सारण: विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला (Sonpur Mela) को इस बार लगाए जाने की मांग को लेकर सोनपुर प्रखंड कार्यालय परिसर में नागरिक मंच के तत्वाधान में 'मेला लगाओ गरिमा बचाओ' के बैनर तले बुधवार को एक दिवसीय महाधरना का (Protest for Sonpur Mela) आयोजन किया गया. इस धरना की अध्यक्षता सोनपुर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सह भाजपा नेता विनोद कुमार सिंह सम्राट ने किया. धरना के माध्यम से राज्य सरकार को अवगत कराया गया कि सरकार द्वारा कोरोना महामारी का बहाना इस बार नहीं चलने दिया जाएगा.
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भाजपा नेता विनोद कुमार सिंह सम्राट ने कहा कि सभी सरकारी और अर्ध सरकारी कार्यालय तथा मठ, मंदिर में हर रोज चहल पहल, भीड़ भाड़ लगी हुई है. पूरे राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी संपन्न कराया जा रहा है तो फिर बाबा हरिहरनाथ की नगरी में लगने वाला विश्व प्रसिद्ध मेला पर प्रतिबंध किसी भी दृटिकोण से इस बार स्वीकार नहीं किया जायेगा.
धरना बैठे लोगों ने कहा कि सरकार के तरफ से अब तक मेला लगाने के लिए कोई पहल नहीं किया जाना न केवल सरकार की मेला के प्रति उदासीनता है. सोनपुर वासियों सहित राज्य और देश के दुकानदारों, व्यपारियों, के आर्थिक कमर तोड़ने की नीति है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और किसी भी कीमत पर मेला लगाने के लिए सरकार को मजबूर करेंगे. इस धरना में बुजुर्गों, युवाओं के साथ साथ सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भी बढ़-चढ़कर शामिल हुए.
इस धरना के माध्यम से सरकार को अवगत कराया गया कि जल्द से जल्द कानूनी प्रक्रिया के तहत यह मेला कोविड-19 के तहत अनुपालन करते हुए मेला लगाएं, क्योंकि सोनपुर हरीहर क्षेत्र मेला राज्य का धरोहर और स्वभिमान है. मेले में विभिन्न राज्यों से बल्कि दर्जन से अधिक देशों के पर्यटक मेला में शिरकत करते हैं. जिससे लाखों, करोड़ों के आय होती है. अगर इस धरना प्रदर्शन से सरकार अगर कोई पहल नहीं कर रही है तो यहां के आम जनता अब नए- नए हथकंडे लेकिन विधिसंगत के तहत मेला को लगाने के लिए कोई ठोस पहल करेगी.
बता दें कि सोनपुर ही नहीं बल्कि बिहार का गौरव और सांस्कृतिक धरोहर व धार्मिक स्थल के साथ-साथ सदियों से चली आ रही हरिहर क्षेत्र मेला सरकार कोरोना की बहाना बनाकर इस मेले को धीरे- धीरे सीमित करने का मन बना रही है. ऐसे में मेला के नहीं लगने से छोटे से छोटे व बड़े से बड़े व्यापारी, बेरोजगार युवाओं, किसानों के साथ-साथ हर तरह की विकसित बिहार के सपना देखने वाले वैसे लोगों के लिए मेला न लगना अशोभनीय है. इस मेला के लगने से लाखों किसानों, बेरोजगारो, मजदूरो और व्यापारियों के यहां तक की घरेलू सामान की खरीद बिक्री से लाभान्वित होते हैं.
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