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बाढ़ के स्थायी समाधान के लिए राजीव प्रताप रुडी ने केंद्र सरकार के पास रखा नया एजेंडा - बिहार में बाढ़

रूडी ने लोकसभा में बिहार में आने वाली बाढ़ से संबंधित मुद्दा को उठाया. केंद्र से उन्होंने आग्रह किया कि ऐसा मॉडल कानून बनाएं कि लोग आहर-पईन, प्राकृतिक नदी नालों को भरकर अतिक्रमण न करें.

राजीव प्रताप रूडी
राजीव प्रताप रूडी
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Published : Sep 23, 2020, 8:14 PM IST

पटना/सारण: बिहार में बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए सांसद राजीव प्रताप रुडी ने केंद्र सरकार के पास नया एजेंडा रखा है. उन्होंने लोकसभा में मुद्दा उठाते हुए कहा कि आहर-पईन और प्राकृतिक नदी-नालों पर अतिक्रमण का बिहार की बाढ़ विभीषिका में अहम रोल है.

लोकसभा में उठाया मुद्दा
बीजेपी सांसद ने लोकसभा में बिहार में आने वाली बाढ़ से संबंधित मुद्दा को उठाया. उन्होंने एक नये संदर्भ को रेखांकित करते हुए सरकार का ध्यान आकृष्ट किया कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर ऐसा प्रयास करें कि बिहारवासियों को हर वर्ष आने वाली बाढ़ की विभीषिका से मुक्ति मिल सके.

बड़े हिस्सों पर अतिक्रमण
सांसद ने कहा कि खेती और सिंचाई के लिए जो नहरें, प्राकृतिक नदी-नाले, बरसाती नदियां और कृषि विभाग द्वारा जो आहर पईन का निर्माण किया गया था, उन सब पर काफी हद तक अतिक्रमण हो चुका है.

अंतिम छोर तक पहुंचा पानी
उन्होंने कहा कि गंडक का पानी बांध टूटने के बाद सारण तक आकर जमा हो गया. जहां तटबंध टूटा, वहां कोई पानी जमा नहीं हुआ. पानी बहते हुए अपने अंतिम छोर पर जमा हो गया. गंगा और गंडक में जाने वाले पानी का अंतिम छोर पर जलजमाव मूलतः पानी के बहाव के प्राकृतिक स्रोतों के अतिक्रमण के कारण हुआ.

पहले भी रखी थी अपनी बात
इसके पूर्व भी सांसद ने इस विषय पर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था कि खेती वाले वैसे जमीन को ही आवासीय भू खण्ड के रूप में रजिस्ट्री की जाय. जिसमें जमीन से ही सड़क दी गई हो. आहर-पईन को भरकर सड़क दिखलाकर जमीन का रजिस्ट्री न किया जाय.

केंद्र बनाए खास मॉडल
केंद्र से उन्होंने आग्रह किया कि केंद्र सरकार एक ऐसा मॉडल कानून बनाये कि लोग आहर-पईन, प्राकृतिक नदी नालों को भरकर अतिक्रमण न करें, उसे सड़क का रूप न दें या उसपर आवास न बनायें जिससे यह कानून देश में सभी राज्य लागू कर सकें. इस संदर्भ में सांसद रुडी ने राज्य सरकार को अवगत कराया था और इसका विस्तृत प्रस्ताव बनाकर भेजा था.

नहीं लग पाई रोक
रुडी के प्रस्ताव के अनुरूप राज्य सरकार ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को आदेश निर्गत करते हुए प्राकृतिक नदी-नालों और पुराने समय में बने आहर-पईन को चिन्हित करते हुए उसकी सूची सरकार को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. परन्तु इस संदर्भ में कोई कानून न होने के कारण इस पर कोई यथोचित कार्रवाई नहीं हो पाई और आज भी पुराने आहर-पईन को सड़क दिखाकर जमीन की रजिस्ट्री हो रही है, इसपर कोई रोक नहीं लग पाई.

कई नदियों का अस्तित्व खत्म
सांसद रुडी ने बताया कि अतिक्रमण के कारण सारण जिला में महि, डबरा आदि कई नदियां हैं, जिनका अस्तित्व मिट चुका है या मिटने की कगार पर है. उन्होंने कहा कि जब नेपाल के डैम से पानी छोड़ा जाता था, तब वह प्राकृतिक नदी नालों से होकर खेतों में सिंचाई के काम में आ जाता था और रिहायशी इलाकों को क्षति नहीं पहुंचती थी.

