सारण(छपरा) : लोकआस्था का महापर्व छठ उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. छपरा में चैत्री छठ का आयोजन बहुत ही सादगी के साथ ही मनाया गया. कोरोना संक्रमण का भी खास ध्यान रखा गया. नदी और तालाब किनारे न जाकर ज्यादातर व्रतियों ने अपने-अपने घरों में ही इस पर्व को मनाया और भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित की. इसी के साथ ही आस्था का यह महापर्व संपन्न हो गया.
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साल में 2 बार होता है छठ
बताते चलें कि साल में दो बार छठ व्रत का अनुष्ठान किया जाता है. पहला कार्तिक मास में और दूसरा चैत्र मास में. यह पर्व चार दिनों का अनुष्ठान है. इस पर्व के पहले दिन छठ व्रती पवित्र नदी और सरोवर में स्नान करते हैं. और उसके बाद अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाकर इस प्रसाद का भोग लगाया जाता है. लोग आस्था का प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसी के साथ ही व्रतियों का 48 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह खत्म होता है.
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पवित्रता का प्रतीक है 'छठ'
महापर्व छठ पवित्रता का प्रतीक है. काफी संयम के साथ इस पर्व को मनाया जाता है. इसमें मौसमी फलों और ठेकुआ का प्रसाद तैयार किया जाता है. छठव्रती जल में खड़ा होकर भगवान की उपासना करते हैं. हांलाकि इस बार भी कोरोना संक्रमण के कारण बहुत ही सादगी से इस पर्व को मनाया गया. और इस महामारी को दुनिया से खत्म की कामना की गई.