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कोरोना का असर : गेहूं की फसल की कटाई बाधित

कोरोना संक्रमण की चपेट मे आने वालों की सख्या तेजी से बढ़ रही है. वहीं, इस संक्रमण की वजह से सभी स्कुल दफ्तर और अन्य गतिविधियां पूरी तरह से ठप्प पड़ गयी है.

सारण
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Published : Apr 10, 2020, 4:21 PM IST

सारण : कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुये पूरे विश्व के कई देश इस महामारी को लेकर काफी परेशान है. वहीं भारत में भी इस महामारी का प्रसार बहुत ही तेजी से हुआ है. भारत सरकार ने इस आपदा को देखते हुये पूरे देश में लाॅकडाउन कर दिया है और लोगों से अपील की जा रही है की वे अपने-अपने घरों में ही रहें बाहर न निकलने और सोशल डिस्टेंस का पालन करें. साफ-सफाई का पुरा ध्यान रखें और बाहर निकले तो सुरक्षा के लिहाज से मास्क पहनें, क्योंकि यह तेजी से फैलने वाला वायरस है.

saran
गेहूं की फसल की कटाई

फसल ही कटाई
इन उपायों से काफी हद तक स्थिति को कंट्रोल किया जा रहा है. फिर भी इस संक्रमण की चपेट मे आने वालों की सख्या तेजी से बढ़ रही है. वहीं, इस संक्रमण की वजह से सभी स्कुल दफ्तर और अन्य गतिविधियां पूरी तरह से ठप्प पड़ गयी है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यात्री रेल सेवा को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. इस कारण सभी गतिविधिया पूरी तरह से बंद है. इस बन्दी से भारत आर्थिक रुप से पिछड़ रहा है. फसलों की स्थिति भी काफी अच्छी नहीं है. बिहार सहित देश भर में गेहूं की फसल पक कर पूरी तरह से तैयार है. खेतों में जहां तक नजर जा रही है. गैहू की फसल ही दिखाई पड़ रही है. लेकिन इनकी कटाई करने वाले श्रमिक लाॅकडाउन के कारण नहीं मिल रहे है.

देखें पूरी रिपोर्ट

फसल पक कर तैयार
बात करें छपरा जिले की तो यहां भी ऐसी ही स्थितियां बनी हुई है. छ्परा के सभी प्रखंडो के गावों में गेहूं की फसल पूरी तरह से पक कर तैयार है. लेकिन लाॅकडाउन और सोशल डिस्टेंस के कारण श्रमिक कार्य नहीं कर रहे है. हालांकि जिला प्रशासन ने श्रमिकों को सोशल डिस्टेंस बनाये रखते हुये गेहूं की कटनी करने का निर्देश दिया है. अब जाकर कुछ श्रमिक गेहूं कटनी का कार्य शुरू किये है. लेकिन अभी तक मात्र 5 से 10 प्रतिशत ही गेहूं. कटाई का कार्य पुरा हुआ है. जबकी अभी तक लगभग 80 से 90 प्रतिशत तक गेहूं की कटाई का कार्य पूर्ण हो जाता था. वहीं, किसानों को इस बात का भी डर सता रहा है की गेहूं की लहलहाती फसल पूरी तरह से पक कर तैयार है और इस समय अग्नि कांड का भी बड़ा खतरा हमेशा बना रहता है. जिससे पूरी फसल जल कर नष्ट हो सकती है. वहीं, लाॅकडाउन के कारण यातायात के साधन बंद हो जाने के कारण बाहर से आने वाले श्रमिक यहां आ ही नही पा रहे है.

सारण : कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुये पूरे विश्व के कई देश इस महामारी को लेकर काफी परेशान है. वहीं भारत में भी इस महामारी का प्रसार बहुत ही तेजी से हुआ है. भारत सरकार ने इस आपदा को देखते हुये पूरे देश में लाॅकडाउन कर दिया है और लोगों से अपील की जा रही है की वे अपने-अपने घरों में ही रहें बाहर न निकलने और सोशल डिस्टेंस का पालन करें. साफ-सफाई का पुरा ध्यान रखें और बाहर निकले तो सुरक्षा के लिहाज से मास्क पहनें, क्योंकि यह तेजी से फैलने वाला वायरस है.

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गेहूं की फसल की कटाई

फसल ही कटाई
इन उपायों से काफी हद तक स्थिति को कंट्रोल किया जा रहा है. फिर भी इस संक्रमण की चपेट मे आने वालों की सख्या तेजी से बढ़ रही है. वहीं, इस संक्रमण की वजह से सभी स्कुल दफ्तर और अन्य गतिविधियां पूरी तरह से ठप्प पड़ गयी है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यात्री रेल सेवा को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. इस कारण सभी गतिविधिया पूरी तरह से बंद है. इस बन्दी से भारत आर्थिक रुप से पिछड़ रहा है. फसलों की स्थिति भी काफी अच्छी नहीं है. बिहार सहित देश भर में गेहूं की फसल पक कर पूरी तरह से तैयार है. खेतों में जहां तक नजर जा रही है. गैहू की फसल ही दिखाई पड़ रही है. लेकिन इनकी कटाई करने वाले श्रमिक लाॅकडाउन के कारण नहीं मिल रहे है.

देखें पूरी रिपोर्ट

फसल पक कर तैयार
बात करें छपरा जिले की तो यहां भी ऐसी ही स्थितियां बनी हुई है. छ्परा के सभी प्रखंडो के गावों में गेहूं की फसल पूरी तरह से पक कर तैयार है. लेकिन लाॅकडाउन और सोशल डिस्टेंस के कारण श्रमिक कार्य नहीं कर रहे है. हालांकि जिला प्रशासन ने श्रमिकों को सोशल डिस्टेंस बनाये रखते हुये गेहूं की कटनी करने का निर्देश दिया है. अब जाकर कुछ श्रमिक गेहूं कटनी का कार्य शुरू किये है. लेकिन अभी तक मात्र 5 से 10 प्रतिशत ही गेहूं. कटाई का कार्य पुरा हुआ है. जबकी अभी तक लगभग 80 से 90 प्रतिशत तक गेहूं की कटाई का कार्य पूर्ण हो जाता था. वहीं, किसानों को इस बात का भी डर सता रहा है की गेहूं की लहलहाती फसल पूरी तरह से पक कर तैयार है और इस समय अग्नि कांड का भी बड़ा खतरा हमेशा बना रहता है. जिससे पूरी फसल जल कर नष्ट हो सकती है. वहीं, लाॅकडाउन के कारण यातायात के साधन बंद हो जाने के कारण बाहर से आने वाले श्रमिक यहां आ ही नही पा रहे है.

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