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पाकिस्तान में परमहंस दयाल जी का समाधि मंदिर तोड़े जाने से आक्रोश, समर्थकों ने दर्ज कराया विरोध

पाकिस्तान के टेरी स्थित परमहंस दयाल जी के समाधि मंदिर को कट्टरपंथियों ने तोड़ दिया. इससे उनके अनुयायियों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है. उनके समर्थकों ने बिहार सरकार के साथ केंद्र सरकार से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. अनुयायी चाहते हैं कि केंद्र सरकार इस मसले को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के जरिए पाकिस्तान सरकार पर दबाव बनाए. ताकि ध्वस्त हुए समाधि मंदिर का फिर से निर्माण कराया जा सके.

सारण
पाकिस्तान में हिंदू मंदिर तोड़े जाने पर रोष
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Published : Jan 2, 2021, 2:43 PM IST

सारण: पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. एक बार फिर पाकिस्तान ने लाखों हिन्दू समर्थकों को आघात पहुंचाया है. पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने परमंहस दयाल जी की समाधि मंदिर का विध्वंश कर डाला है. पाक कट्टरपंथियों की हरकत से गुरू महाराज के लाखों समर्थकों में आक्रोश है.

पाकिस्तान में तोड़ा गया समाधि मंदिर
30 दिसंबर को सुबह 9:30 बजे पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने ध्वस्त कर दिया. आजादी के पहले बने इस समाधि मंदिर के प्रति उनके अनुयायियों में बड़ी आस्था है. कट्टरपंथियों की करतूत से लोगों की आस्था पर ठेस पहुंची है. इसपर लाखों समर्थकों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है.

फिर से मंदिर बनाने की मांग
बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने मंदिर में घुसकर तोड़फोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया. वहीं, इनके समर्थकों ने पाकिस्तान के उन कट्टरपंथियों की घोर भर्त्सना की और पाकिस्तान सरकार से यह गुजारिश की है कि वह परमहंस दयाल जी महाराज की समाधि मंदिर का फिर से निर्माण कराया जाए.

पाकिस्तान में हिंदू मंदिर तोड़े जाने पर रोष

छपरा से पाकिस्तान तक का सफर
स्वामी जी की जन्मस्थली बिहार के छपरा शहर के दहियावां ब्राह्मण टोली में है. वे जीवन भर तप, त्याग और धर्मो का प्रचार किया. फिर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के कारक जिला स्थित टेरी पहुंचे. वहां स्वामी जी ने कृष्ण युग के योग शक्ति ज्ञान से अनुयायियों का परिचय कराया. अंत में उन्होंने अपनी गद्दी परमशिष्य स्वरूपानंद जी महाराज को सौंपा और 10 जुलाई 1919 को समाधि ले ली. उनकी समाधि मंदिर सन 1919 में पाकिस्तान के टेरी शहर में बना दिया गया. जिसका जीर्णोद्धार 2015 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किया गया. यह विश्व भर में श्री दयाल जी महाराज के अनुयायियों की श्रद्धा का मुख्य केंद्र रहा है.

कौन हैं परमहंस दयाल जी

  • स्वामी जी का जुड़ाव छपरा शहर से है, करीब 170 वर्ष पूर्व यहीं के दहियावां मुहल्ले के एक ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म 1846 ई. में हुआ था.
  • जन्म के आठ माह बाद माता और पांच वर्ष बाद पिता तुलसीनाथ पाठक का देहांत हो गया था.
  • यहीं से वैराग्य पथ पर अग्रसर संत देश के विभिन्न भागों का भ्रमण कर पाकिस्तान के टेरी पहुंचे थे.
  • वर्षों तक लोगों के बीच योग क्रिया का ज्ञान बांटते रहे और वहीं समाधि ले ली, भक्तों ने उनके समाधिस्थल पर ही एक मंदिर का निर्माण कर दिया.
  • यह मंदिर 1997 तक यथावत रहा, यहां गुरू परमहंस दयाल जी के पंथ के हजारों अनुयायी दर्शन व आशीर्वाद के लिए नियमित पहुंचते रहे.
  • इसी बीच चरमपंथियों ने मंदिर पर हमला कर उसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया.

