जेएसपीएल फाउंडेशन की ओर से फाउंडेशन की अध्यक्ष शालू जिंदल ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बेहतर कार्य को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसिद्ध सम्मान से सम्मानित किया है. जिसमें उन्हें एक प्रशस्ति पत्र, मेमोंटो और एक लाख रुपये का चेक मिला है. वे बताती है कि पूरे भारत से 27 लोगों को अवार्ड दिया गया है, जिसमें बिहार से मात्र दो लोगों का चयन किया गया था.

छपरा की सिस्टर ज्योति दिल्ली में हुई सम्मानित

'महिलाएं किसी की मोहताज नहीं'
ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए 76 वर्षीय सिस्टर ज्योति ने कहा कि मुझें इस बात की जिद थी कि महिलाएं किसी की मोहताज न हों और वे घर की चहारदीवारी से निकलकर खुद का रोजगार करें. उनके प्रयास के कारण क्षेत्र की 3 हजार से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा चुका है.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मिला चुका है कई पुरस्कार
मूल रूप से केरल की रहने वाली ज्योति 20 साल पहले सारण की धरती पर आई थी. उनको समाजसेवा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है.सिस्टर ज्योति के वजह से स्वयं सहायता समूहों ने मिलकर एक एकता सहकारी समिति बैंक बनाया है. जिसमें महिलाओं ने मिलकर करीब दो करोड़ की पूंजी जमा की है. जमा पूंजी से महिलाएं ऋण लेकर सर्फ, मोमबत्ती और कई अन्य काम करती हैं.

सारण: एक मशहूर कहावत है 'अगर जिद और जज्बा हो, तो उम्र सफलता के आड़े नहीं आती और इसी कहावत को चरितार्थ कर रही सारण में रहने वाली 76 वर्षीया सिस्टर ज्योति. महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के लिए सिस्टर ज्योति को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया है.

जिसको लेकर सिस्टर ज्योति बताती हैं कि वे मूल रूप से केरल की निवासी है. वे 21 साल पहले मध्यप्रदेश से सारण आई हुई थीं. उन्होंने अपना पूरा जीवन महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वाबलंबी बनाने के लिए खपा दिया है.

सिस्टर ज्योति
सिस्टर ज्योति

JSPL फाउंडेशन की ओर से किया गया सम्मानित
इस बाबत सिस्टर ज्योति बताती है कि उन्हें जेएसपीएल फाउंडेशन की ओर से फाउंडेशन की अध्यक्ष शालू जिंदल ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बेहतर कार्य को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसिद्ध सम्मान से सम्मानित किया है. जिसमें उन्हें एक प्रशस्ति पत्र, मेमोंटो और एक लाख रुपये का चेक मिला है. वे बताती है कि पूरे भारत से 27 लोगों को अवार्ड दिया गया है, जिसमें बिहार से मात्र दो लोगों का चयन किया गया था.

छपरा की सिस्टर ज्योति दिल्ली में हुई सम्मानित

'महिलाएं किसी की मोहताज नहीं'
ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए 76 वर्षीय सिस्टर ज्योति ने कहा कि मुझें इस बात की जिद थी कि महिलाएं किसी की मोहताज न हों और वे घर की चहारदीवारी से निकलकर खुद का रोजगार करें. उनके प्रयास के कारण क्षेत्र की 3 हजार से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा चुका है.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मिला चुका है कई पुरस्कार
मूल रूप से केरल की रहने वाली ज्योति 20 साल पहले सारण की धरती पर आई थी. उनको समाजसेवा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है.सिस्टर ज्योति के वजह से स्वयं सहायता समूहों ने मिलकर एक एकता सहकारी समिति बैंक बनाया है. जिसमें महिलाओं ने मिलकर करीब दो करोड़ की पूंजी जमा की है. जमा पूंजी से महिलाएं ऋण लेकर सर्फ, मोमबत्ती और कई अन्य काम करती हैं.

Intro:SLUG:-SISTER JYOTI OF CHHAPRA HONORED IN DELHI
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/ SARAN/BIHAR

Anchor:-कहा जाता है कि अगर जिद और जज्बा हो तो उम्र किसी की मोहताज नहीं होती और इसी कहावत को चरितार्थ कर रही हैं सारण में रहने वाली 76 वर्षीया सिस्टर ज्योति जो मूल रूप से केरल की निवासी है लेकिन 21 वर्ष पहले मध्यप्रदेश से बिहार के सारण ज़िले मे महिलाओं को आत्मनिर्भर व स्वावलंबन के क्षेत्र में कार्य करने के लिए आई हुई थीं. सिस्टर ज्योति को जिंदल परिवार की कंपनी जिंदल स्टील पावर लिमिटेड द्वारा महिला सशक्तिकरण को लेकर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया गया है.

