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मूर्तिकारों ने प्रतिमाओं को दिया अंतिम रूप, कोरोना को लेकर परेशान

मूर्तिकारों ने प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया. कोरोना महामारी के चलते प्रतिवर्ष की तुलना में इस बार कम मूर्तियां बनाई गई हैं. कोरोना के बाद से मूर्तिकारों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई है.

chapra
मूर्तिकारों ने दिया मुर्तियों को अंतिम रूप
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Published : Nov 14, 2020, 11:51 AM IST

छपरा : जिले में मूर्तिकारों ने मूर्तियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है क्योंकि दिवाली और छठ पूजा का त्यौहार पर इन मूर्तियों की काफी मांग होती है. छपरा के मूर्तिकार यह मूर्तियां बनाकर छपरा के आसपास के इलाकों और उत्तर प्रदेश के सुरेमनपुर, रेवती और बलिया तक इसकी सप्लाई करते हैं.

एक मूर्तिकार ने बताया कि कोरोना के बाद से हमारी स्थिति बहुत ही खराब हो गई है. कोरोना के बाद से कुछ काम नहीं मिलने के कारण हमलाेगों को मजबुरी में यह काम करना पड़ रहा है. सरकार की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिलती है.

कोरोना को लेकर हुई स्थिति काफी खराब

मूर्तिकार ने बताया कि इस बार कोविड-19 संक्रमण को लेकर हमारी स्थिति काफी खराब हो गई है और हमें जिंदगी जीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है क्योंकि हमारी सबसे ज्यादा आमदनी का जरिया यही मिट्टी से मूर्ति का निर्माण करना है.

मूर्तिकारों ने दिया मुर्तियों को अंतिम रूप

सबसे ज्यादा दुर्गा पूजा के समय मूर्तियों की डिमांड होती है लेकिन इस बार दुर्गा पूजा के समय और उसके पहले लॉकडाउन रहने के कारण हमारी सारी बनी हुई मूर्तियां धरी की धरी रह गई. क्योंकि जिला-प्रशासन ने किसी भी सार्वजनिक जगह पर मूर्ति पूजा की अनुमति नहीं दी. इसके बाद की स्थिति अभी तक नहीं सुधरी है.

भारतीय परंपरा को जीवित रखने का प्रयास

अभी दिवाली और छठ पूजा में भी मूर्तियों का निर्माण किया जाता है लेकिन कब प्रशासन आकर मूर्तियों के निर्माण पर रोक लगा दे, कुछ कहा नहीं जा सकता. हम लोग काफी असमंजस की स्थिति में है. वहीं चाइनीज बल्ब और झालरों की स्थिति के कारण हमारे मिट्टी के दिए और मूर्तियां पर भी काफी असर पड़ा है .

पूरे लॉकडाउन में हम लोगों को किसी भी प्रकार की कोई भी सरकारी सहायता या मदद नहीं मिली है और हम लोग की स्थिति इस समय बहुत ही खराब है हम लोग किसी तरह कर्ज लेकर अपने पुश्तैनी रोजगार को कर रहे हैं और भारतीय परंपरा को जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं.

छपरा : जिले में मूर्तिकारों ने मूर्तियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है क्योंकि दिवाली और छठ पूजा का त्यौहार पर इन मूर्तियों की काफी मांग होती है. छपरा के मूर्तिकार यह मूर्तियां बनाकर छपरा के आसपास के इलाकों और उत्तर प्रदेश के सुरेमनपुर, रेवती और बलिया तक इसकी सप्लाई करते हैं.

एक मूर्तिकार ने बताया कि कोरोना के बाद से हमारी स्थिति बहुत ही खराब हो गई है. कोरोना के बाद से कुछ काम नहीं मिलने के कारण हमलाेगों को मजबुरी में यह काम करना पड़ रहा है. सरकार की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिलती है.

कोरोना को लेकर हुई स्थिति काफी खराब

मूर्तिकार ने बताया कि इस बार कोविड-19 संक्रमण को लेकर हमारी स्थिति काफी खराब हो गई है और हमें जिंदगी जीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है क्योंकि हमारी सबसे ज्यादा आमदनी का जरिया यही मिट्टी से मूर्ति का निर्माण करना है.

मूर्तिकारों ने दिया मुर्तियों को अंतिम रूप

सबसे ज्यादा दुर्गा पूजा के समय मूर्तियों की डिमांड होती है लेकिन इस बार दुर्गा पूजा के समय और उसके पहले लॉकडाउन रहने के कारण हमारी सारी बनी हुई मूर्तियां धरी की धरी रह गई. क्योंकि जिला-प्रशासन ने किसी भी सार्वजनिक जगह पर मूर्ति पूजा की अनुमति नहीं दी. इसके बाद की स्थिति अभी तक नहीं सुधरी है.

भारतीय परंपरा को जीवित रखने का प्रयास

अभी दिवाली और छठ पूजा में भी मूर्तियों का निर्माण किया जाता है लेकिन कब प्रशासन आकर मूर्तियों के निर्माण पर रोक लगा दे, कुछ कहा नहीं जा सकता. हम लोग काफी असमंजस की स्थिति में है. वहीं चाइनीज बल्ब और झालरों की स्थिति के कारण हमारे मिट्टी के दिए और मूर्तियां पर भी काफी असर पड़ा है .

पूरे लॉकडाउन में हम लोगों को किसी भी प्रकार की कोई भी सरकारी सहायता या मदद नहीं मिली है और हम लोग की स्थिति इस समय बहुत ही खराब है हम लोग किसी तरह कर्ज लेकर अपने पुश्तैनी रोजगार को कर रहे हैं और भारतीय परंपरा को जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं.

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