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सारण: बालू व्यवसाय से जुड़े मजदूर पलायन करने को हुए मजबूर - बिहार से पलायन

डोरीगंज में बालू व्यवसाय से जुड़े हजारों मजदूरों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. मजदूर दूसरे प्रदेशों में नौकरी की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं.

डोरीगंज घाट
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Published : Apr 2, 2019, 6:31 AM IST

सारण: डोरीगंज में बालू व्यवसाय से जुड़े हजारों मजदूरों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. बाहर के मजदूर अपना पेट पालने और अपने परिवारों का भरण-पोषण करने के लिए बिहार के कई जिलों से दूसरे प्रदेशों में नौकरी की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं.

बालू व्यवसाय से जुड़े मजदूरों का बयान

लाल बालू के व्यवसाय से जुड़े मजदूरों का कहना हैकि हमलोग कई वर्षो से डोरीगंज के बालू घाटों पर बालू उतारने व चढ़ाने का काम करते आ रहे हैं, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व बालू का व्यवसाय बंद हो जाने के कारण हमलोगों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. पहले ज्यादा मजदूर काम करते थे, लेकिन अब मुश्किल से 100 के करीब मजदूर ही इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. स्थानीय लोग ही इस व्यवसाय से जुड़े रह गए हैं.

कई जिलों के मजदूर करते थे काम
बिहार के शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, बेतिया, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बेगूसराय, वैशाली, खगड़िया, आरा, बक्सर, सीवान व गोपालगंज सहित कई अन्य जिलों के मजदूर डोरीगंज बालू घाट पर आकर मेहनत मजदूरी कर अपना और अपने परिवारों का भरण-पोषण करते थे, लेकिन जब से बालू व्यवसाय पर ग्रहण लगा है तब से यहां के मजदूर पलायन कर रहे हैं और दूसरे प्रदेशों में मेहनत मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं.

कोईलवर से आता हैबालू

मालूम हो कि आरा के कोईलवर से लाल बालू सारण के डोरीगंज घाट पर नाव से लाकर रखा जाता था और उसकी खरीद बिक्री इसी घाट से होती थी. बिहार और यूपी के कई जिलों में इसकी खपत होती थी, लेकिन जब से बालू व्यवसाय पर ग्रहण कहे या राज्य सरकार की दोहरी नीति के कारण बालू का धंधा मंदा हुआ है तब से मेहनत मजदूरी करने वाले मजदूरों के लाले पड़े हुए हैं.

सारण: डोरीगंज में बालू व्यवसाय से जुड़े हजारों मजदूरों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. बाहर के मजदूर अपना पेट पालने और अपने परिवारों का भरण-पोषण करने के लिए बिहार के कई जिलों से दूसरे प्रदेशों में नौकरी की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं.

बालू व्यवसाय से जुड़े मजदूरों का बयान

लाल बालू के व्यवसाय से जुड़े मजदूरों का कहना हैकि हमलोग कई वर्षो से डोरीगंज के बालू घाटों पर बालू उतारने व चढ़ाने का काम करते आ रहे हैं, लेकिन कुछ वर्ष पूर्व बालू का व्यवसाय बंद हो जाने के कारण हमलोगों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. पहले ज्यादा मजदूर काम करते थे, लेकिन अब मुश्किल से 100 के करीब मजदूर ही इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. स्थानीय लोग ही इस व्यवसाय से जुड़े रह गए हैं.

कई जिलों के मजदूर करते थे काम
बिहार के शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, बेतिया, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बेगूसराय, वैशाली, खगड़िया, आरा, बक्सर, सीवान व गोपालगंज सहित कई अन्य जिलों के मजदूर डोरीगंज बालू घाट पर आकर मेहनत मजदूरी कर अपना और अपने परिवारों का भरण-पोषण करते थे, लेकिन जब से बालू व्यवसाय पर ग्रहण लगा है तब से यहां के मजदूर पलायन कर रहे हैं और दूसरे प्रदेशों में मेहनत मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे हैं.

कोईलवर से आता हैबालू

मालूम हो कि आरा के कोईलवर से लाल बालू सारण के डोरीगंज घाट पर नाव से लाकर रखा जाता था और उसकी खरीद बिक्री इसी घाट से होती थी. बिहार और यूपी के कई जिलों में इसकी खपत होती थी, लेकिन जब से बालू व्यवसाय पर ग्रहण कहे या राज्य सरकार की दोहरी नीति के कारण बालू का धंधा मंदा हुआ है तब से मेहनत मजदूरी करने वाले मजदूरों के लाले पड़े हुए हैं.

Intro:डे प्लान वाली ख़बर हैं
MOJO KIT NUMBER:-577
SLUG:-BALU VYAVASAY
ETV BHARAT NEWS DESK
F.M:-DHARMENDRA KUMAR RASTOGI/SARAN/BIHAR

Anchor:-सारण के डोरीगंज में बालू व्यवसाय से जुड़े हजारों मजदूरों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई हैं और बाहर के मजदूर अपना पेट पालने व अपने परिवारों का भरण पोषण करने के लिए बिहार के कई जिलों से दूसरे प्रदेशों में नौकरी की तलाश में पलायन करने को मजबूर हो रहे है।

लाल बालू के व्यवसाय से जुड़े मजदूरों का कहना हैं कि हमलोग कई वर्षो से डोरीगंज के बालू घाटों पर बालू उतारने व चढ़ाने का काम करते आ रहे है लेकिन कुछ वर्ष पूर्व बालू का व्यवसाय बन्द हो जाने के कारण हमलोगों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई हैं क्योंकि पहले ज्यादा मजदूर काम करते थे लेकिन अब मुश्किल से सौ के करीब मजदूर ही इस व्यवसाय से जुड़े हुए है जो यहां के स्थानीय हैं वही लोग अब रह गए है।




Body:बिहार के शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, बेतिया, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बेगूसराय, वैशाली, खगड़िया, आरा, बक्सर, सिवान व गोपालगंज सहित कई अन्य जिलों के मजदूर इस जिले के डोरीगंज बालू घाट पर आकर मेहनत मजदूरी कर अपना व अपने परिवारों का भरण पोषण करते थे लेकिन जब से बालू व्यवसाय पर ग्रहण लग गया हैं तब से यहां के मजदूर पलायन कर रहे है और दूसरे प्रदेशों में मेहनत मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे है।

मालूम हो कि डोरीगंज के कई घाटों पर आरा के कोईलवर से लाल बालू सारण के डोरीगंज घाट पर नाव से लाकर रखा जाता था और उसकी खरीद बिक्री इसी घाट से होती थी जो बिहार के कई जिलों व यूपी के कई जिलों में इसकी खपत होती थी लेकिन जब से बालू व्यवसाय पर ग्रहण कहे या राज्य सरकार की दोहरी नीति के कारण बालू का धंधा मन्दा हो गया हैं और मेहनत मजदूरी करने वाले मजदूरों के लाले पड़े हुए है।

byte:-बालू व्यवासाय से जुड़े मजदूर


Conclusion:मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले मजदूरों की बात करें तो यहां रह कर वे लोग दूसरे प्रदेशों के जैसे रह कर अपनी मिट्टी का दाना पानी खाते पीते थे लेकिन वे लोग पलायन कर चुके है और दूसरे प्रदेशों में रह कर मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है लेकिन इस मामलें को लेकर राज्य सरकार की नींद नही खुली हैं।

बिहार के युवाओं को रोजगार तो मिलता नही है और जो लोग बालू व्यवसाय से जुड़ कर अपना परिवार चलाते थे उनलोगों को बेरोजगार कर दिया गया हैं।
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