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छपरा में आवासीय जमीन पर मिल रहा था कृषि जमीन का मुआवजा, याचिका दायर

Land Acquisition In Chhpra: छपरा में शेरपुर दिघवारा पुल के लिए भूमि अधिग्रहण मामले में ऑर्बिटेसन याचिका दायर की गई है. यह याचिका भू-स्वामियों द्वारा दायर किया गया है. जहां सारण आयुक्त के यहां सुनवाई भी शुरू हो गई है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 5, 2024, 8:08 PM IST

छपरा : बिहार के छपरा में आवासीय जमीन को किसानों की जमीन बताकर मुआवजा दिया जा रहा है. इसको लेकर भू-स्वामियों के बीच आक्रोश दिखा है. उन्होंने शेरपुर दिघवारा पुल के लिए भूमि अधिग्रहण मामले में ऑर्बिटेसन याचिका दायर की गई है. वहीं, सारण आयुक्त के यहां मामले को लेकर सुनवाई भी शुरू हो गई है.

आंदोलन की तैयारी में जुटे भू-स्वामी: मिली जानकारी के अनुसार, जिले के दिघवारा शेरपुर दिघवारा सिक्स लेन पुल के उतरी भाग में मौजूद वैसे आवासीय मुख्य सड़क जिनका गजट और उनका नोटिस गलत तरीके से कृषि का बताकर दिया गया है. उनके द्वारा कोर्ट में याचिका दायर की गई है. बताया जा रहा कि दिघवारा नगर पंचायत के आवासीय मुख्य सड़क की जमीनों को नगर पंचायत की ग्रामीण सड़क बताकर कृषि भूमि के दर से मुआवजा देने का नोटिस भू अर्जन विभाग द्वारा भेजा गया है.

आवासीय सड़क की दर से मिले मुआवजा: वहीं, भूृ-माफियाओं ने सरकार द्वारा निर्धारित आवासीय मुख्य सड़क की दर से मुआवजा दिलवाने के लिए सारण आयुक्त के यहां ऑर्बिटेसन याचिका दाखिल किया है. वहीं लगभग दर्जन भर भू-स्वामियों द्वारा मुआवजा प्राप्ति के लिए आंदोलन की तैयारी की जा रही है.

एकजुट दिखाई दे रहे भू-स्वामी: इस मामले को लेकर सभी भू-स्वामी एकजुट दिखाई दे रहे है. सभी का अधिकारियों और संबंधित निर्माण कंपनी के प्रति आक्रोश है. वहीं, संबंधित भू-स्वामियों का कहना है कि उक्त पुल के लिए भूमि का अधिग्रहण रिविजनल सर्वे द्वारा चिन्हित किया गया था. तब लगभग 22 फिट से 45 फिट चौड़ाई की सड़क से सटी हुई ही भूखंड का अधिग्रहण होना था. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

भू-स्वामियों के साथ हो रहा मजाक: उनका कहना है कि सभी भू-स्वामियों के पास उपलब्ध खतियान और दस्तावेज में उनकी जमीनों की चौहद्दी में स्पष्ट रूप से रास्ता का जिक्र है. अधिग्रहण की बुनियाद ही सड़क है. ऐसे में आखिर किस परिस्थिति में उनकी जमीनों को कृषि श्रेणी घोषित कर नोटिस दिया जा रहा है. वैसी परिस्थिति में आवासीय मुख्य सड़क की श्रेणी की जमीनों का गजट कृषि करना अधिकारी और सरकार द्वारा भू-स्वामियों के प्रति मजाक को दर्शाता है.

15 लाख का हो रहा नुकसान: भू अर्जन विभाग द्वारा दिए गए नोटिस का और निबंधन हेतु निर्धारित दर का आकलन करने पर लगभग 7 लाख 60 हजार प्रति कट्ठा का अंतर है. नगर क्षेत्र का मुआवजा सरकारी दर के दुगना का प्रावधान है. जिन रैयत की जमीन लगभग 1 कट्ठा का अधिग्रहण होना है उन्हें अभी के हिसाब से 15 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है.

