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पिछले 30 सालों से जान जोखिम में डालकर इस जर्जर पुल पर सफर करते हैं लोग

सारण में गंडक नदी के ऊपर बने लोहे के पुल से 30 वर्षों से ग्रामीणों द्वारा जान जोखिम में डालकर पार किया जा रहा है. इस पुल से करीब 10 गांव जुड़ा हुआ है.

saran
गंडक नदी पार करते राहगीर
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Published : Dec 13, 2020, 11:51 AM IST

सारण: गड़खा प्रखण्ड के इंटवा पंचायत में गंडक नदी पर बना पुल ग्रामीणों के लिए मुश्किल का कारण बनता जा रहा है. बैंकुठपुर और चिन्तामगंज को जोड़ने वाले लकड़ी के पुल से पिछले 30 वर्षों से ग्रामीणों द्वारा जान जोखिम में डालकर उपयोग किया जा रहा है.

कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
इस पुल से करीब 10 गांव जुड़ा हुआ है. जिसमे रहमपुर, नारायणपुर, बैंकुठपुर, इंटवा, ताहिपर, गलिमापुर, कौशलपुर, पीठाघाट, झारुटोला, रामपुर, अदुपुर, गलिमापुर, बंगारी, जलालबसन्त आदि गांव को यह गण्डक नदी पर बना पुल जोड़ता है. अगर समय रहते पुल की मरम्मती या स्थाई पुल नहीं बनाई गई तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

गंडक नदी पार करते राहगीर

30 वर्षों से बांस के पुल के सहारे 10 गांव
वहीं ग्रामीणों की मानें तो 30 वर्षों से यह चचरी (बांस) पुल के सहारे पार किया जाता था. पिछले साल इस गंडक नदी पर बने पुल को ग्रमीणों ने चन्दा और सहयोग से चचरी (बांस) से हटाकर लोहे की चदरी से निर्माण करवाया था. लेकिन यह भी अब टूटने लगा है. चुनाव के समय जनप्रतिनिधियों के वादे के बाद भी 20 वर्षों से केवल भरोसा ओर दिलाशा ही मिलता है.

अनहोनी को लेकर परिजन परेशान
इसी रास्ते से बच्चे रोज स्कूल जाते हैं. अनहोनी को लेकर परिजन हमेशा परेशान रहते हैं. बिहार सरकार लाख दावे करे कि पूरे बिहार में पुल का जाल बिछा दिया है. लेकिन लगता है कि सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों से बिहार सरकार सौतेला व्यहार करती है. कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगाई गई लेकिन अब तक स्थाई पुल का काम शुरू नहीं हुआ.

सारण: गड़खा प्रखण्ड के इंटवा पंचायत में गंडक नदी पर बना पुल ग्रामीणों के लिए मुश्किल का कारण बनता जा रहा है. बैंकुठपुर और चिन्तामगंज को जोड़ने वाले लकड़ी के पुल से पिछले 30 वर्षों से ग्रामीणों द्वारा जान जोखिम में डालकर उपयोग किया जा रहा है.

कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
इस पुल से करीब 10 गांव जुड़ा हुआ है. जिसमे रहमपुर, नारायणपुर, बैंकुठपुर, इंटवा, ताहिपर, गलिमापुर, कौशलपुर, पीठाघाट, झारुटोला, रामपुर, अदुपुर, गलिमापुर, बंगारी, जलालबसन्त आदि गांव को यह गण्डक नदी पर बना पुल जोड़ता है. अगर समय रहते पुल की मरम्मती या स्थाई पुल नहीं बनाई गई तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

गंडक नदी पार करते राहगीर

30 वर्षों से बांस के पुल के सहारे 10 गांव
वहीं ग्रामीणों की मानें तो 30 वर्षों से यह चचरी (बांस) पुल के सहारे पार किया जाता था. पिछले साल इस गंडक नदी पर बने पुल को ग्रमीणों ने चन्दा और सहयोग से चचरी (बांस) से हटाकर लोहे की चदरी से निर्माण करवाया था. लेकिन यह भी अब टूटने लगा है. चुनाव के समय जनप्रतिनिधियों के वादे के बाद भी 20 वर्षों से केवल भरोसा ओर दिलाशा ही मिलता है.

अनहोनी को लेकर परिजन परेशान
इसी रास्ते से बच्चे रोज स्कूल जाते हैं. अनहोनी को लेकर परिजन हमेशा परेशान रहते हैं. बिहार सरकार लाख दावे करे कि पूरे बिहार में पुल का जाल बिछा दिया है. लेकिन लगता है कि सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों से बिहार सरकार सौतेला व्यहार करती है. कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगाई गई लेकिन अब तक स्थाई पुल का काम शुरू नहीं हुआ.

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