सारण: जिले के कई प्रखंड में बिहार सरकार की नल जल योजना फेल होते दिख रही है. सारण जिले में अमनौर प्रखंड में सालो पहले नल-जल का काम हुआ पर वह बस दिखावे के लिए रह गया है. प्रखंड के जलालपुर कोठी वार्ड संख्या 12 में नल लगा है पर पानी नहीं आता है.
आश्वासन सुन कर थक गए हैं ग्रामीण
लोगों ने बताया कि 6 महीने पहले नल जल योजना के अंतर्गत लगे पाईप दरवाजे का शोभा बढ़ा रहे है. जलापूर्ती नहीं होने के मामले पर ग्रामीण अपने स्तर से पूछने की कोशिश किए वार्ड सदस्य मुखिया से पर कोई जवाब नहीं देता है. ग्रामीणों ने कहा कि पूछने पर कभी कहेगा कि पाईप फट गया है जल्दी ठीक हो जाएगा पर ग्रामीण यह आश्वासन सुन कर थक गए हैं.
अपने चापाकल से काम चलाते हैं ग्रामीण
जिले में बाढ़ का हवाला दिया जाता है ऐसे में लोगों को नल जल योजना के तहत स्वक्ष सुध जल पीने को नहीं मिल रहा है. कुछ गांव में सालो पहले काम हो गया है तो कुछ वार्डो में पांच छे महीने पहले काम हो चुका है पर सबका वहीं हाल है. यहां कभी आधे घंटे तो कभी महीनों गायब हो जाता है ऐसे में ग्रामीण अपने चापाकल से काम करते हैं.
सारण जिले में नल-जल योजना आधी-अधूरी, नल है पर जल नहीं
सारण जिले में मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर नल-जल से अब ग्रामीण परेशान हो गए हैं. जल ही जीवन है पर नल से जल ही नहीं आ रहा तो ग्रामीण क्या करें. ग्रामीणों ने कहा कि सिर्फ आश्वासन सुन-सून कर थक गए हैं.
सारण: जिले के कई प्रखंड में बिहार सरकार की नल जल योजना फेल होते दिख रही है. सारण जिले में अमनौर प्रखंड में सालो पहले नल-जल का काम हुआ पर वह बस दिखावे के लिए रह गया है. प्रखंड के जलालपुर कोठी वार्ड संख्या 12 में नल लगा है पर पानी नहीं आता है.
आश्वासन सुन कर थक गए हैं ग्रामीण
लोगों ने बताया कि 6 महीने पहले नल जल योजना के अंतर्गत लगे पाईप दरवाजे का शोभा बढ़ा रहे है. जलापूर्ती नहीं होने के मामले पर ग्रामीण अपने स्तर से पूछने की कोशिश किए वार्ड सदस्य मुखिया से पर कोई जवाब नहीं देता है. ग्रामीणों ने कहा कि पूछने पर कभी कहेगा कि पाईप फट गया है जल्दी ठीक हो जाएगा पर ग्रामीण यह आश्वासन सुन कर थक गए हैं.
अपने चापाकल से काम चलाते हैं ग्रामीण
जिले में बाढ़ का हवाला दिया जाता है ऐसे में लोगों को नल जल योजना के तहत स्वक्ष सुध जल पीने को नहीं मिल रहा है. कुछ गांव में सालो पहले काम हो गया है तो कुछ वार्डो में पांच छे महीने पहले काम हो चुका है पर सबका वहीं हाल है. यहां कभी आधे घंटे तो कभी महीनों गायब हो जाता है ऐसे में ग्रामीण अपने चापाकल से काम करते हैं.