बाढ़ का पानी नहीं निकल पाता
वर्तमान में वो प्राकृतिक स्रोत अतिक्रमित हो गये हैं, उनपर सड़कें बन गई है और लोग घर बनाकर रह रहे हैं. कई जगह उनका अस्तित्व मिट गया है और पानी के बहाव का मार्ग अवरूद्ध हो गया है. जिस कारण बाढ़ का पानी निकल नहीं पाता है और वहां जलजलमाव हो रहा है.

पटना/सारण: बिहार में बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए सांसद राजीव प्रताप रुडी ने केंद्र सरकार के पास नया एजेंडा रखा है. उन्होंने लोकसभा में मुद्दा उठाते हुए कहा कि आहर-पईन और प्राकृतिक नदी-नालों पर अतिक्रमण का बिहार की बाढ़ विभीषिका में अहम रोल है.

लोकसभा में उठाया मुद्दा
बीजेपी सांसद ने लोकसभा में बिहार में आने वाली बाढ़ से संबंधित मुद्दा को उठाया. उन्होंने एक नये संदर्भ को रेखांकित करते हुए सरकार का ध्यान आकृष्ट किया कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर ऐसा प्रयास करें कि बिहारवासियों को हर वर्ष आने वाली बाढ़ की विभीषिका से मुक्ति मिल सके.

बड़े हिस्सों पर अतिक्रमण
सांसद ने कहा कि खेती और सिंचाई के लिए जो नहरें, प्राकृतिक नदी-नाले, बरसाती नदियां और कृषि विभाग द्वारा जो आहर पईन का निर्माण किया गया था, उन सब पर काफी हद तक अतिक्रमण हो चुका है.

अंतिम छोर तक पहुंचा पानी
उन्होंने कहा कि गंडक का पानी बांध टूटने के बाद सारण तक आकर जमा हो गया. जहां तटबंध टूटा, वहां कोई पानी जमा नहीं हुआ. पानी बहते हुए अपने अंतिम छोर पर जमा हो गया. गंगा और गंडक में जाने वाले पानी का अंतिम छोर पर जलजमाव मूलतः पानी के बहाव के प्राकृतिक स्रोतों के अतिक्रमण के कारण हुआ.

पहले भी रखी थी अपनी बात
इसके पूर्व भी सांसद ने इस विषय पर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था कि खेती वाले वैसे जमीन को ही आवासीय भू खण्ड के रूप में रजिस्ट्री की जाय. जिसमें जमीन से ही सड़क दी गई हो. आहर-पईन को भरकर सड़क दिखलाकर जमीन का रजिस्ट्री न किया जाय.

केंद्र बनाए खास मॉडल
केंद्र से उन्होंने आग्रह किया कि केंद्र सरकार एक ऐसा मॉडल कानून बनाये कि लोग आहर-पईन, प्राकृतिक नदी नालों को भरकर अतिक्रमण न करें, उसे सड़क का रूप न दें या उसपर आवास न बनायें जिससे यह कानून देश में सभी राज्य लागू कर सकें. इस संदर्भ में सांसद रुडी ने राज्य सरकार को अवगत कराया था और इसका विस्तृत प्रस्ताव बनाकर भेजा था.

नहीं लग पाई रोक
रुडी के प्रस्ताव के अनुरूप राज्य सरकार ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को आदेश निर्गत करते हुए प्राकृतिक नदी-नालों और पुराने समय में बने आहर-पईन को चिन्हित करते हुए उसकी सूची सरकार को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. परन्तु इस संदर्भ में कोई कानून न होने के कारण इस पर कोई यथोचित कार्रवाई नहीं हो पाई और आज भी पुराने आहर-पईन को सड़क दिखाकर जमीन की रजिस्ट्री हो रही है, इसपर कोई रोक नहीं लग पाई.

कई नदियों का अस्तित्व खत्म
सांसद रुडी ने बताया कि अतिक्रमण के कारण सारण जिला में महि, डबरा आदि कई नदियां हैं, जिनका अस्तित्व मिट चुका है या मिटने की कगार पर है. उन्होंने कहा कि जब नेपाल के डैम से पानी छोड़ा जाता था, तब वह प्राकृतिक नदी नालों से होकर खेतों में सिंचाई के काम में आ जाता था और रिहायशी इलाकों को क्षति नहीं पहुंचती थी.

बाढ़ का पानी नहीं निकल पाता
वर्तमान में वो प्राकृतिक स्रोत अतिक्रमित हो गये हैं, उनपर सड़कें बन गई है और लोग घर बनाकर रह रहे हैं. कई जगह उनका अस्तित्व मिट गया है और पानी के बहाव का मार्ग अवरूद्ध हो गया है. जिस कारण बाढ़ का पानी निकल नहीं पाता है और वहां जलजलमाव हो रहा है.

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