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छपरा: जर्जर भवन में 20 वर्षों से चल रहा पशु अस्पताल, जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करते हैं डॉक्टर

किसान बताते हैं कि अस्पताल में पशुओं के ठहरने की उचित व्यवस्था नहीं है. जिससे वे यहां अपने बीमार पशुओं को लाना सुरक्षित नहीं समझते.

poor condition of veterinary hospital in chhapra
छपरा में पशु अस्पताल की जर्जर हालत
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Published : Dec 12, 2019, 11:35 AM IST

छपरा: जिले के बनियापुर स्थित प्रथम श्रेणी पशु अस्पताल की हालत जर्जर है. जिससे वहां पर नियुक्त डॉक्टर और कर्मी परेशान हैं. उनका कहना है कि यहां का भवन कब गिर जाएगा ये कहना मुश्किल है. ऐसे में वे हर समय सहमे हुए रहते हैं.

छत से झड़ती है सीमेंट की परत
बता दें कि अस्पताल का भवन 2 दशक पहले बनाया गया था. जहां देख-रेख की अभाव के कारण इसकी जर्जरता धीरे-धीरे बढ़ गई. आलम यह कि कमरे की छत से चट्टे गिरते रहते है. इसके अलावा सभी खिड़कियां भी टूट चुकी हैं. चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रभाकर प्रवीण ने बताया कि अस्पताल के भवन को निर्माण को हरी झंडी तो मिल गई है. लेकिन निर्माण अबतक शुरू नहीं हुआ है. जिससे चिकित्सकों और कर्मियों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.

20 सालों से पशु अस्पताल का भवन पड़ा हुआ है जर्जर

टीकाकरण शेड बन चुका है मलवा
अस्पताल में पशुओं के लिए पशु शेड और टीकाकरण शेड बनवाया गया था. लेकिन अब ये शेड मलवे में तब्दील हो चुके हैं. जिसकी सूचना कई बार जिले के उच्चाधिकारियों को दी गई है. लेकिन अब तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया है. वहीं, किसान बताते हैं कि अस्पताल में पशुओं के ठहरने की उचित व्यवस्था नहीं है. जिससे वे यहां अपने बीमार पशुओं को लाना सुरक्षित नहीं समझते.

poor condition of veterinary hospital in chhapra
पशु अस्पताल के छत से गिरते है चट्टे

दवा की है अनुपलब्धता
डॉ. प्राभाकर प्रवीण ने बताया कि पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए 33 प्रकार की दवा की उपलब्धता जरूरी है. इनमें मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए भी दवाइयां शामिल हैं. लेकिन अस्पताल में मात्र 15 दवाएं ही उपलब्ध हैं. इसके अस्पताल में कॉटन और नीडल का भी अभाव है. जिससे जख्मी पशुओं का ईलाज करना मुश्किल हो जाता है.

छपरा: जिले के बनियापुर स्थित प्रथम श्रेणी पशु अस्पताल की हालत जर्जर है. जिससे वहां पर नियुक्त डॉक्टर और कर्मी परेशान हैं. उनका कहना है कि यहां का भवन कब गिर जाएगा ये कहना मुश्किल है. ऐसे में वे हर समय सहमे हुए रहते हैं.

छत से झड़ती है सीमेंट की परत
बता दें कि अस्पताल का भवन 2 दशक पहले बनाया गया था. जहां देख-रेख की अभाव के कारण इसकी जर्जरता धीरे-धीरे बढ़ गई. आलम यह कि कमरे की छत से चट्टे गिरते रहते है. इसके अलावा सभी खिड़कियां भी टूट चुकी हैं. चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रभाकर प्रवीण ने बताया कि अस्पताल के भवन को निर्माण को हरी झंडी तो मिल गई है. लेकिन निर्माण अबतक शुरू नहीं हुआ है. जिससे चिकित्सकों और कर्मियों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.

