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छपरा: गेंदा फूलों की खेती करने वाले किसानों को हुआ लाखों का नुकसान, सरकार नहीं कर रही मदद

छपरा में गेंदा फूलों की खेती करने वाले किसानों को लॉकडाउन की वजह से लाखों का नुकसान हुआ है. वहीं सरकार उनकी कोई मदद नहीं कर रही है.

chapra
गेंदा फूलों की खेती
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Published : Nov 12, 2020, 9:35 PM IST

छपरा: कृषि विभाग से संबंधित उद्यान विभाग की ओर से नगदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएं संचालित की जा रही है. लेकिन उसका लाभ जरूरतमंद किसानों को नहीं मिल पा रहा है. जिससे किसानों में काफी निराशा देखी जा रही है.

गेंदा फूल की खेती
जानकारी के अनुसार उद्यान विभाग की ओर से गेंदा फूल की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं संचालित है. जिसमें गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों को अनुदान भी मुहैया कराया जाता है. लेकिन विभाग की कार्यशैली के कारण योजनाएं कागज फाइलों में धूल फांक रही है.

किसानों तक नहीं पहुंची योजना
इस योजना को बढ़ावा देने के लिए प्रखंड स्तर पर प्रखंड उद्यान पदाधिकारी कार्यरत हैं. लेकिन इन योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं. अधिकारिक सूत्रों की माने तो प्रखंड में उद्यान पदाधिकारी कभी कभार ही आते हैं और अपनी ड्यूटी बजा कर चले जाते हैं. ऐसे में उद्यान विभाग की ओर से चलाई जा रही योजनाएं किसानों तक नहीं पहुंच पाती है.

भूखे मरने की स्थिति
गेंदा समेत अन्य फूल की खेती करके लोगों के जीवन में खुशबू भरने वाले मालियों के सामने इस वर्ष लॉकडाउन और बाढ़ ने विषम स्थिति उत्पन्न कर दी है. जिससे भूखे मरने की स्थिति आ गई है. कई मालियों के ऊपर तो फूल बिक्री नहीं होने से इस वर्ष लाखों रुपये के कर्ज हो गए हैं.

लीज पर जमीन लेकर फूल की खेती
गरखा प्रखंड के गरखा, केवानी और रामपुर में गेंदा फूल समेत अन्य फूलों की खेती होती है. जो शादी-विवाह, अष्टयाम, यज्ञ, मंदिरों में पूजन-पाठ और अन्य समारोहों में फूल बेच कर अपना जीवन यापन करते हैं. गरखा और केवानी गांव के कई माली लीज पर जमीन लेकर फूल की खेती करते हैं. उन लोगों का कहना है कि कोलकाता से दो रुपये प्रति बीज के हिसाब से इस बार पौधे मंगाई गई थी.

फूल की बिक्री बंद
जैसे ही गेंदा फूल सीजन आया, कोरोना महामारी से लॉकडाउन लग गया. चैत्र नवरात्रि में फूल की बिक्री नहीं हुई. उसके बाद शादी विवाह कैंसिल होने, स्वागत समारोह नहीं होने, मंदिरों में ताला लगने, जुलूस, सभा, सेमिनार, अष्टयाम, यज्ञ के आयोजन बंद होने से फूल की बिक्री एकदम बन्द हो गई.

क्या कहते हैं किसान
बाढ़ और कोरोना के कारण नवरात्र और दशहरा में भी फूल नहीं बिके. चुनाव में फूल की कम बिक्री हुई. देर रात चुनाव के काउंटिंग होने से जीत के बाद भी प्रत्याशियों ने माला नहीं खरीदा. गरखा प्रखंड में फूल की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि लीज पर जमीन लेकर लगभग प्रखंड में 50 एकड़ में विभिन्न जगहों पर फूल की खेती की जाती है.

लाखों रुपये का नुकसान
लॉकडाउन के कारण फूल की बिक्री बंद हुई. जैसे ही फूल की बिक्री शुरू हुई, दुबारा बाढ़ के पानी आने से फसल बर्बाद हो गई. बीज को खरीदने के अलावा मजदूर लगाकर उसकी देखभाल की जाती है. लेकिन उचित फसल फूल की बिक्री नहीं होने से लाखों रुपये का नुकसान हो गया है.