जगतगुरु स्वामी अद्वैतानंद जी (परमहंस दयाल जी) महाराज विश्व मानवता के हितैषी थे. उनके विचार अति उदार थे. मंदिर विध्वंस की घटना से अधिक शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता है. विश्व स्तर पर पाकिस्तान के उन कट्टरपंथियों की घोर भर्त्सना होनी चाहिए. बिहार सरकार और हमारे देश की सरकार, संयुक्त राष्ट्र संघ के पटल पर इस अति संवेदनशील मामले को उठाए और पाकिस्तान सरकार पर मंदिर के पुनर्निर्माण और भविष्य में संपूर्ण सुरक्षा का प्रबंध किए जाने का दबाव बनाए- अनुयायी

सारण: पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. एक बार फिर पाकिस्तान ने लाखों हिन्दू समर्थकों को आघात पहुंचाया है. पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने परमंहस दयाल जी की समाधि मंदिर का विध्वंश कर डाला है. पाक कट्टरपंथियों की हरकत से गुरू महाराज के लाखों समर्थकों में आक्रोश है.

पाकिस्तान में तोड़ा गया समाधि मंदिर
30 दिसंबर को सुबह 9:30 बजे पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने ध्वस्त कर दिया. आजादी के पहले बने इस समाधि मंदिर के प्रति उनके अनुयायियों में बड़ी आस्था है. कट्टरपंथियों की करतूत से लोगों की आस्था पर ठेस पहुंची है. इसपर लाखों समर्थकों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है.

फिर से मंदिर बनाने की मांग
बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी कट्टरपंथियों ने मंदिर में घुसकर तोड़फोड़ की और उसे आग के हवाले कर दिया. वहीं, इनके समर्थकों ने पाकिस्तान के उन कट्टरपंथियों की घोर भर्त्सना की और पाकिस्तान सरकार से यह गुजारिश की है कि वह परमहंस दयाल जी महाराज की समाधि मंदिर का फिर से निर्माण कराया जाए.

पाकिस्तान में हिंदू मंदिर तोड़े जाने पर रोष

छपरा से पाकिस्तान तक का सफर
स्वामी जी की जन्मस्थली बिहार के छपरा शहर के दहियावां ब्राह्मण टोली में है. वे जीवन भर तप, त्याग और धर्मो का प्रचार किया. फिर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के कारक जिला स्थित टेरी पहुंचे. वहां स्वामी जी ने कृष्ण युग के योग शक्ति ज्ञान से अनुयायियों का परिचय कराया. अंत में उन्होंने अपनी गद्दी परमशिष्य स्वरूपानंद जी महाराज को सौंपा और 10 जुलाई 1919 को समाधि ले ली. उनकी समाधि मंदिर सन 1919 में पाकिस्तान के टेरी शहर में बना दिया गया. जिसका जीर्णोद्धार 2015 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किया गया. यह विश्व भर में श्री दयाल जी महाराज के अनुयायियों की श्रद्धा का मुख्य केंद्र रहा है.

कौन हैं परमहंस दयाल जी

  • स्वामी जी का जुड़ाव छपरा शहर से है, करीब 170 वर्ष पूर्व यहीं के दहियावां मुहल्ले के एक ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म 1846 ई. में हुआ था.
  • जन्म के आठ माह बाद माता और पांच वर्ष बाद पिता तुलसीनाथ पाठक का देहांत हो गया था.
  • यहीं से वैराग्य पथ पर अग्रसर संत देश के विभिन्न भागों का भ्रमण कर पाकिस्तान के टेरी पहुंचे थे.
  • वर्षों तक लोगों के बीच योग क्रिया का ज्ञान बांटते रहे और वहीं समाधि ले ली, भक्तों ने उनके समाधिस्थल पर ही एक मंदिर का निर्माण कर दिया.
  • यह मंदिर 1997 तक यथावत रहा, यहां गुरू परमहंस दयाल जी के पंथ के हजारों अनुयायी दर्शन व आशीर्वाद के लिए नियमित पहुंचते रहे.
  • इसी बीच चरमपंथियों ने मंदिर पर हमला कर उसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया.

जगतगुरु स्वामी अद्वैतानंद जी (परमहंस दयाल जी) महाराज विश्व मानवता के हितैषी थे. उनके विचार अति उदार थे. मंदिर विध्वंस की घटना से अधिक शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता है. विश्व स्तर पर पाकिस्तान के उन कट्टरपंथियों की घोर भर्त्सना होनी चाहिए. बिहार सरकार और हमारे देश की सरकार, संयुक्त राष्ट्र संघ के पटल पर इस अति संवेदनशील मामले को उठाए और पाकिस्तान सरकार पर मंदिर के पुनर्निर्माण और भविष्य में संपूर्ण सुरक्षा का प्रबंध किए जाने का दबाव बनाए- अनुयायी

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