"सरकारी दर से मिलने वाले मुआवजे और नोटिस के दर से मिलने वाले मुआवजे में भारी अंतर है. ऐसे में सरकार से हमारी यहां मांग है कि हमे आवासीय मुख्य सड़क श्रेणी के दर से मुआवजा दिया जाए." - श्याम किशोर, ग्रामीण

इसे भी पढ़े- सोनपुर और दिघवारा स्टेशन का होगा विकास, अमृत भारत स्टेशन विकास योजना के तहत करोड़ों की राशि आवंटित

छपरा : बिहार के छपरा में आवासीय जमीन को किसानों की जमीन बताकर मुआवजा दिया जा रहा है. इसको लेकर भू-स्वामियों के बीच आक्रोश दिखा है. उन्होंने शेरपुर दिघवारा पुल के लिए भूमि अधिग्रहण मामले में ऑर्बिटेसन याचिका दायर की गई है. वहीं, सारण आयुक्त के यहां मामले को लेकर सुनवाई भी शुरू हो गई है.

आंदोलन की तैयारी में जुटे भू-स्वामी: मिली जानकारी के अनुसार, जिले के दिघवारा शेरपुर दिघवारा सिक्स लेन पुल के उतरी भाग में मौजूद वैसे आवासीय मुख्य सड़क जिनका गजट और उनका नोटिस गलत तरीके से कृषि का बताकर दिया गया है. उनके द्वारा कोर्ट में याचिका दायर की गई है. बताया जा रहा कि दिघवारा नगर पंचायत के आवासीय मुख्य सड़क की जमीनों को नगर पंचायत की ग्रामीण सड़क बताकर कृषि भूमि के दर से मुआवजा देने का नोटिस भू अर्जन विभाग द्वारा भेजा गया है.

आवासीय सड़क की दर से मिले मुआवजा: वहीं, भूृ-माफियाओं ने सरकार द्वारा निर्धारित आवासीय मुख्य सड़क की दर से मुआवजा दिलवाने के लिए सारण आयुक्त के यहां ऑर्बिटेसन याचिका दाखिल किया है. वहीं लगभग दर्जन भर भू-स्वामियों द्वारा मुआवजा प्राप्ति के लिए आंदोलन की तैयारी की जा रही है.

एकजुट दिखाई दे रहे भू-स्वामी: इस मामले को लेकर सभी भू-स्वामी एकजुट दिखाई दे रहे है. सभी का अधिकारियों और संबंधित निर्माण कंपनी के प्रति आक्रोश है. वहीं, संबंधित भू-स्वामियों का कहना है कि उक्त पुल के लिए भूमि का अधिग्रहण रिविजनल सर्वे द्वारा चिन्हित किया गया था. तब लगभग 22 फिट से 45 फिट चौड़ाई की सड़क से सटी हुई ही भूखंड का अधिग्रहण होना था. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

भू-स्वामियों के साथ हो रहा मजाक: उनका कहना है कि सभी भू-स्वामियों के पास उपलब्ध खतियान और दस्तावेज में उनकी जमीनों की चौहद्दी में स्पष्ट रूप से रास्ता का जिक्र है. अधिग्रहण की बुनियाद ही सड़क है. ऐसे में आखिर किस परिस्थिति में उनकी जमीनों को कृषि श्रेणी घोषित कर नोटिस दिया जा रहा है. वैसी परिस्थिति में आवासीय मुख्य सड़क की श्रेणी की जमीनों का गजट कृषि करना अधिकारी और सरकार द्वारा भू-स्वामियों के प्रति मजाक को दर्शाता है.

15 लाख का हो रहा नुकसान: भू अर्जन विभाग द्वारा दिए गए नोटिस का और निबंधन हेतु निर्धारित दर का आकलन करने पर लगभग 7 लाख 60 हजार प्रति कट्ठा का अंतर है. नगर क्षेत्र का मुआवजा सरकारी दर के दुगना का प्रावधान है. जिन रैयत की जमीन लगभग 1 कट्ठा का अधिग्रहण होना है उन्हें अभी के हिसाब से 15 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है.

"सरकारी दर से मिलने वाले मुआवजे और नोटिस के दर से मिलने वाले मुआवजे में भारी अंतर है. ऐसे में सरकार से हमारी यहां मांग है कि हमे आवासीय मुख्य सड़क श्रेणी के दर से मुआवजा दिया जाए." - श्याम किशोर, ग्रामीण

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