छपरा: बारिश के चलते बिहार (Bihar) की कई नदियां इन दिनों उफान पर है. गंगा (Ganga) के जलस्तर में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिसके चलते सारण (Saran) के दियारा क्षेत्र के रायपुर, बिरगांव, कोटवा पट्टी रामपुर और बरहरा महाजी पंचायतों में बाढ़ (Flood) का खतरा मंडराने लगा है. गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण आरा छपरा पुल से इन पंचायतों का संपर्क टूट गया है.
ये भी पढ़ें:पटना: गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी, मंडराने लगा बाढ़ का खतरा
स्थानीय लोगों के अनुसार इलाके का आरा छपरा पुल से संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है. पुल से जुड़े अप्रोच रोड पर दो से तीन फीट पानी बह रहा है. लाठी के सहारे रास्ते का अनुमान लगाकर लोग आरा छपरा पुल पार कर रहे हैं.
कोटवा पट्टी रामपुर पंचायत के दयालचक के निवासी ने बताया कि गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण गांव के निचले इलाके में पानी भर गया है. हम लोग चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिर गए हैं. उन्होंने बताया कि अगर गंगा के जलस्तर में इसी तरह वृद्धि जारी रही तो देर रात तक गांव की सारी आबादी इसकी चपेट में आ जाएगी, हालांकि इसे लेकर लोग अलर्ट हैं लेकिन नाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि नाव की कोई व्यवस्था नहीं है. जिससे आपातकालीन परिस्थितियों में निपटा जा सके. इधर गंगा के तटीय इलाकों में भी कटाव के साथ कई गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. जिससे सिंगाही, मूसेपुर पंचायत के निहाल टोला पूर्वी बलवा, पश्चिमी बलवा, आदे गांव शामिल है. इन इलाकों के लोग काफी सहमे हुए हैं.
जल संसाधन विभाग के मुताबिक अगले तीन दिनों के अंदर लगभग 1 लाख 70 हजार क्यूसेक पानी आ सकता है. जिससे गंगा के जलस्तर में लगभग 2 मीटर की वृद्धि दर्ज हो जाएगी. जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण फिलहाल गंगा के निचले इलाकों में संभावित बाढ़ का खतरा बढ़ गया है.
इस संबंध में सीओ सत्येंद्र सिंह ने बताया कि प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया हूं. जलस्तर में वृद्धि जारी है. तीनों पंचायत में नाव की व्यवस्था करने के लिए कर्मचारियों को निर्देश दिया जा चुका है. उन्होंने कहा कि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. जरूरत पड़ने पर अन्य सहायता भी तत्काल उपलब्ध कराई जाएगी.
इधर बाढ़ को लेकर जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता के निर्देश पर सदर प्रखंड ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है. तिवारी घाट और पौराणिक और पुरातात्विक स्थल पर बोरे में बालू भरकर लगाया जा रहा है.
जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता विनोद कुमार दास ने बताया कि पुरातात्विक स्थल पर अभी कार्य कराना संभव नहीं है इसलिए वहां बालू भरे बोरे रखे जा रहे हैं. जलस्तर में जैसे ही कमी आएगी कटाव निरोधी कार्य शुरू किया जाएगा.
ये भी पढ़ें:सारण: गंडक के तटीय इलाकों मे फिर शुरू हुआ कटाव, दहशत में लोग