सरकार की ओर से किसी प्रकार का अनुदान नहीं मिलने के कारण मालियों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. आखिरी त्योहार दीपावली बचा है. जिसमें कुछ फूल की बिक्री होने की उम्मीद मालियों में बची हुई है.

छपरा: कृषि विभाग से संबंधित उद्यान विभाग की ओर से नगदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएं संचालित की जा रही है. लेकिन उसका लाभ जरूरतमंद किसानों को नहीं मिल पा रहा है. जिससे किसानों में काफी निराशा देखी जा रही है.

गेंदा फूल की खेती
जानकारी के अनुसार उद्यान विभाग की ओर से गेंदा फूल की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं संचालित है. जिसमें गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों को अनुदान भी मुहैया कराया जाता है. लेकिन विभाग की कार्यशैली के कारण योजनाएं कागज फाइलों में धूल फांक रही है.

किसानों तक नहीं पहुंची योजना
इस योजना को बढ़ावा देने के लिए प्रखंड स्तर पर प्रखंड उद्यान पदाधिकारी कार्यरत हैं. लेकिन इन योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं. अधिकारिक सूत्रों की माने तो प्रखंड में उद्यान पदाधिकारी कभी कभार ही आते हैं और अपनी ड्यूटी बजा कर चले जाते हैं. ऐसे में उद्यान विभाग की ओर से चलाई जा रही योजनाएं किसानों तक नहीं पहुंच पाती है.

भूखे मरने की स्थिति
गेंदा समेत अन्य फूल की खेती करके लोगों के जीवन में खुशबू भरने वाले मालियों के सामने इस वर्ष लॉकडाउन और बाढ़ ने विषम स्थिति उत्पन्न कर दी है. जिससे भूखे मरने की स्थिति आ गई है. कई मालियों के ऊपर तो फूल बिक्री नहीं होने से इस वर्ष लाखों रुपये के कर्ज हो गए हैं.

लीज पर जमीन लेकर फूल की खेती
गरखा प्रखंड के गरखा, केवानी और रामपुर में गेंदा फूल समेत अन्य फूलों की खेती होती है. जो शादी-विवाह, अष्टयाम, यज्ञ, मंदिरों में पूजन-पाठ और अन्य समारोहों में फूल बेच कर अपना जीवन यापन करते हैं. गरखा और केवानी गांव के कई माली लीज पर जमीन लेकर फूल की खेती करते हैं. उन लोगों का कहना है कि कोलकाता से दो रुपये प्रति बीज के हिसाब से इस बार पौधे मंगाई गई थी.

फूल की बिक्री बंद
जैसे ही गेंदा फूल सीजन आया, कोरोना महामारी से लॉकडाउन लग गया. चैत्र नवरात्रि में फूल की बिक्री नहीं हुई. उसके बाद शादी विवाह कैंसिल होने, स्वागत समारोह नहीं होने, मंदिरों में ताला लगने, जुलूस, सभा, सेमिनार, अष्टयाम, यज्ञ के आयोजन बंद होने से फूल की बिक्री एकदम बन्द हो गई.

क्या कहते हैं किसान
बाढ़ और कोरोना के कारण नवरात्र और दशहरा में भी फूल नहीं बिके. चुनाव में फूल की कम बिक्री हुई. देर रात चुनाव के काउंटिंग होने से जीत के बाद भी प्रत्याशियों ने माला नहीं खरीदा. गरखा प्रखंड में फूल की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि लीज पर जमीन लेकर लगभग प्रखंड में 50 एकड़ में विभिन्न जगहों पर फूल की खेती की जाती है.

लाखों रुपये का नुकसान
लॉकडाउन के कारण फूल की बिक्री बंद हुई. जैसे ही फूल की बिक्री शुरू हुई, दुबारा बाढ़ के पानी आने से फसल बर्बाद हो गई. बीज को खरीदने के अलावा मजदूर लगाकर उसकी देखभाल की जाती है. लेकिन उचित फसल फूल की बिक्री नहीं होने से लाखों रुपये का नुकसान हो गया है.

सरकार की ओर से किसी प्रकार का अनुदान नहीं मिलने के कारण मालियों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. आखिरी त्योहार दीपावली बचा है. जिसमें कुछ फूल की बिक्री होने की उम्मीद मालियों में बची हुई है.

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