सारण: गंडक नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में पिछले दिनों हुई भारी बारिश और नेपाल द्वारा वाल्मीकि नगर बैराज से लगभग 4 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से छपरा में एक बार फिर बाढ़ ने दस्तक दे दिया है.
दरअसल, जुलाई महीने में गोपालगंज जिले के बैकुंठपुर थाना अंतर्गत पकहा गांव में सारण तटबंध टूटने से जिले के पानापुर, मशरख, मरहौरा, तरैया, अमनौर, परसा, दरियापुर, भेल्दी, गरखा प्रखंडों में भारी तबाही मचाई थी. जिसके कारण लोग एक माह तक बाढ़ की विभीषिका झेल चुके है. वहीं लोगों की जिंदगी अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही थी, लेकिन एक बार फिर बाढ़ ने दस्तक देकर लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर दिया है.
एक बार फिर सड़कों पर रहने को मजबूर हुए ग्रामीण
छपरा में तेज बारिश होने के बाद एक बार फिर पानी तेजी से फैल रहा है. बाढ़ का पानी रविवार को बेलौर, सतजोड़ा, टोटहा और जगतपुर पंचायत के विभिन्न गांव में तेजी से फैल रहा था. इसी बीच बाढ़ की मार झेल चुके ग्रामीण एक बार फिर नहरों, सड़कों एवं ऊंचे स्थानों पर अपना अस्थाई आशियाना बनाना शुरू कर दिए हैं.
आम जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त
वहीं गंडक नदी के जल स्तर में वृद्धि के कारण सारण जिले के निचले इलाकों में बसे पृथ्वीपुर, सलेमपुर, बसैया, रामपुर रुद्र आदि गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. बाढ़ पीड़ित सारण तटबंध पर शरण लेने को मजबूर है.
चिंतित है किसान
बता दें कि पूरे इलाके में आपदा की स्थिति उत्पन्न हो गई है. बाढ़ के कारण खरीफ की फसल पूरी तरह से पहले ही नष्ट हो चुकी है. बाढ़ का पानी घटने से रवि की फसल उगाने की किसानों की आशा जगी थी, लेकिन फिर से बाढ़ के वापस आने के कारण रवि की फसल लगाने पर भी संकट उत्पन्न हो गया है. ऐसी आशंका है कि इलाके में रवि की फसल नहीं लगाई जा सकेगी. इस वर्ष किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ेगी. इस बात को लेकर लोग चिंतित और परेशान हैं.