जेएसपीएल फाउंडेशन की अध्यक्ष शालू जिंदल ने सारण की सिस्टर ज्योति को महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बेहतर कार्य को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसिद्ध सम्मान से सम्मानित किया है जिसमें प्रशस्ति पत्र, मेमोंटो व एक लाख रुपये का चेक भी शामिल है. वैसे लोगों को सम्मानित किया गया है जो महिलाओं के उत्थान व स्वावलंबन के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहे है लेकिन लोग उन्हें नहीं जानते है. ऐसे में चयन के बाद पूरे भारत से 27 लोगों को अवार्ड दिया गया है, जिसमें बिहार से मात्र दो लोगों का चयन किया गया था जिसमें पटना की संस्था हैं जबकि सारण की सिस्टर ज्योति को ब्यक्तिगत तौर से इन्हें सम्मानित किया गया हैं.Body:जिंदल परिवार की संस्था द्वारा सम्मानित 76 वर्षीय ज्योति ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान बताया की मुझें जिद थी कि महिलाएं किसी की मोहताज न हों और वे घर की चहारदीवारी से निकलकर खुद का रोजगार करें. आज ज्योति की इसी जिद ने न केवल इस क्षेत्र की 3,000 से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि सारण जिले के सैकड़ों गांव में शिक्षा की अलख जगाते हुए महिलाओं को सशक्तिकरण की ‘’ज्योति’’ जला रही हैं.

ज्योति ने बताया की मन में विश्वास और लगन हो तो कोई भी काम छोटा नहीं होता हैं, वैसे शुरू में लोगों की समझ थी कि इस काम के पीछे ज्योति को ही लाभ होगा लेकिन मेरे द्वारा प्रदान की जाने वाली चीजों की बजाय खुद के हाथों की कमाई पर भरोसे की सीख दी. जैसे-जैसे बात लोगों के जहन में बैठती गई वैसे-वैसे महिलाएं आत्मनिर्भर बनती चली गई. महिलाओं के बीच सिस्टर ज्योति के नाम से प्रचलित ज्योति के प्रति आज यहां की महिलाएं निष्ठावान है जिसके उदाहरण के तौर पर सिस्टर ज्योति के पहल पर महिलाओं ने लगभग दो सौ स्व सहायता समूह बनाकर सैकड़ों गांवों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का काम की हैं.

Byte:-सिस्टर ज्योति
धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, ईटीवी भारत, सारण


Conclusion:सिस्टर ज्योति ने बताया कि कई महिलाएं जो कल तक घर की चौखट से बाहर नहीं निकलती थीं लेकिन अब खेतों में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं, करीब सौ गांवों में महिलाएं खुद रोजगार करती हैं जिसमें लगभग 3,000 महिलाएं आज न केवल आत्मनिर्भर बन चुकी हैं बल्कि खुद से परिवार का आधार स्तंभ बनकर लोगों के घरों में प्रतिदिन दीपावली मनाने का काम कर रही हैं.

मूल रूप से केरल की रहने वाली ज्योति करीब 20 साल पहले सारण की धरती पर आई थी जिसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समाजसेवा के क्षेत्र में कई पुरस्कार मिल चुका है, ज्योति के बदौलत समूह की सभी महिलाएं साक्षर और आत्मनिर्भर है वहीं 72 महिला स्वयं सहायता समूहों ने मिलकर एक ‘एकता सहकारी समिति बैंक’ बनाया है. सबसे खास बात यह हैं कि कल तक जो महिलाएं कर्ज के बोझ तले दबी हुई थी वह आज इसी बैंक के बदौलत दूसरों को कर्ज दे रही हैं और अपने परिवार का भरण पोषण के साथ ही शादी-विवाह, जमीन की खरीददारी, मकान का निर्माण, बेटा व बेटी की पढ़ाई के साथ-साथ विदेशों तक भेजने का काम कर रही हैं. वहीं वर्तमान समय में इस बैंक में महिलाओं ने मिलकर करीब दो करोड़ की पूंजी जमा की हैं और जमा पूंजी से महिलाएं ऋण के तौर पर पैसा लेकर खेती करने व सर्फ, मोमबत्ती, पापड़ बनाने का काम करती हैं.
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