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भिखारी ठाकुर के पैृतक गांव में भी नहीं बनी सड़क, ग्रामीणों ने किया वोट बहिष्कार का ऐलान

बिहार सरकार का दावा है कि गांव-गांव सड़क का निर्माण कर दिया गया है. लेकिन चुनावी महीनों में अलग-अलग जिलों से जो खबरें सामने आ रही है. वह एक बड़ा सवाल है. क्योंकि कई गांवों में अब तक सड़कें नहीं बनी है. भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के पैतृक गांव में भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ है.

ग्रामीणों ने की बैठक
ग्रामीणों ने की बैठक
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Published : Oct 5, 2020, 5:19 AM IST

Updated : Oct 5, 2020, 6:44 AM IST

छपरा: भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर को देश जानता है. लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते हैं कि उनके पैतृक गांव में आज तक अच्छी सड़क नहीं बनी. अब बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भिखारी ठाकुर के गांव के सैकड़ों ग्रामीण 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे लगा रहे हैं.

सारण जिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हरेक गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने की योजना भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के गांव पर लागू नहीं हो रही है. लोक कवि भिखारी ठाकुर के पैतृक गांव कुतुबपुर तक जाने के लिए सड़क तक नसीब नहीं है. यह गांव छपरा सदर प्रखंड में है और छपरा- आरा पथ करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है. सड़क से वंचित इस गांव के ग्रामीण सरकार और प्रशासन के खिलाफ बगावत करने पर उतर आए हैं.

तीन पंचायत के लोगों ने की बैठक
तीन पंचायतों के ग्रामीणों ने रविवार को महापंचायत किया और वोट बहिष्कार का ऐलान कर दिया. लोगों ने पहले बैठक की और फिर जुलूस निकाल कर 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे लगाए. सड़क नहीं होने से सदर प्रखंड के गड़खा और छपरा विधानसभा के तीन पंचायतों की 30 हजार आबादी प्रभावित है. गड़खा विधानसभा क्षेत्र के दो पंचायत रायपुर बिन्दगांवा और कोटवापट्‌टी रामपुर तथा छपरा विधानसभा के बरहरा महाजी पंचायत के नौ गांव से मुख्यालय का संपर्क टूट गया है. यानी यहां के करीब 30 हजार लोग अभी के समय में चाह कर भी गांव से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.

नहीं मिल रही मुलभूत सुविधाएं
पुल से गांव को जाने वाली सड़क जर्जर हालत में है. लोग पैदल भी नहीं निकल सकते हैं. सड़क कीचड़ से सना हुआ और टूटी हुई है. गाड़ी गई तो फंसना तय है और पैदल निकले तो गिरना और पैर टूटना तय है. भले ही दियारा वासियों के कायाकल्प के लिए छपरा -आरा पुल का निर्माण हो गया हो. लेकिन विकास से अभी भी कई गांव कोसों दूर हैं. इन तीन पंचायतों के नौ गांव में 30 हजार से अधिक आबादी है, लेकिन वहां पर जाने के लिए संपर्क सड़क तक सही हालत में नहीं है. ना ही अस्पताल और ना ही अच्छी शैक्षणिक व्यवस्था है. लिहाजा वहां के लोगों को आरा या छपरा जिला मुख्यालय आना मजबूरी है. अभी के समय में अगर किसी तरह से संपर्क सड़क होते लोग पुल तक पहुंच भी रहे तो घंटों जाम में फंसे रह जाते हैं.

छपरा: भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर को देश जानता है. लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते हैं कि उनके पैतृक गांव में आज तक अच्छी सड़क नहीं बनी. अब बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भिखारी ठाकुर के गांव के सैकड़ों ग्रामीण 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे लगा रहे हैं.

सारण जिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हरेक गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने की योजना भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के गांव पर लागू नहीं हो रही है. लोक कवि भिखारी ठाकुर के पैतृक गांव कुतुबपुर तक जाने के लिए सड़क तक नसीब नहीं है. यह गांव छपरा सदर प्रखंड में है और छपरा- आरा पथ करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है. सड़क से वंचित इस गांव के ग्रामीण सरकार और प्रशासन के खिलाफ बगावत करने पर उतर आए हैं.

तीन पंचायत के लोगों ने की बैठक
तीन पंचायतों के ग्रामीणों ने रविवार को महापंचायत किया और वोट बहिष्कार का ऐलान कर दिया. लोगों ने पहले बैठक की और फिर जुलूस निकाल कर 'रोड नहीं तो वोट नहीं' के नारे लगाए. सड़क नहीं होने से सदर प्रखंड के गड़खा और छपरा विधानसभा के तीन पंचायतों की 30 हजार आबादी प्रभावित है. गड़खा विधानसभा क्षेत्र के दो पंचायत रायपुर बिन्दगांवा और कोटवापट्‌टी रामपुर तथा छपरा विधानसभा के बरहरा महाजी पंचायत के नौ गांव से मुख्यालय का संपर्क टूट गया है. यानी यहां के करीब 30 हजार लोग अभी के समय में चाह कर भी गांव से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.

नहीं मिल रही मुलभूत सुविधाएं
पुल से गांव को जाने वाली सड़क जर्जर हालत में है. लोग पैदल भी नहीं निकल सकते हैं. सड़क कीचड़ से सना हुआ और टूटी हुई है. गाड़ी गई तो फंसना तय है और पैदल निकले तो गिरना और पैर टूटना तय है. भले ही दियारा वासियों के कायाकल्प के लिए छपरा -आरा पुल का निर्माण हो गया हो. लेकिन विकास से अभी भी कई गांव कोसों दूर हैं. इन तीन पंचायतों के नौ गांव में 30 हजार से अधिक आबादी है, लेकिन वहां पर जाने के लिए संपर्क सड़क तक सही हालत में नहीं है. ना ही अस्पताल और ना ही अच्छी शैक्षणिक व्यवस्था है. लिहाजा वहां के लोगों को आरा या छपरा जिला मुख्यालय आना मजबूरी है. अभी के समय में अगर किसी तरह से संपर्क सड़क होते लोग पुल तक पहुंच भी रहे तो घंटों जाम में फंसे रह जाते हैं.

Last Updated : Oct 5, 2020, 6:44 AM IST
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