20 सालों से पशु अस्पताल का भवन पड़ा हुआ है जर्जर

टीकाकरण शेड बन चुका है मलवा
अस्पताल में पशुओं के लिए पशु शेड और टीकाकरण शेड बनवाया गया था. लेकिन अब ये शेड मलवे में तब्दील हो चुके हैं. जिसकी सूचना कई बार जिले के उच्चाधिकारियों को दी गई है. लेकिन अब तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया है. वहीं, किसान बताते हैं कि अस्पताल में पशुओं के ठहरने की उचित व्यवस्था नहीं है. जिससे वे यहां अपने बीमार पशुओं को लाना सुरक्षित नहीं समझते.

poor condition of veterinary hospital in chhapra
पशु अस्पताल के छत से गिरते है चट्टे

दवा की है अनुपलब्धता
डॉ. प्राभाकर प्रवीण ने बताया कि पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए 33 प्रकार की दवा की उपलब्धता जरूरी है. इनमें मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए भी दवाइयां शामिल हैं. लेकिन अस्पताल में मात्र 15 दवाएं ही उपलब्ध हैं. इसके अस्पताल में कॉटन और नीडल का भी अभाव है. जिससे जख्मी पशुओं का ईलाज करना मुश्किल हो जाता है.

Intro:छपरा : जिले के बनियापुर की प्रथम श्रेणी पशु अस्पताल की जर्जर हालत से डॉक्टर व कर्मी भी परेशान है. यहां की भवन कब गिर जाएगी इसे कहना मुश्किल है. जर्जर भवन की हालात को देख नियुक्त पशु चिकित्सक अस्पताल की भवन में प्रवेश करने के पहले भगवान की प्रार्थना करते हैं. अस्पताल भवन चार दशक पूर्व बना था.देख रेख की अभाव के कारण भवन की जर्जरता काफी बढ़ गई है. अस्पताल भवन का बरामदा एक दशक पूर्व ही टूट गया है. कमरे की छत से चट्टे गिरते रहते है। सभी खिड़कियां भी टूट चुकी है. जिसे किसी प्रकार दीवार से बांध कर रखा गया है. Body:पशुसेड मलवे में हो गया है तब्दील

डॉ. प्रभाकर प्रवीण ने बनाया कि यहां भवन निर्माण को हरी झंडी तो मिल गई है. लेकिन अबतक निर्माण शुरू नही होने से कर्मियों व चिकित्सको को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. यहां पशुओं के लिए बने पशु सेड व टीकाकरण सेड मलवा में तब्दील हो चुका है. जिसकी सूचना कई बार जिले के उच्चाधिकारियों को दी गई है. लेकिन अब तक इस पर ध्यान नही दिया गया है. प्रथम श्रेणी पशु अस्पताल में पशुओं के ठहरने की माकुल व्यवस्था नही होने से यहां किसान अपने बीमार पशुओं को लाना सुरक्षित नही समझते है.किसी अनहोनी की आशंका को लेकर पशुपालक भी यहां आने से बचते हैं.  


दवा की भी है अनुप्लब्धता 

डॉ. प्राभाकर प्रवीण ने बताया कि पशुओं के बीमारियों से बचाव के लिए 33 प्रकार की दवा की उपलब्धता आवश्यक है. इनमे कई दवाएं मौसमी बीमारियों से बचाव की भी है. लेकिन अस्पताल में मात्र 15 दवाएं ही उपलब्ध है. अस्पताल में कॉटन व नीडल की भी अभाव है. जिससे जख्मी पशुओं को ईलाज उपलब्ध कराना भी मुश्किल है.

Conclusion:क्या कहते हैं डॉक्टर

डॉ. प्राभाकर ने बताया कि सभी समस्याओं से वरीय अधिकारी को अवगत कराया गया है. जबतक अस्पताल का जर्जर भवन नही बनता तबतक अस्पताल की हालत में सुधार संभव नही है. 


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