सारण: छपरा में आयोजित दो दिवसीय भिखारी ठाकुर रंग महोत्सव के आयोजन में श्रीलंका से आई कलाकारों ने कला का प्रदर्शन किया. श्रीलंका के कोलंबो से अपने 12 सदस्यीय टीम को लेकर आने वाली आशा हंसिनी परेरा ने अपनी कला से लोगों का खूब मन लुभाया. मालूम हो कि आशा हिन्दी बोलने और समझने में असमर्थ हैं लेकिन भिखारी ठाकुर के नाम पर वह छपरा चली आईं.
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान आशा ने बताया कि जिस तरह भोजपुरी के भिखारी ठाकुर की ओर से रचित नाटकों की पहचान और जीवनशैली है. ठीक उसी तरह से श्रीलंका के कोलम्बो की सोखरी, नादगम, नुरती, कनेडियन डांस और मुखौटा जैसे प्रसिद्ध नाटकों और संगीत के माध्यम से समाज में फैले कुरीतियों को दिखाने का काम किया जाता हैं. जिसे कला प्रेमियों के साथ ही समाज के वुद्धिजीवियों की ओर से काफी सराहा जाता है.
छपरा में आकर खुश हैं आशा
आशा परेरा ने बताया कि भिखारी ठाकुर के बारे में बहुत कुछ सुना था लेकिन आज उनकी धरती पर आकर उनकी रचित नाटकों को देखने और सुनने के साथ ही करीब से यहां के लोगों को देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि मुझे यहां आकर काफी खुशी मिली है और यहां के लोग भी बहुत अच्छे हैं. जो कलाकारों का सम्मान करते हैं साथ ही नाटकों को इतने शांत वातावरण देखते हैं. कालाकार आशा ने कहा कि वह छपरा को नहीं जानती लेकिन अपने मित्र जैनेन्द्र के बुलावे पर आई हूं.
कलाकारों ने छोड़ा अमिट छाप
बता दें कि दो दिवसीय भिखारी ठाकुर रंग महोत्सव के दौरान श्रीलंका, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश एवं बिहार के कई जिलों से आए मेहमान कलाकारों ने चौथे भिखारी ठाकुर रंग-महोत्सव में अपने अपने लोक कलाओं के माध्यम से दर्शकों को का मनमोहने के साथ ही अपनी अमिट छाप छोड़ने का काम किया हैं.