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Saran News: ग्रामीण महिलाओं के बीच खुशबू ने बांटे 8 लाख सैनिटरी पैड, कहा- 'प्रधानमंत्री से मिली प्रेरणा'

सारण की खुशबू ठाकुर ने ग्रामीण महिलाओं के बीच अबतक 8 लाख सैनिटरी नैपकिन निःशुक्ल वितरित किया है. इसके साथ ही महिलाओं को काम भी दे रही हैं. इसके कई फायदे हुए हैं. सबसे बड़ी बात ये कि स्कूलों से बच्चियों का ड्रॉपआउट कम हुआ है.

सारण की खुशबू ठाकुर
सारण की खुशबू ठाकुर
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Published : Jun 12, 2023, 6:08 PM IST

महिलाओं के लिए खुशबू ने उठाया बड़ा कदम

सारण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारत की नारी शक्ति अब स्वयं को सशक्त करने में जुटी हैं. साथ ही अपनी जैसी महिलाओं को भी सहायता पहुंचा रही हैं. सारण जिले के जलालपुर प्रखण्ड की खुशबू ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किला के प्राचीर से दिए गए सम्बोधन से प्रभावित होकर कई महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है.

पढ़ें- Used Sanitary Pad Recycle: बिहार में सैनिटरी पैड का प्रोडक्शन शुरू, यूज्ड पैड से बनेंगे डायरी और क्लिप बोर्ड

महिलाओं के लिए खुशबू ने उठाया बड़ा कदम: दरअसल स्थानीय सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की सहायता से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं लिए सैनिटरी नैपकिन निःशुल्क उपलब्ध कराने का अभियान शुरू किया है. खुशबू बताती हैं कि उनके द्वारा ग्रामीण महिलाओं के बीच अबतक 8 लाख सैनिटरी नैपकिन निःशुक्ल वितरित किया गया है. इसके लिए उन्होंने जो फैक्ट्री लगाई है उसमें भी 5 से 6 महिलाओं को रोजगार भी मिला है.

"पीरियड्स (माहवारी) महिलाओं के जीवन में एक कुदरती और बायोलॉजिकल घटना है, इसके प्रति जागरूकता महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में क्रांतिकारी पहल है. इसके लिए उन्हे सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया गया है. इससे छात्राओं की सेहत में सुधार हुआ है और उनका सेल्फ-कॉन्फिडेंस भी बढ़ा है."- खुशबू ठाकुर, संचालिका

कई समस्याओं का निकला समाधान: खुशबू ने बताया कि इससे स्कूल जाने वाली छात्राओं के स्कूल छोड़ने (ड्रॉपआउट) में भी कमी आ रही है. इससे महिलाओं की साक्षरता दर में भी वृद्धि हुई हो रही है. सरकार ने हमारी बेटियों, बहनों और नवजातों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखा है.

MHS स्कीम: भारत सरकार ने किशोरियों में माहवारी स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए 'मेन्स्ट्रुअल हाइजीन स्कीम ( MHS)' जैसी योजना के जरिये इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. यह स्कीम 10-19 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई. पीरियड्स में साफ-सफाई को लेकर अवेयरनेस बढ़ाना, क्वॉलिटी नैपकिन की पहुंच में सुधार लाना और उनका सुरक्षित तरीकों से निपटान सुनिश्चित करना.

"आज सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रयास ने सभी अंधविश्वासों, असुरक्षित विधियों को दूर करने में भी पर्याप्त प्रगति की है. सामुदायिक जुड़ाव और व्यापक जागरूकता कार्यक्रमों तक पहुंच से इस पहल ने बाधाओं को तोड़ने और मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देने का प्रशंसनीय कार्य किया है."- रीना देवी

महिलाओं के लिए खुशबू ने उठाया बड़ा कदम

सारण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारत की नारी शक्ति अब स्वयं को सशक्त करने में जुटी हैं. साथ ही अपनी जैसी महिलाओं को भी सहायता पहुंचा रही हैं. सारण जिले के जलालपुर प्रखण्ड की खुशबू ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किला के प्राचीर से दिए गए सम्बोधन से प्रभावित होकर कई महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है.

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महिलाओं के लिए खुशबू ने उठाया बड़ा कदम: दरअसल स्थानीय सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की सहायता से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं लिए सैनिटरी नैपकिन निःशुल्क उपलब्ध कराने का अभियान शुरू किया है. खुशबू बताती हैं कि उनके द्वारा ग्रामीण महिलाओं के बीच अबतक 8 लाख सैनिटरी नैपकिन निःशुक्ल वितरित किया गया है. इसके लिए उन्होंने जो फैक्ट्री लगाई है उसमें भी 5 से 6 महिलाओं को रोजगार भी मिला है.

"पीरियड्स (माहवारी) महिलाओं के जीवन में एक कुदरती और बायोलॉजिकल घटना है, इसके प्रति जागरूकता महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में क्रांतिकारी पहल है. इसके लिए उन्हे सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया गया है. इससे छात्राओं की सेहत में सुधार हुआ है और उनका सेल्फ-कॉन्फिडेंस भी बढ़ा है."- खुशबू ठाकुर, संचालिका

कई समस्याओं का निकला समाधान: खुशबू ने बताया कि इससे स्कूल जाने वाली छात्राओं के स्कूल छोड़ने (ड्रॉपआउट) में भी कमी आ रही है. इससे महिलाओं की साक्षरता दर में भी वृद्धि हुई हो रही है. सरकार ने हमारी बेटियों, बहनों और नवजातों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखा है.

MHS स्कीम: भारत सरकार ने किशोरियों में माहवारी स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए 'मेन्स्ट्रुअल हाइजीन स्कीम ( MHS)' जैसी योजना के जरिये इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. यह स्कीम 10-19 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई. पीरियड्स में साफ-सफाई को लेकर अवेयरनेस बढ़ाना, क्वॉलिटी नैपकिन की पहुंच में सुधार लाना और उनका सुरक्षित तरीकों से निपटान सुनिश्चित करना.

"आज सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रयास ने सभी अंधविश्वासों, असुरक्षित विधियों को दूर करने में भी पर्याप्त प्रगति की है. सामुदायिक जुड़ाव और व्यापक जागरूकता कार्यक्रमों तक पहुंच से इस पहल ने बाधाओं को तोड़ने और मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देने का प्रशंसनीय कार्य किया है."- रीना देवी

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